राजस्थानः कांग्रेस संगठन पर पायलट कैंप की नजर, अविनाश पांडे की छुट्टी, अपनी पहली जीत की तरह ले रहे सचिन

By धीरेंद्र जैन | Updated: August 18, 2020 20:47 IST2020-08-18T20:47:05+5:302020-08-18T20:47:05+5:30

पायलट खेमा प्रदेश कांग्रेस में एक कार्यकारी अध्यक्ष और एक संगठन मंत्री के पद के साथ ही अपने समर्थकों को जिलाध्यक्षों के रूप में देखना चाहता है।

Rajasthan jaipur CM Ashok Gehlot congress sachin pilot camp's eye organization Avinash Pandey's leave first win | राजस्थानः कांग्रेस संगठन पर पायलट कैंप की नजर, अविनाश पांडे की छुट्टी, अपनी पहली जीत की तरह ले रहे सचिन

कार्यकारिणी में अधिकाधिक अपने समर्थकों को स्थान दिलाने और अहम पद दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।

Highlightsजानकारी के अनुसार इसके लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली में हैं और आलाकमान और शीर्ष नेताओं के यहां लाॅबिंग कर रहे हैं। उल्लेखनीय है कि सोमवार को नये प्रदेश प्रभारी अजय माकन के साथ उनकी भेंट को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। ऐसा माना जा रहा हैं कि प्रदेश कार्यकारिणी के पुनर्गठन को लेकर गहलोत-पायलट में खींचतान होना तय माना जा रहा है।

जयपुरः राजस्थान से प्रदेश प्रभारी अविनाश पांडे की छुट्टी को अपनी पहली जीत की तरह ले रहे सचिन पायलट कैंप की नजर अब प्रदेश में बनने वाली कांग्रेस की नई कार्यकारिणी पर है।

सूत्रों के अनुसार पायलट खेमा प्रदेश कांग्रेस में एक कार्यकारी अध्यक्ष और एक संगठन मंत्री के पद के साथ ही अपने समर्थकों को जिलाध्यक्षों के रूप में देखना चाहता है। जानकारी के अनुसार इसके लिए पूर्व उपमुख्यमंत्री सचिन पायलट दिल्ली में हैं और आलाकमान और शीर्ष नेताओं के यहां लाॅबिंग कर रहे हैं।

उल्लेखनीय है कि सोमवार को नये प्रदेश प्रभारी अजय माकन के साथ उनकी भेंट को भी इससे जोड़कर देखा जा रहा है। पायलट ने प्रदेश प्रभारी के साथ भी प्रदेश कार्यकारिणी को लेकर चर्चा की थी। ऐसा माना जा रहा हैं कि प्रदेश कार्यकारिणी के पुनर्गठन को लेकर गहलोत-पायलट में खींचतान होना तय माना जा रहा है। दोनों ही कार्यकारिणी में अधिकाधिक अपने समर्थकों को स्थान दिलाने और अहम पद दिलाने के लिए हरसंभव प्रयास करेंगे।

राजस्थान में मंत्रिमंडल विस्तार में दिखेगा ‘पायलट फैक्टर‘

राजस्थान विधानसभा में प्रदेश की कांग्रेस सरकार को विश्वास मत मिलने के साथ ही अब मंत्रिमंडल के विस्तार की गहमागहमी तेज हो गई है। भले ही गहलोत सरकार पर आया सियासी संकट टल गया हो, लेकिन सत्ता और संगठन में संकट और बढ़ गया है। सबसे बड़ा संकट मंत्रिमंडल विस्तार और फेरबदल का है।

मुख्यमंत्री अशोक गहलोत को अपने समर्थक विधायकों की नाराजगी का भय भी सता रहा है। पायलट की बगावत के बाद उन्होंने अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान देने के जो मंसूबे बनाये थे, उन पर सचिन पायलट खेमे की वापसी के कारण पानी फिर गया।

अब पायलट खेमे को नजरअंदाज कर अपने समर्थकों को मंत्रिमंडल में स्थान देने मुख्यमंत्री के लिए बडी चुनौती है। ऐसे में सबसे अधिक नाराजगी सरकार को समर्थन दे रहे निर्दलीय विधायकों और बसपा से कांग्रेस में शामिल हुए 6 विधायकों की ओर से देखने को मिल सकती है। सूत्रों के अनुसार पायलट खेमा 3 केबिनेट और 2 राज्यमंत्री के पदों को लेकर अड़ा हुआ है।

ऐसा बताया जा रहा है कि मौजूदा विधानसभा सत्र के तुरंत बाद मंत्रिमंडल विस्तार की उल्टी गिनती शुरू हो जाएगी। ऐसी संभावना जताई जा रही है कि मुख्यमंत्री जल्द ही कांगे्रस अध्यक्ष सोनिया गांधी से मिलकर इस संबंध में चर्चा कर सकते हैं। वहीं लंबे समय से बीमार चल रहे सामाजिक न्याय मंत्री भंवरलाल मेघवाल को मंत्रिमंडल से हटाया जाना तय है। साथ ही प्रदेशाध्यक्ष की कमान संभालने वाले शिक्षामंत्री गोविंद सिंह डोटासरा को भी मंत्रिमंडल से हटाये जाने की चर्चा जोरों पर है।
 

 

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