बॉलीवुड एक्टर सुशांत सिंह राजपूत की संदिग्ध मौत के मामले की जांच सीबीआई को सौंपे जाने को लेकर एनसीपी शरद पवार की प्रतिक्रिया सामने आई है। महाराष्ट्र सरकार में शामिल एनसीपी के प्रमुख शरद पवार ने तंज कसते हुए लिखा है कि उन्हें आशा है कि सुशांत मामले की जांच का हाल डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच जैसा न हो जाए। साथ ही उन्होंने ये भी लिखा कि उन्हें उम्मीद है कि महाराष्ट्र की सरकार सीबीआई की इस जांच में पूरा सहयोग करेगी।
सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को सुशांत सिंह राजपूत की मौत के मामले को सीबीआई को सौंपने का फैसला दिया था। इसके बाद से ही कई तरह की प्रतिक्रिया सामने आ रही है। महाराष्ट्र सरकार और राज्य की पुलिस हाल के दिनों में सुशांत मामले में जांच को लेकर आलोचना का शिकार होती रही है। वहीं, कई लोग इस पूरे मामले को राजनीति और बिहार के चुनाव से भी जोड़ कर देख रहे हैं।
बहरहाल, शरद पवार ने गुरुवार सुबह ट्वीट कर कहा, 'मुझे आशा है, इस जांच के परिणाम डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच जैसे न हो। साल 2014 में #CBI द्वारा शुरू की गई नरेंद्र दाभोलकर की हत्या की जांच का अभी तक कोई हल नहीं निकल पाया है।'
पवार ने साथ ही लिखा, 'सुप्रीम कोर्ट ने सुशांत सिंह राजपूत जांच प्रक्रिया #CBI को हस्तांतरित करने का आदेश दिया है। मुझे यकीन है कि महाराष्ट्र सरकार इस निर्णय का सम्मान करेगी और जांच में पूरी तरह से सहयोग करेगी।'
इससे पहले सुशांत मामले की सीबीआई जांच के फैसले पर शरद पवार के पोते पार्थ ने बुधवार को ‘सत्यमेव जयते’ लिखकर ट्वीट किया था। पार्थ ने मामले की जांच सीबीआई से कराने की मांग की थी, जिस पर पवार ने पिछले हफ्ते सार्वजनिक रूप से पार्थ पवार को फटकार भी लगाई थी। सुप्रीम कोर्ट के फैसले के बाद पार्थ ने बिना किसी मामले का संदर्भ देते हुए लिखा, ‘सत्यमेव जयते’।
आज डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की मौत की बरसी
शरद पवार का ये ट्वीट डॉ. नरेंद्र दाभोलकर की बरसी पर आया है। उनकी मौत को सात साल हो गए हैं। गौरतलब है कि महाराष्ट्र के सामाजिक कार्यकर्ता डॉक्टर नरेंद्र दाभोलकर की हत्या 20 अगस्त 2013 को कर दी गई थी। उनकी हत्या की जांच न पूरी हो पाने पर उनकी बेटी मुक्ता दाभोलकर और बेटे डॉ. हमीद दाभोलकर ने भी मंगलवार को निराशा जताई थी।
महाराष्ट्र अंधश्रद्धा निर्मूलन समिति के संस्थापक नरेंद्र दाभोलकर की पुणे में दो मोटरसाइकिल सवार हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। हामिद ने जांच पूरी नहीं होने को लेकर निराशा जताते हुए कहा, 'यह दुखद है कि सात साल बाद भी सीबीआई जैसी प्रतिष्ठित एजेंसी जांच पूरा नहीं कर पाई है। सीबीआई को उन्हें ढूंढना चाहिए। अन्यथा लेखकों, तर्कवादियों और पत्रकारों की बोलने की स्वतंत्रता पर खतरा बना रहेगा।'
हामिद ने साथ ही कहा, ‘जब दाभोलकर की हत्या हुई, उस समय कांग्रेस-राकांपा सरकार सत्ता में थी। जब कॉमरेड गोविंद पंसारे की हत्या (2015 में) हुई, भाजपा-शिवसेना की सरकार थी और अब शिवसेना, कांग्रेस तथा राकांपा की गठबंधन सरकार है।’