नई दिल्ली, 28 सितंबरः चुनावी रण के लिए तेलंगाना तैयार हो चुका है। मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, राजस्थान और मिजोरम के साथ यहां भी चुनाव हो सकते हैं। निर्वाचन आयोग की एक टीम ने राज्य में चुनाव की तैयारियों का जायजा लिया है। रिपोर्ट्स के मुताबिक टीम ने तेलंगाना चुनाव के लिए हरी झंडी दे दी है। माना जा रहा है कि आयोग अगले हफ्ते पांच राज्यों में चुनावी कार्यक्रम की घोषणा कर सकता है।
निर्वाचन आयोग की टीम ने एक मुद्दा उठाया है। राजनीतिक विमर्श के दौरान उन्होंने पाया कि कांग्रेस पार्टी ने राज्य निर्वाचन आयोग की भूमिका पर कांग्रेस ने चिंता जाहिर की है। इकोनॉमिक टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक आयोग का कहना है कि इस मुद्दे पर पहले भी चर्चा की जा चुकी है। राज्य मुख्य निर्वाचन अधिकारी ने आयोग में पहले ही रिपोर्ट सौंप दी है कि राज्य चुनाव करवाने के लिए तैयार है।
एक साथ चुनाव करवाने को लेकर दो और तथ्य इसका समर्थन करते हैं। पहला, 2002 में गुजरात विधानसभा समय से पूर्व भंग कर दी गई है। उस वक्त सुप्रीम कोर्ट ने आदेश दिया कि 'पहले प्रयास' में ही चुनाव करवाए जाएं। दूसरा फैक्टर कहता है कि कोई भी चुनाव इस प्रकार से ना करवाया जाए कि अन्य चुनाव को प्रभावित कर सके। तेलंगाना चुनाव को चार राज्यों के विधानसभा और लोकसभा चुनाव के बीच करवाने से इसकी संभावना बढ़ जाती है।
सुप्रीम कोर्ट ने अपने आदेश में कहा था कि सदन भंग होने की स्थिति में ‘पहले अवसर’ में ही चुनाव कराया जाना चाहिए, क्योंकि कार्यवाहक सरकार सत्ता में बने रहकर उसका लाभ नहीं उठा सकती। सीईसी ओपी रावत ने कहा कि कोई भी विधानसभा भंग करके छह महीने तक कार्यवाहक सरकार के रूप में सत्ता पर काबिज नहीं रह सकता।
यह बात सीईसी ने सात सितंबर को ही स्पष्ट कर दी, जब तेलंगाना से आई समयपूर्व चुनाव की मांग पर दिल्ली में चुनाव आयोग की बैठक हुई। सीईसी ने कहा कि विधानसभा समयपूर्व भंग किए जाने की तारीख से छह महीने के अंदर हर हाल में चुनाव कराना है, ताकि नई विधानसभा गठित हो।
ऐसा करना चुनाव आयोग की मजबूरी है और इस फांस में मुख्य चुनाव आयुक्त को तेलंगाना के मुख्यमंत्री ने अपने राजनीतिक स्वार्थवश डाला है।
नई योजनाओं के ऐलान से रोक
निर्वाचन आयोग ने कहा है कि राज्य विधानसभा भंग होते ही आचार संहिता लागू हो जाती है। इसलिए कार्यवाहक सरकार किसी नई योजना का प्रारम्भ नहीं कर सकती है। कुछ सप्ताह पहले तेलंगाना में विधानसभा को निर्धारित कार्यकाल जून 2019 पूरा होने से पहले ही भंग किए जाने के संबंध में आयोग का यह निर्णय महत्वपूर्ण है। इसके तहत तेलंगाना में भी आयोग के गुरुवार को यह स्थिति स्पष्ट किए जाने के साथ ही आचार संहिता लागू मानी जाएगी।