सैलरी बढ़ने से नहीं, ऑफिस में इस एक वजह से सबसे अधिक खुश होते हैं लोग
By गुलनीत कौर | Published: December 24, 2018 12:01 PM2018-12-24T12:01:00+5:302018-12-24T12:01:00+5:30
जब कर्मचारी अपनी जॉब से खुश नहीं होता तो सबसे पहले वो लग्न से काम करना छोड़ देता है। इसके बाद काम ना करने के बहाने बनाता है। गलतियां अधिक करता है। काम से छुट्टी अधिक लेता है।
हर कंपनी चाहती है कि उसके एम्प्लॉई (कर्मचारी) खुश रहें। कर्मचारी खुश रहेगा तो पूरे मन से काम करेगा और अंत में इसका फायदा कंपनी को ही मिलता है। लेकिन कम्पनी का हर कमर्चारी अपनी नौकरी से खुश हो, उसे किसी भी प्रकार की शिकायत ना हो, क्या ऐसा आपने किसी कंपनी में देखा है? नहीं ना? क्योंकि हर कर्मचारी के पास दुखी होने का कोई ना कोई कारण जरूर होता है।
आपमें भी अपने ऑफिस या मेनेजर को लेकर असंतुष्टि की भावना जरूर होगी। या फिर ऑफिस की ऐसी कोई बात जरूर होगी जो आपको परेशान करती है। आमतौर पर लोग अपनी कम सैलरी या सैलरी के कम बढ़ने को लेकर परेशान होते हैं। सैलरी ही उनके दुख का सबसे बड़ा कारण बन जाती है। लेकिन एक शोध की मानें तो कम सैलरी या सैलरी का मन मुताबिक ना बढ़ना कर्मचारी के दुख का कारण नहीं है। यह दुख बहुत छोटा माना गया है। असली दुख कुछ और ही है।
अमेरिका की गैलप पोल कंपनी ने एक सर्वे किया है। इस सर्वे के मुताबिक अपनी जॉब से केवल वही लोग संतुष्ट होते हैं जिनके हाथ में हर चीज का कंट्रोल होता है। यानी ऑफिस में काम करते समय उन्हें अपने फैसले स्वतंत्रा से लेने की इजाजत होती है तो वे मन लगाकर काम करते हैं। साथ ही ऑफिस की कोई पालिसी भी अगर उनपर हावी ना हो रही हो, तो उन्हें अपनी जॉब को लेकर किसी बात की शिकायत नहीं होती है।
ये है एम्प्लॉई के दुख का कारण
अब जब खुशी का कारण 'फ्रीडम' है तो दुख भी यही है। हर बड़ी से छोटी बात के लिए मेनेजर से परमिशन लेना। कैसा भी काम हो, उसे करने से पहले इजाजत लेने के लिए ई-मेल करना। अगर खुद कोई फैसला ले लिया हो तो उसपर मेनेजर का टांग अड़ाना। हर बात पर मेनेजर का चिक-चिक करना। यह आजकल के एम्प्लॉई के दुख का सबसे बड़ा कारण बन गया है। इसके बाद दूसरा बड़ा कारण है छुट्टी के लिए परमिशन ना मिलना।
70 फीसदी एम्प्लॉई दिल से काम नहीं करते
शोध के दौरान 70 फीसदी लोगों ने यह बात कबूल की कि वे मन से अपनी जॉब नहीं कर रहे हैं। जिसका सबसे बड़ा कारण है काम के दौरान उन्हें स्वतंत्रता ना मिलना। उन्हें मन मुताबिक अपना काम नहीं करने दिया जाता है। अपने आइडियाज और फैसलों को सामने नहीं रखने दिया जाता है। उनका मेनेजर उनके हर फैसले में बाधा बनकर खड़ा हो जाता है।
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दुखी एम्प्लॉई करता है ऐसे गलत काम
शोध के अनुसार जब कर्मचारी अपनी जॉब से खुश नहीं होता तो सबसे पहले वो लग्न से काम करना छोड़ देता है। इसके बाद काम ना करने के बहाने बनाता है। गलतियां अधिक करता है। काम से छुट्टी अधिक लेता है। जिस वजह से कंपनी के कई महत्वपूर्ण क्लाइंट भी उसके हाथ से निकल जाते हैं। कंपनी को भारी नुकसान होता है।
अब आप सोच रहे होंगे कि इस तरह के कर्मचारी को प्रोत्साहित करने के लिए कंपनी सैलरी में अच्छा इजाफा कर सकती है। मगर शोध की मानें तो सैलरी का बढ़ना कुछ ही समय की खुशी लाता है। जैसे ही सैलरी अच्छी संख्या में बढ़ती है तो कुछ ही कर्मचारी बेहद खुश होकर काम करता है। लेकिन ऑफिस का वातावरण पहले जैसा ही होने की वजह से उसकी यह खुशी कुछ ही दिनों में छूमंतर हो जाती है। और वापस वह उस दुख को महसूस करने लगता है।
एम्प्लॉई को ऐसे खुश रखें
तो फिर खुश कैसे रहें? ऐसा क्या करें कि हमें अपनी जॉब से प्यार हो? क्योंकि वास्तव में कंपनी कैसी भी हो, आमदनी कमाने के लिए हमें जॉब करनी ही होगी। और अगर खुशी से जॉब की जाए तो यह हमारे मानसिक स्वास्थ्य के लिए भी अच्छा रहता है।
तो ऐसे में क्या किया जाए? शोध के अनुसार एम्प्लॉई खुशी खुशी तभी जॉब करता है जब मेनेजर उसके आइडियाज को भी सुने। कुछ जगह उसे फैसले लेने दे। कभी कभी बिना किसी चिक-चिक के उसकी छुट्टी अप्रूव कर दे। और कभी-कभार उसे घर से काम करने की भी अनुमति दे। मेनेजर अगर उसे समझे तो एम्प्लॉई दिल से काम करता है और उसका ऑफिस आने का भी मन करता है।