नई दिल्लीः मोदी सरकार के खिलाफ़ राहुल गांधी अपने हमले को कतई कमज़ोर करने के मूड में नज़र नहीं आ रहे। राहुल ने राजस्थान के राजनीतिक संकट पर लंबी खामोशी के बाद जब पहली प्रतिक्रिया दी तो ट्वीट के ज़रिये मोदी सरकार को निशाने पर लिया।
लिखा "कोरोना काल में सरकार की उपलब्धियाँ, फ़रवरी- नमस्ते ट्रंप, मार्च-मध्य प्रदेश में सरकार गिरायी, अप्रैल -मोमबत्ती जलवाई, मई -सरकार की 6 वीं सालगिरह ,जून -बिहार में वर्चुअल रैली और जुलाई -राजस्थान सरकार गिराने की कोशिश।
इसीलिए देश कोरोना की लड़ाई में 'आत्मनिर्भर ' है। राहुल के हमलों से तिलमिलाई सरकार के मंत्रियों ने भी ट्वीट कर राहुल पर हमले शुरू कर दिए। प्रकाश जावड़ेकर ने राहुल के ट्वीट की नकल कर हमला तो बोला लेकिन उसकी धार उतनी पैनी नहीं थी, शाहीन बाग़ से सिंधिया का भाजपा में जाना, मध्य प्रदेश में कांग्रेस सरकार का गिरना, चीन का बचाव और राजस्थान में कांग्रेस का पतन जैसे मुद्दे उसी क्रम में गिनाये।
अमित शाह ,रविशंकर प्रसाद ,जे पी नड्डा जैसे बड़े भाजपा नेता राहुल के हमले के बाद सक्रिय होते नज़र आते रहे हैं लेकिन कांग्रेस में राहुल मोदी सरकार के खिलाफ अकेले मोर्चा संभाले हुये हैं। राजस्थान के संकट पर राहुल का मोदी सरकार पर हमला यह इशारा कर रहा है कि कल तक सचिन पायलट को वापस पार्टी में लाने की बात कर रहे राहुल को भरोसा हो गया है कि पायलट भाजपा की गिरफ़्त में हैं।
सूत्र बताते हैं कि राहुल ने राजस्थान संकट को पार्टी की अंतरिम अध्यक्ष सोनिया गांधी पर छोड़ दिया है, यही कारण है कि गहलोत के सचिन पायलट को निक्कमा कहने पर कांग्रेस नेतृत्व ने कोई नाराज़गी व्यक्त नहीं की है, बल्कि उस टिप्पणी के दूसरे दिन राहुल ने मोदी सरकार पर हमला बोल दिया।