अपने बगावती व्यवहार से राजस्थान की राजनीति में घमासान मचाने के बीच करीब एक महीने बाद जयपुर लौटे कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने मंगलवार को कहा कि उन्होंने पार्टी से किसी पद की मांग नहीं की है, लेकिन वह चाहते हैं कि उनके साथ आवाज उठाने वाले विधायकों के खिलाफ कोई द्वेषपूर्ण कार्रवाई नहीं हो. पायलट ने उम्मीद जताई कि पार्टी आलाकमान द्वारा गठित तीन सदस्यीय समिति जल्द ही अपना काम शुरू करेगी.
उन्होंने कहा कि अखिल भारतीय कांग्रेस कमेटी की एक उच्चस्तरीय कमेटी बनी है, जो समयबद्ध तरीके से इन सभी समस्याओं का समाधान करने के लिए नियुक्त की गई है. उन्हें पूरा विश्वास है कि यह कमेटी सारी बातों को सुनने के बाद जो न्याय संगत होगा, उस पर कार्रवाई करेगी. इससे पहले पायलट सड़क मार्ग से दिल्ली से जयपुर पहुंचे. उन्होंने अपने निवास पर संवाददाताओं से कहा, ''हमारी निष्ठा पर जो शक करने वाले लोग हैं, उनको आज हकीकत का सामना करना पड़ेगा. राजस्थान की जनता के लिए हमारी प्रतिबद्धता सौ प्रतिशत है.''
पायलट ने कहा, ''मतभेद वैचारिक हो सकता है, कार्यशैली का हो सकता है, सोच का हो सकता है, लेकिन राजनीति में व्यक्तिगत द्वेष और व्यक्तिगत टकराव की कोई जगह नहीं होती. मेरा सब नेताओं के साथ अच्छे संबंध थे..हैं और रहेंगे.''उन्होंने कहा, ''प्रदेश सरकार के हित में जो बातें मैंने पहले बोली हैं, उस पर संज्ञान लिया गया और जब-जब मुझे लगेगा, मैं अपनी बात रखूंगा.''
पायलट ने मौजूदा घटनाक्रम में उनके खिलाफ की गई बातों को लेकर क्षोभ जताते हुए कहा, ''मेरे बारे में व्यक्तिगत रूप से कुछ ऐसी बातें बोली गईं, जिनको मैं उचित नहीं मानता था. जिन शब्दों का प्रयोग हुआ, उसे सुनकर मुझे दुख भी हुआ और बहुत पीड़ा भी हुई, लेकिन उन्होंने राजनीति में उदाहरण स्थापित करने और विनम्रता बनाए रखने की सोच के चलते कुछ नहीं बोला.
उल्लेखनीय है कि मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने पायलट पर तीखा हमले करते हुए उन्हें प्रदेशाध्यक्ष के रूप में निकम्मा व नकारा बताते हुए कहा था कि जिस व्यक्ति को कांग्रेस प्रदेशाध्यक्ष के रूप में इतना मान सम्मान मिला, वही पार्टी की पीठ में छुरा भोंकने को तैयार हो गया.