सरदार पटेल, जिन्होंने गांधी जी के एक वचन पर ठुकरा दी पीएम की कुर्सी!
By आदित्य द्विवेदी | Updated: December 15, 2017 12:59 IST2017-12-15T12:39:59+5:302017-12-15T12:59:48+5:30
पुण्यतिथि विशेषः लौहपुरुष सरदार वल्लभ भाई पटेल की आज पुण्यतिथि है

सरदार पटेल, जिन्होंने गांधी जी के एक वचन पर ठुकरा दी पीएम की कुर्सी!
सन् 1946 में आजादी से पहले तय कर लिया गया था कि कांग्रेस पार्टी का अध्यक्ष ही देश का प्रधानमंत्री होगा। उस वक्त कांग्रेस की कमान स्वतंत्रता सेनानी मौलान आजाद के हाथ में थी। पार्टी अध्यक्ष पद के लिए चुनाव आयोजित किए गए। सरदार बल्लभ भाई पटेल को 15 में से 12 राज्य इकाइयों का समर्थन मिला। नेहरू को सिर्फ वर्किंग कमेटी का समर्थन हासिल हुआ। आजादी के बाद सरदार पटेल के प्रधानमंत्री बनने का रास्ता साफ था।
उस वक्त महात्मा गांधी को यह व्यावहारिक नहीं लगा। उन्हें लगता था कि पार्टी के अंदर पटेल की पकड़ भले ही मजबूत हो लेकिन व्यावहारिक राजनीति में नेहरू बेहतर साबित होंगे। गांधी को ये भी डर था कि कहीं कांग्रेस दो ध्रुवों के बीच टूट ना जाए जिसका फायदा अंग्रेज उठा लें। उन्होंने सरदार पटेल को अकेले में बुलाया और जवाहर लाल नेहरू को नेतृत्व स्वीकार करने का निवेदन किया। उसके बाद सभी जानते हैं कि देश के प्रथम प्रधानमंत्री कौन थे।
गृहमंत्री रहते हुए सरदार पटेल ने भारत को एकसूत्र में पिरोया। आजादी के दौरान भारत में करीब 562 देशी रियासतें थीं। सरदार पटेल ने जरूरत के अनुसार सभी रियासतों पर मान मनौव्वल और बल प्रयोग किया एवं जटिल समस्याओं का व्यावहारिक हल निकाला। जूनागढ़, हैदराबाद और कश्मीर को छोड़कर सभी रियासतें भारत में शामिल हो गईं। सरदार पटेल और नेहरू के प्रयासों से बाद में इन रियासतों को भी भारत में शामिल होना पड़ा। हालांकि कश्मीर का विवाद आज भी बरकरार है।
'मुझे हैरानी और दुख हुआ जब विभाजन के सवाल पर पटेल ने कहा कि भले हम चाहे या नहीं लेकिन भारत के दो टुकड़े हो गए हैं'
अबुल कलाम आजाद का ये वक्तव्य सरदार वल्लभ भाई पटेल की छवि का एक विरोधाभाषी विस्तार करता है। पटेल को भारत के वर्तमान भौगोलिक स्वरूप का निर्माता माना जाता है। उन्होंने छोटे-छोटे टुकड़ों में बंटी रियासतों को भारत गणराज्य में शामिल करके देश को एक सूत्र में पिरोया। लेकिन पाकिस्तान के बंटवारे के लिए सिर्फ जिन्ना और नेहरू जिम्मेदार हैं पटेल नहीं? पार्टिशन प्लान के आर्टिकेट वीपी मेनन ने लिखा है कि भारत-पाकिस्तान विभाजन का प्रस्ताव सरदार पटेल ने दिसंबर 1946 में स्वीकार कर लिया था जबकि नेहरू छह महीने का और वक्त चाहते थे। स्वतंत्रता सेनानी और विभाजन का विरोध करने वाले अबुल कलाम आजाद ने भी सरदार पटेल के विभाजन स्वीकार करने के संकेत दिए हैं।
राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ को लेकर पटेल के दो वक्तव्य
महात्मा गांधी की हत्या के तीन हफ्ते पहले सरदार पटेल ने स्वयंसेवकों को कांग्रेस में शामिल होने का आमंत्रण दिया था। उन्होंने कहा कि कांग्रेस में जो सत्ता में हैं उन्हें लगता है कि ताकत के दम पर वो आरएसएस को खत्म कर देंगे। आप डंडे दिखाकर किसी संगठन को खत्म नहीं कर सकते। डंडा चोर और डकैतों के लिए है। वे देशभक्त हैं जो अपने देश से प्यार करते हैं। सिर्फ उनके सोचने का तरीका जुदा है।
लेकिन बड़ी तेजी से घटनाक्रम बदले और नाथूराम गोडसे ने महात्मा गांधी की हत्या कर दी। हालांकि इस मामले में प्रत्यक्ष रूप से आरएसएस की संलिप्तता नहीं पाई गई लेकिन ये माना जाता रहा कि नाथूराम इसी विचारधारा से संचालित था। सरदार पटेल ने 28 जुलाई, 1948 को श्यामा प्रसाद मुखर्जी को एक चिट्ठी लिखी थी। उन्होंने लिखा कि देश में आरएसएस और हिंदू महासभा ने ऐसा माहौल बनाया जिसकी वजह से गांधी जी की हत्या जैसी दुर्घटना घटी। उन्होंने कहा कि मेरे दिमाग में कोई शंका नहीं है कि इसके पीछे कट्टर हिंदू महासभा का हाथ है। आरएसएस की गतिविधियों ने भारत सरकार के सामने चुनौती पेश की है।
सरदार पटेल के अंतिम संस्कार का एक वीडियो...
सरदार वल्लभ भाई पटेल के बारे में कुछ रोचक बातें
- स्वतंत्रता आंदोलन के शुरुआती दिनों में पटेल की रुचि राजनीति और महात्मा गांधी के सिद्धांतों में बिल्कुल नहीं थी। लेकिन महात्मा गांधी से मिलने के बाद वो कांग्रेस में शामिल हुए और बाद में देश के उपप्रधानमंत्री बने।
- महात्मा गांधी की ही प्रेरणा से सरदार पटेल ने अपनी नौकरी छोड़कर स्वतंत्रता आंदोलन में कूद पड़े थे।
- महात्मा गांधी के साथ सरदार पटेल ने असहयोग आंदोलन में हिस्सा लिया और करीब 3 लाख सदस्य जोड़े। उन्होंने पार्टी फंड के लिए करीब 15 लाख रुपये भी जुटाए।
- जब महात्मा गांधी जेल में थे तो पटेल से सत्याग्रह आंदोलन की अगुवाई करने की जिम्मेदारी दी गई।
- सरदार पटेल ने ही गुजराती किसानों को कैरा डिस्ट्रक्ट को-ऑपरेटिव मिल्क प्रोड्यूसर्स यूनियन बनाने के लिए प्रेरित किया, जो बाद में अमूल बनी।
- सरदार पटेल को उनके निधन के काफी समय बाद 1991 में भारत रत्न से नवाजा गया।