गुजरात के दलित नेता जिग्नेश मेवानी के दिल्ली पार्लियामेंट स्ट्रीट पर की गई रैली सोशल मीडिया पर टॉप ट्रेंड बनी रही। रैली को 'युवा हुंकार रैली' नाम दिया गया था। लेकिन सोशल मीडिया इसे 'सांपों की फुफकार रैली' करार दिया गया। सरकार की नीतियों के खिलाफ जिग्नेश की ये रैली शुरू से ही विवादों में चल रही थी। ट्विटर पर इसमें आर-पार की लड़ाई जैसा रहा। जिग्नेश के समर्थकों ने भीड़ की तस्वीरें डालीं तो विरोधियों ने खाली कुर्सियों की तस्वीरें पोस्ट कर इसे फ्लॉप शो बताया।
सैड इंडियन ने लिखा, जेएनयू में आजकल हाजिरी अनिवार्य हो गई है। इसलिए जिग्नेश मेवानी की रैली फेल हो गई।
अभिजीत व्यास लिखते हैं- 'युवा हुंकार रैली से ज्यादा लोग तो इंदौर में किसी भी समय पोहे जलेबी की दुकान पर खड़े मिलते हैं।'
क्राइम मास्टर गोगो ने लिखा 'युवा हुंकार रैली' में लोगों की भीड़ देखकर मुझे लगता है मैं भी जिग्नेश हूं।
वहीं सुभाष चौहान नाम के एक यूजर्स ने इस रैली को जहरीले सांप की फुफकार रैली कहा है।
के वेंकेटशवरराव लिखते हैं, 'मुझे लगता है कि लोग दूसरा अरविंद केजरीवाल बना रहे हैं। लीडरशीप केवल लोगों के सपोर्ट से ही आता है।'
उपाध्याय कृष्णा रैली में खाली कुर्सियों पर चुटकी लेते हुए लिखतें है, 'युवा की हुंकार रैली तक पहुंच ही नहीं पाई इसलिए चेयर खाली रह गई हैं।'
धीरज आहूजा लिखते हैं कि क्या दिल्ली पुलिस का शहर पर कोई कंट्रोल नहीं है? जब परमिशन नहीं थी तब क्यों रैली करने दी गई।
डिजिटल हिंदुस्तानी नाम के अकाउंट से लिखा गया है कि जिसे देखो वो ही रैली करने के लिए दिल्ली चला आता है। जितनी रैली वाले नहीं उससे ज्यादा तो पुलिस हो जाती है।
दिल्ली पुलिस ने 26 जनवरी का हवाला देते हुए रैली करने की इजाजत नहीं दी थी। जिग्नेश को समर्थन देने के लिए सीनियर एडवोकेट प्रंशात भूषण, शहला राशिद, कन्हैया कुमार, उमर खालिद, असम किसान नेता अखिल गोगोई संसद मार्ग पहुंचे थे।