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Anant Chaturdashi 2019: अनंत चतुर्दशी आज, जानिए इसकी कथा, पूजा का शुभ मुहूर्त और विधि

By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Published: September 12, 2019 7:33 AM

Anant Chaturdashi 2019: अनंत चतुर्दशी का व्रत आज है। इसे देश के कई हिस्सों में किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। इसके साथ गणेशोत्सव का भी समापन हो जाएगा।

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ठळक मुद्देAnant Chaturdashi: भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को किया जाता है अनंत चतुर्दशी व्रतभगवान विष्णु को समर्पित है अनंत चतुर्दशी, आज गणेशोत्सव का भी हो जाएगा समापन

Anant Chaturdashi 2019: आज (12 सितंबर) अनंत चतुर्दशी है। भाद्रपद मास के कुछ बड़े व्रतों में अनंत चतुर्दशी भी है जिसे देश के कई हिस्सों में किया जाता है। यह व्रत भगवान विष्णु को समर्पित है। मान्यता है कि इस व्रत को करने से सभी कष्ट और दरिद्रता दूर होती है। अनंत चतुर्दशी के साथ ही आज पिछले 10 दिनों से चला आ रहे गणेशत्सव का भी समापन हो जाएगा। अनंत चतुर्दशी के दिन भक्त श्रीहरि की पूजा करते हैं इसके बाद पुरुष दाएं जबकि स्त्रियां बाएं हाथ में 'अनंत धागा' धारण करती है।

Anant Chaturdashi 2019: क्या है अनंत धागा

अनंत राखी के समान ही एक धागा होता है जिनमें 14 गांठे होती हैं। इसलिए अनंत धागे को बाजार से खरीदते वक्त उसे जरूर गिन लें कि उसमें 14 गांठे हैं या नहीं। यह एक ऐसा व्रत है और इसे घर या मंदिर में ही किया जाता है। 

Anant Chaturdashi 2019: क्या है अनंत चतुर्दशी पर पूजा का शुभ मुहूर्त

अनंत चतुर्दशी के मौके पर पूजा के लिए आज पूरा दिन शुभ है। वैसे, सुबह या दोपहर में पूजा करना बेहतर है। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि की 12 सितंबर को सुबह 5.06 बजे है और इसका समापन कल (13 सितंबर) सुबह 7.35 बजे होगा। इस पूरे दिन पूजन किया जा सकता है। व्रती इस दिन आटे से रोटियां या पूड़ी बनाते हैं, जिसका आधा वे ब्राह्मण को दान करते हैं और शेष स्वयं ग्रहण करते हैं। व्रती इस दिन एक बार ही पूजन के बाद भोजन करते हैं।

Anant Chaturdashi 2019: अनंत चतुर्दशी व्रत के लाभ और महिमा

अनंत चतुर्दशी व्रत का जिक्र महाभारत में भी है। मान्यता है इस व्रत को करने से व्यक्ति सभी संकटों से दूर होता है। भगवान कृष्ण की सलाह से युधिष्ठिर ने भी इस व्रत को उस समय किया था जब ने वन-वन भटक रहे थे। इसे करने दरिद्रता का नाश होता है। दुर्घटनाओं और स्वास्थ्य की समस्याओं से रक्षा होती है। साथ ही ग्रहों की बाधा दूर होती है। 

Anant Chaturdashi 2019: अनंत चतुर्दशी व्रत कैसे करें

इस दिन व्रती को तड़के उठने के बाद स्नान आदि कर कलश स्थापित करना चाहिए। भगवान विष्णु की तस्वीर लगाएं और अनंत धागे को भी रखें। इसके बाद विधिवत पूजा करें और अनंत व्रत की कथा पढ़ें या इसका श्रवण करें। पूजन में रोली, चंदन, अगर, धूप, दीप और नैवेद्य का जरूर इस्तेमाल करें। पूजा के बाद अनंत सूत्र को अपने हाथों में बांधना चाहिए और प्रसाद ग्रहण करना चाहिए। 

Anant Chaturdashi: अनंत चतुर्दशी व्रत की कथा

अनंत चतुर्दशी की कथा के अनुसार एक समय सुमंत नाम के एक ऋषि थे। उसकी पत्नी का नाम दीक्षा था। दोनों की परम सुंदरी कन्या सुशीला थी। सुशीला जब बड़ी हुई तो उसकी माता दीक्षा की मृत्यु हो गई। बहरहाल, कुछ समय पश्चात सुशीला का विवाह उनके पिता ऋषि सुमंत ने कौण्डिन्य ऋषि के साथ कर दिया। विवाह के बाद भी हालांकि, सुशील को दरिद्रता ही झेलनी पड़ी। 

एक दिन सुशीला ने देखा- कुछ स्त्रियां किसी देवता की पूजा पर रही थीं। सुशीला ने जब इस बारे में पूछा तो उन्होंने अनंत व्रत के महत्व के बारे में बताया। सुशीला ने जब यह सुना तो उन्होंने इस व्रत का अनुष्ठान किया और चौदह गांठों वाला अनंत धागा बांध कर ऋषि कौण्डिन्य के पास आ गई। 

धीरे-धीरे सुशील और कौण्डिन्य के दिन फिरने लगे। एक दिन ऋषि कौण्डिन्य ने जब यह धागा देखा तो इस बारे में पूछा। सुशीला ने पूरी बात बता दी। इससे कौण्डिन्य क्रोधित हो गये और कहने लगे कि ये धागा उन पर जादू-टोना के लिए लाया गया है। इसके बाद क्रोधित कौण्डिन्य ने वह धागा तोड़ दिया। ऐसा करते ही दोनों के दिन एक बार फिर बदलने लगे और संपत्ति नष्ट होती गई।

कौण्डिन्य ने जब इस बार में अपनी पत्नी से चर्चा की तो पत्नी ने कहा कि अनंत भगवान का अपमान करने से ऐसा हो रहा है। कौण्डिन्य को अपनी इस गलती का ऐहसास हुआ। इसके बाद उन्होंने 14 सालों तक कौण्डिन्य ने अनंत चतुर्दशी का व्रत किया। इससे हरि प्रसन्न हुए और धीरे-धीरे दोनों के दिन एक बार फिर बदलने लगे और वे सुखपूर्वक रहने लगे।

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