प्यार कोई खेल नहीं है और अगर प्यार का रिश्ता टूट जाए तो इसके दर्द से बाहर आ पाना भी मजाक नहीं है। कई लोगों के लिए यह असंभव हो जाता है। लेकिन विज्ञान का मानना है कि यह संभव भी है और आसान भी है, बस जरूरत है तो एक खास इलाज की।
जी हां, सर्दी-जुकाम होने पर, बुखार होने पर, कोई गंभीर जानलेवा बीमारी होने पर भी इलाज कराने से मरीज की जान बचाई जा सकती है। लेकिन प्यार में रोगी हो चुके व्यक्ति की लाइफ को सुधारने के लिए भी इलाज होता है, क्या आपने कभी ये सुना है?
न्यूरोफीडबैक थेरेपी
एक इंटरनेशनल अंग्रेजी वेबसाइट के अनुसार 'न्यूरोफीडबैक' नाम की एक थेरेपी से ऐसा संभव है। इस थेरेपी की मदद से प्यार में चोट खाए लोग उस दर्द से बाहर आ सकते हैं और एक नई जिन्दगी को बिना किसी भावनात्मक परेशानी के भरपूर जी सकते हैं।
वेबसाइट के दावे के अनुसार एक लड़की ने ब्रेकअप के दर्द से बाहर आने के लिए न्यूरोफीडबैक नाम की इस थेरेपी की मदद ली। इस थेरेपी को एक बार आजमाने से ही उसने अपने भीतर मानसिक और भावनात्मक रूप से कई बदलाव देखे। ब्रेकअप के बाद जिस परेशानी को वो लंबे समय से झेल रही थी, उसने उसमें कमी देखी। वो अन्दर से खुश थी।
क्या है न्यूरोफीडबैक थेरेपी?
न्यूरोफीडबैक एक ऐसी थेरेपी है जो नींद ना आने की बीमारी, लगातार रहने वाले सिरदर्द और बेचेनी के इलाज के लिए इस्तेमाल की जाती है। यह थेरेपी दिमागी तरंगों पर काम करती हैं। उन्हें शांत करके मानसिक संतुलन बनाए रखती है। जब इंसान का अपने दिमाग पर काबू नहीं रहता है, तब इस थेरेपी से चीजें कंट्रोल में लाई जाती हैं।
थेरेपी पर गहराई से अध्ययन कर चुकी शोधकर्ता फिशर ने इसे विस्तार से समझाया है। उसके मुताबिक ब्रेकअप के बाद उस रिश्ते से उभरने के लिए सिर्फ और सिर्फ थेरेपी ही काम नहीं आती। खुद से भी व्यक्ति को कई कोशिशें करनी पड़ती हैं। और ये दोनों चीजें मिलकर उसे इस समय से बाहर निकालती हैं।
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एक खास रिसर्च
न्यूरोफीडबैक थेरेपी पर काम करते हुए फिशर ने कुछ लोगों को अपने शोध में शामिल किया। इनमें से कुछ लोगों ने नया-नया रिश्ता शुरू किया था। और कुछ लोग रिश्ते के उस मोड़ पर थे जहां वे भावनातमक कठिनाईयों को झेल रहे थे।
फिशर ने इन लोगों के ऊपर MRI टेस्ट किया। नए-नए प्यार में पड़े लोगों को जब MRI मशीन में डाला और फिर उनके प्रेमी या प्रेमिका की तस्वीर जैसे ही उन्हें दिखाई गई तो उनका दिमाग लाइट ली तरह तेजी से जल उठा। इसके ठीक बाद फिशर ने उन्हें '4321' नंबर को बड़े साइज़ में दिखाया और उनसे कहा कि इस नंबर को उलटा पढ़ें। यानी 1, 2 से स्टार्ट करें।
फिशर ने बताया कि जैसे ही उन्होंने इस नंबर को उलटा पढ़ना शुरू किया तो उनके दिमाग की वो चमक कम होने लगी। आखिरकार दिमागी तरंगे पहले जैसी नार्मल हो गई। इसपर फिशर का कहना है कि जैसे ही हमारा दिमाग किसी ऐसी चीज की ओर मुड़ जाता है जहां अधिक ध्यान लगा पड़ता है, तब वह कुछ सेकंड्स पहले वाली बात को भूल जाता है। फिर वो बात प्यार से जुड़ी क्यों ना हो।
फिशर ने कहा कि न्यूरोफीडबैक थेरेपी में इसी तरह की चीजों का सहारा लिया जाता है। लेकिन व्यक्ति छाहे तो अपने दम पर भी 'एक्स' को भुलाने की कोशिश कर सकता है।
अक्सर लोग इसके लिए नए दोस्त बनाते हैं, उनके साथ अधिक धूमते हैं, नए रिश्ते में भी पड़ने की कोशिश करते हैं, लेकिन इससे पूरा रिजल्ट हासिल नहीं होता है। फिशर के मुताबिक जब एक्स की याद आए और जिस वजह से याद आए उस चीज को छोड़कर अचानक किसी ऐसे काम में लग जाना चाहिए जिसमें आपका दिमाग पूरी तरह से खो जाए।
इसके अलावा अगर आपके पास अपने एक्स से जुड़ी यादें हैं, फोन के मैसेज, तस्वीरें, तोहफे, या ऐसी कोई भी याद आपने अपने पास रखी है तो उसे डिलीट करें। उनसे बात करने या उनके कांटेक्ट करने का सोचें भी नहीं। ऐसा ख्याल भी मन में आए तो खुद को किसी काम में उलझा लें।
फिशर ने प्यार में धोखा खाए हुए लोगों के दिमाग को जब MRI में पढ़ा तो उसे काफी बदलाव दिखाई दिया। वक्त के साथ उनकी दिमागी तरंगों ने विभिन्न आकार लिए हैं जो ये दर्शाते हैं कि समय हर दर्द की दवा है। बस इलाज करना है या नहीं, इसका फैसला करना जरूरी है।