2-जी 'घोटाले' के सभी आरोपी हो गये बरी, जानिए कांग्रेस के गले की फांस बने इन घोटालों का क्या हुआ?

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Updated: December 21, 2017 18:11 IST2017-12-21T17:42:09+5:302017-12-21T18:11:06+5:30

गुरुवार को 2-जी घोटाले के आरोपी बरी हो गये। जानिए कोयला घोटाले, कॉमनवेल्थ घोटाले का क्या हुआ?

These Five Scams Topple the UPA Government Know Investigation Progress in Narendra Modi Raj | 2-जी 'घोटाले' के सभी आरोपी हो गये बरी, जानिए कांग्रेस के गले की फांस बने इन घोटालों का क्या हुआ?

2-जी 'घोटाले' के सभी आरोपी हो गये बरी, जानिए कांग्रेस के गले की फांस बने इन घोटालों का क्या हुआ?

गुरुवार (21 दिसंबर) को सीबीआई की विशेष अदालत ने 2-जी स्पेक्ट्रेम आवंटन में हुए कथित घोटाले के सभी आरोपियों को बरी कर दिया। सीबीआई अदालत ने डीएमके नेता ए राजा और राज्य सभा सांसद कनिमोई समेत आरोपियों को सभी आरोपों से बरी कर दिया। जिन आरोपियों को अदालत ने बरी किया उनमें पूर्व टेलीकॉम सचिव सिद्धार्थ बेहुरा, ए. राजा के तत्कालीन निजी सचिव आरके चंदौलिया, स्वान टेलीकॉम के प्रमोटर शाहिद उस्मान बलवा, विनोद गोयनका, यूनिटेक कंपनी के एमडी संजय चंद्रा, कुशेगांव फ्रूटस एंड वेजिटेबल प्राइवेट लिमिटेड के आसिफ बलवा व राजीव अग्रवाल, कलाईगनार टीवी के निदेशक शरद कुमार और सिनेयुग फिल्म्स के करीम मोरानी के अलावा रिलायंस अनिल धीरूभाई अंबानी ग्रुप के वरिष्ठ अधिकारी गौतम जोशी, सुरेंद्र पिपारा, हरि नैयर शामिल हैं। 

आदर्श सोसाइटी घोटाला-

मुंबई के कोलाबा में स्थित 31 मंजिला आदर्श हाउसिंग सोसाइटी भारतीय सेना के कर्मचारियों और विधवाओं के लिए बनायी गयी थी। नवंबर 2010 में ये बात सामने आयी कि इस सोसाइटी को बनाने में नियमों का उल्लंघन हुआ है। ये बात भी सामने आयी कि कई प्रमुख राजनेताओं और नौकरशाहों ने सैन्यकर्मियों की इस सोसाइटी में बाजार भाव से कम दाम में फ्लैट ले रखे हैं। ये आरोप भी लगा कि कई नेताओं ने दूसरों के नाम पर फ्लैट लिए हैं। उस समय भारत के नियंत्रक और महालेखापरीक्षक (कैग) ने अपनी रिपोर्ट में कहा था, "आदर्श सोसाइटी मामले से ये सामने आता है कि किस तरह अहम पदों पर तैनात कुछ नौकरशाह नियम-कानून बदलकर निजी फायदे के लिए कीमती जमीन-जायदाद हासिल कर सकते हैं।" आदर्श सोसाइटी घोटाले के समय भी कैग प्रमुख विनोद राय थे।

उस समय महाराष्ट्र में कांग्रेस की सरकार थी। तत्कालीन कांग्रेसी मुख्यमंत्री अशोक चव्हाण को आदर्श सोसाइटी घोटाले की वजह से इस्तीफा देना पड़ा था। चव्हाण मामले में आरोपी हैं। आदर्श सोसाइटी घोटाले की जाँच बॉम्बे हाई कोर्ट की निगरानी में सीबीआई कर रही है। प्रवर्तन निदेशालय (ईडी) और आयकर विभाग भी जाँच से जुड़ा है। इस घोटाले की आंच चव्हाण के अलावा दो अन्य पूर्व मुख्यमंत्रियों सुशील कुमार शिंदे और विलासराव देशमुख तक भी पहुंची। चव्हाण साल 2008 से 2010 तक महाराष्ट्र के सीएम रहे थे। उन पर आरोप है कि उनके कार्यकाल में ही आदर्श सोसाइटी के 40 प्रतिशत फ्लैट को आम नागरिकों (सिविलियन) को देने की मंजूरी दी गयी थी।

सीबीआई की एफआईआर में आदर्श सोसाइटी के जनरल सेक्रेटरी आसी ठाकुर, रिटायर्ड ब्रिडेडियर एमएम वांचू, कांग्रेस नेता कन्हैयालाल गिडवानी, पूर्व मेजर जनरल एआर कुमार, पूर्व ब्रिगेडियर रमेश चंद्र शर्मा,  पूर्व ब्रिगेडियर और तत्कालीन जीओसी (एमजी एंड जी) पितांबर किशोर रामपाल, तत्कालीन डिप्टी जीओसी (एमजी एंड जी) प्रदीप व्यास, साल 2002 से 2005 तक मुंबई के जिलाधिकारी रहे सुभाल लाला, तत्कालीन मुख्यमंत्री के तत्कालीन प्रधान सचिव रामानंद तिवारी, तत्कालीन शहरी विकास प्रधान सचिव पीवी देशमुख, तत्कालीन शहरी विकास उप सचिव मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) तेज कृष्ण कौल, तत्कालीन जीओसी (एमजी एंड जी) ब्रिगेडियर (सेवानिवृत्त) ताराकांत सिन्हा का नाम है। 

सीबीआई ने आरसी ठाकुर, एमएम वांचू, पीवी देशमुख, कन्हैयालाल गिडवानी और मेजर जनरल (सेवानिवृत्त) एआर कुमार इत्यादि को सीबीआई ने इस मामले में गिरफ्तार किया। बॉम्बे हाई कोर्ट सीबीआई को प्रभावसाली और रसूखदार लोगों के खिलाफ कार्रवाी करने से बचने के लिए फटकार लगा चुकी है।

दिसंबर 2013 में महाराष्ट्र के तत्कालीन राज्यपाल के शंकरन ने सीबीआई को चव्हाण के खिलाफ मामला दर्ज करने का आदेश नहीं दिया था। बाद में साल 2016 में राज्यपाल विद्यासागर राव ने सीबीआई को चव्हाण पर मामला चलाने की इजाजत दी। चव्हाण ने राज्यपाल के खिलाफ हाई कोर्ट में अपील की जिस पर अभी अंतिम फैसला आना है। इसी साल सितंबर में सीबीआई ने सीबीआई की विशेष अदालत से कहा कि आदर्श सोसाइटी मामले में उसकी जाँच पूरी हो चुकी है।

कोयला घोटाला-

अगस्त 2012 में संसद में लेश की गयी कैग रिपोर्ट में साल 2004 से 2009 के बीच देश की विभिन्न कोयला खदानों के आवंटन में घोटाले की आशंका जतायी गयी। कैग का अनुमान था कि गलत तरीके से आवंटन करने से सरकारी खजाने को करीब 1.86 लाख करोड़ रुपये का नुकसान हुआ है। कोयला घोटाले से जुड़े मामले पर अदालत की सुनावाई जारी  है। इससे जुड़े एक मामले में 16 दिसंबर को सीबीआई की विशेष अदालत ने दिल्ली में झारखंड के पूर्व सीएम मधु कोड़ा को कोयला घोटाले के लिए तीन साल जेल की सजा सुनायी। कोड़ा के अलावा उनके करीबी विजय जोशी, पूर्व कोयला सचिव एचसी गुप्ता और झारखंड के तत्कालीन मुख्य सचिव एके बसु को भी तीन-तीन जेल की सजा हुई। अदालत ने कोड़ा और जोशी पर 25-25 लाख रुपये और गुप्ता और बसु पर एक-एक लाख रुपये का जुर्माना भी लगाया। विनी आयरल और स्टील उद्योग लिमिटेड नामक प्राइवेट कंपनियों को भी अदालत ने दोषी पाया और उन पर 50-50 लाख रुपये जुर्माना लगाया। सभी दोषियों को अदालत ने हाई कोर्ट में फैसले के खिलाफ अपील करने के लिए दो महीने की अतंरिम जमानत दी है।

वाड्रा-डीएलएफ लैंड डील-

कांग्रेस नीत यूपीए के दूसरे कार्यकाल में जिस घोटाले की आज तक गूँज सुनायी देती है उनमें एक है रॉबर्ड वाड्रा और डीएलएफ के बीच भूमि सौदे में हुआ कथित घोटाला। ये मामला साल 2012 में सामने आया था। इसे सामने लाने में हरियाणा कैडर के आईएएस अशोक खेमका की अहम भूमिका रही थी। 
मई 2015 में हरियाणा की मनोहर लाल खट्टर के नेतृत्व वाली बीजेपी सरकार ने वाड्रा-डीएलएफ डील की जांच के लिए एक सदस्यीय जस्टिस एसएन धींगरा कमीशन का गठन किया था। कमीशन अपनी रिपोर्ट सौंप चुका है।  अब हरियाणा सरकार को इस रिपोर्ट पर फैसला लेना है।

कॉमनवेल्थ घोटाला-

साल 2010 में सामने आया कॉमनवेल्थ घोटाला भी यूपीए सरकार के गले की फांस बन गया था। केंद्रीय सतर्कता आयोग (सीवीसी) के अनुसार राष्ट्रमंडल खेलों के दौरान करीब 70 हजार करोड़ रुपये के घोटाले के आरोप लगे। जुलाई 2010 में सीवीसी ने अपनी रिपोर्ट में कहा कि कॉमनवेल्थ के 14 प्रोजेक्ट में अनिमियतता पायी गयी। कांग्रेस नेता सुरेश कलमाड़ी को पर स्विस टाइमिंग नामक कंपनी को 141 करोड़ का ठेका देने का आरोप लगा जो मूल कीमत से 95 करोड़ रुपये ज्यादा बताया गया। कलमाड़ी के अलावा उनके सहयोगी ललित भनोत और वीके वर्मा को भी इस मामले में गिरफ्तार किया गया था। कलमाड़ी करीब 10 महीने तक जेल में रहने के बाद जमानत पा सके।

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