बद्रीनाथ दोहराने जा रहा है इतिहास, 100 साल बाद फिर नहीं होंगे अखंड ज्योति के दर्शन- जानिए क्या हुआ था पहले
By मेघना वर्मा | Published: April 18, 2020 09:38 AM2020-04-18T09:38:52+5:302020-04-18T09:38:52+5:30
भगवान बद्रीनारायण के कपाट अब 30 अप्रैल को खुलने जा रहे हैं सारी तैयारियां भी अंतिम चरण पर पहुंच गई हैं।
देश इस समय कोरोना वायरस की चपेट में है। इसी को ध्यान में रखते हुए लोगों की सुरक्षा के लिए भारत सरकार ने लॉकडाउन की अवधि बढ़ा दी है। 15 अप्रैल से बढ़कर अब लॉकडाउन 3 मई तक का हो गया है। वहीं इस लॉकडाउन की वजह से बहुत सारी चीजों में रुकावटें भी आई हैं।
भगवान बद्रीनारायण के कपाट अब 30 अप्रैल को खुलने जा रहे हैं सारी तैयारियां भी अंतिम चरण पर पहुंच गई हैं। आदि काल से कपाल खुलने और धार्मिक अनुष्ठानों होने की ये परंपरा चली आ रही है। मगर इस बार कोरोना वायरस की वजह से भक्तों की भीड़ इकट्ठा नहीं हो पाएगी। वैसे ये पहली बार नहीं होगा जब कपाट खुलने पर भक्तों की संख्या नहीं होगी। ऐसा पहले भी एक बार हो चुका है।
सौ साल बाद खुद को दोहराने इतिहास
दरअसल धाम के धर्माधिकारी भुवन उनियाल ने एक मीडिया हाउस से बात करते हुए बताया कि इससे पहले साल 1920 में एक बार ऐसा हो चुका है जब बद्रीनारायण के कपाट खुलने पर भक्तों की भीड़ नहीं जमा थी। जिस तरह इस समय पूरा देश कोरोना की चपेट में है उस समय गढ़वाल परिक्षेत्र में हैजा फैला हुआ था। जिस वजसे धाम पर यात्री नहीं पहुंचे थे।
एक बार फिर से 100 साल बाद इतिहास खुद को दोहराने जा रहा है। इस साल भी कोरोना और लॉकडाउन महामारी के चलते दाम के कपोटोद्धाटन पर तीर्थयात्री नहीं पहुंचेंगे। एक बार फिर से तीर्थयात्रियों के अखंड ज्योति के दर्शन ना कर पाने की स्थिती बन रही है।
वहीं बदरीनाथ धाम में कपाट खुलने में सिर्फ 13 दिन ही शेष रह गए हैं। ऐसे में मंदिर समिति के अवर अभियंता गिरीश रावत के नेतृत्व में 18 सदस्यों का दल शुक्रवार को बदरीनाथ धाम पहुंचा है। ये दल कपाट खुलने से पहले मंदिर की सभी व्यवस्थाओं दुरुस्त करेगा।