लाइव न्यूज़ :

सभी राजनीतिक दलों को भारत-पाकिस्तान, धर्म और जाति की राजनीति को छोड़ कर अर्थव्यवस्था के लिए काम करना चाहिए: शिवसेना

By भाषा | Updated: May 2, 2020 18:02 IST

शिवसेना ने अर्थशास्त्री रघुराम राजन की बातों को कोट करते हुए कहा कि लॉकडाउन के बाद सरकार की गरीबों की वर्तमान परिभाषा बदल जाएगी। पूरे देश को लॉकडाउन के आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे।

Open in App
ठळक मुद्देशिवसेना ने कहा कि मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग भी गरीब की श्रेणी में आ जाएंगे और आर्थिक रूप से पिछड़ा होने का प्रमाणपत्र मांगने लगेंगेशिवसेना ने कहा कि अमेरिका जैसे विकसित देश तक में भी बेरोजगारी की गंभीर समस्या शुरू हो गई है।

मुंबई: शिवसेना ने कोरोना वायरस रोकने के लिए लगे लॉकडाउन का देश की अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले दीर्घकालिक असर पर चिंता व्यक्त करते हुए शनिवार को कहा कि सभी राजनीतिक दलों को सांप्रदायिक राजनीति छोड़ कर अर्थव्यवस्था को वापस पटरी पर लाने के लिए काम करना चाहिए। पार्टी ने कहा कि कोविड-19 के प्रभाव पर कांग्रेस नेता राहुल गांधी और आरबीआई के पूर्व गवर्नर रघुराम राजन की बीच हाल ही में हुई चर्चा ने यह दिखाया कि अर्थव्यवस्था के लिए कितना कठिन समय है।

शिवसेना ने कहा, ‘‘कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने अर्थशास्त्री रघुराम राजन के साथ डिजिटल माध्यम से बातचीत की थी। राजन ने कहा कि सरकार को कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण परेशानी का सामना कर रहे गरीब लोगों के लिए 65000 करोड़ रुपए खर्च करने की जरूरत है। पूरे देश को लॉकडाउन के आर्थिक परिणाम भुगतने होंगे।’’

पार्टी ने कहा,‘‘राजन ने कहा कि लॉकडाउन के बाद सरकार की गरीबों की वर्तमान परिभाषा बदल जाएगी। मध्यम वर्ग और उच्च मध्यम वर्ग भी गरीब की श्रेणी में आ जाएंगे और आर्थिक रूप से पिछड़ा होने का प्रमाणपत्र मांगने लगेंगे। अमेरिका जैसे विकसित देश तक में भी बेरोजगारी की गंभीर समस्या शुरू हो गई है।’’

पार्टी ने कहा, ‘‘उन्होंने कहा कि अमेरिका में बेरोजगारी भत्ते का प्रावधान है जो भारत में नहीं है। भारत में 10 करोड़ लोग बेरोजगार हो जाएगें, जो चिंता का विषय है।’’ शिवसेना ने कहा कि उनकी बातचीत से यह स्पष्ट है कि अनिश्चितकाल तक बंद अर्थव्यवस्था के लिए मंहगा साबित होगा। सरकार को तय नियमों के अलावा भी काम करना होगा।

निर्णय लेने की शक्ति और अधिकार केवल कुछ लोगों के हाथों तक ही सीमित नहीं रह सकते। पार्टी ने कहा कि जहां तक महाराष्ट्र की बात है 2019-20 की राजस्व आय 3.15 लाख करोड़ रूपये हैं वहीं खर्च 3.35 लाख करोड़ रूपये हैं। लेकिन बंद के कारण राजस्व घाटा बढ़ेगा और राज्य चलाना मुश्किल हो जाउगा। पार्टी ने कहा,‘‘केन्द्र सरकार को सब को साथ ले कर चलना होगा।

उसे सब के विचारों पर ध्यान देना होगा और आगे का खाका तैयार करना होगा।’’ पार्टी ने कहा,‘‘भारत में सभी राजनीतिक दलों को भारत-पाकिस्तान, धर्म और जाति की राजनीति को छोड़ कर अर्थव्यवस्था को पटरी पर लाने के लिए काम करना चाहिए। प्रधानमंत्री को नेतृत्व करना चाहिए और पूरा देश उनके साथ है।’’ 

टॅग्स :शिव सेनारघुराम राजनराहुल गांधीकोरोना वायरस लॉकडाउनबेरोजगारी
Open in App

संबंधित खबरें

भारतशशि थरूर को व्लादिमीर पुतिन के लिए राष्ट्रपति के भोज में न्योता, राहुल गांधी और खड़गे को नहीं

भारतIndiGo Crisis: इंडिगो के उड़ानों के रद्द होने पर राहुल गांधी ने किया रिएक्ट, बोले- "सरकार के एकाधिकार मॉडल का नतीजा"

भारतMaharashtra Local Body Elections: महाराष्ट्र निकाय चुनाव के लिए वोटिंग शुरू, भाजपा और शिवसेना के बीच मुकाबला

भारततंबाकू, पान मसाला और अन्य तंबाकू और होंगे महंगे?, सोमवार को 2 विधेयक लोकसभा में पेश, जानें क्या होंगे बदलाव

भारतसिंधुदुर्ग स्थानीय निकाय चुनावः संदेश पारकर के लिए प्रचार क्यों कर रहे हैं?, भाजपा नेता नितेश राणे ने उपमुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे को घेरते हुए पूछे सवाल?

राजनीति अधिक खबरें

राजनीतिDUSU Election 2025: आर्यन मान को हरियाणा-दिल्ली की खाप पंचायतों ने दिया समर्थन

राजनीतिबिहार के उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी से मिलीं पाखी हेगड़े, भाजपा में शामिल होने की अटकलें

राजनीतिBihar voter revision: वोटरों की सही स्थिति का पता चलेगा, SIR को लेकर रूपेश पाण्डेय ने कहा

राजनीतिबिहार विधानसभा चुनावः बगहा सीट पर बीजेपी की हैट्रिक लगाएंगे रुपेश पाण्डेय?

राजनीतिगोवा विधानसभा बजट सत्रः 304 करोड़ की 'बिना टेंडर' परियोजनाओं पर बवाल, विपक्ष का हंगामा