राजस्थान का सियासी संकटः हाईकोर्ट ने विधानसभाध्यक्ष को नोटिस जारी कर जबाव मांगा, मुख्य सचेतक को 13 अगस्त तक जवाब देने को कहा

By धीरेंद्र जैन | Published: August 5, 2020 09:00 PM2020-08-05T21:00:16+5:302020-08-05T21:00:16+5:30

मुख्य सचेतक महेश जोषी को नोटिस जारी कर 13 अगस्त तक जवाब तलब किया है। वहीं भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा पार्टी ने हाईकोर्ट की एकलपीठ के अंतरिम आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है। जिस पर अब गुरुवार को सुनवाई होगी।

Rajasthan jaipur CM Ashok Gehlot congress bjp High Court issued notice Speaker seeking response | राजस्थान का सियासी संकटः हाईकोर्ट ने विधानसभाध्यक्ष को नोटिस जारी कर जबाव मांगा, मुख्य सचेतक को 13 अगस्त तक जवाब देने को कहा

कांग्रेस से निलंबित विधायक भंवरलाल शर्मा की चारों याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्द करते हुए मामले की सुनवाई अब आगामी 13 अगस्त को निश्चित की है। 

Highlightsबुधवार को सीजे इंद्रजीत महांति और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ में सुनवाई हुई।मौजूदा हालात में बसपा विधायकों को नोटिस तामील कराना संभव नहीं है। ऐसे में 30 जुलाई के आदेश को दी चुनौती।विधानसभा स्पीकर, सचिव और बसपा के 6 विधायकों को नोटिस भेजते हुए 11 अगस्त तक जवाब देने को कहा था।

जयपुरः राजस्थान के सियासी घमासान के बीच बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय मामले में हाईकोर्ट ने विधानसभाध्यक्ष सीपी जोषी को नोटिस भेज कर गुरुवार सुबह 10.30 बजे तक जवाब देने को कहा है और सुनवाई भी तब तक के लिए स्थगित कर दी है।

साथ ही हाईकोर्ट ने विधायकों की खरीद-फरोख्त मामले में बागी विधायक भंवरलाल शर्मा द्वारा जांच एनआईए से कराने की मांग के मामले में सुनवाई करते हुए मुख्य सचेतक महेश जोषी को नोटिस जारी कर 13 अगस्त तक जवाब तलब किया है। वहीं भाजपा विधायक मदन दिलावर और बसपा पार्टी ने हाईकोर्ट की एकलपीठ के अंतरिम आदेश को खंडपीठ में चुनौती दी है। जिस पर अब गुरुवार को सुनवाई होगी।

इससे पहले बुधवार को सीजे इंद्रजीत महांति और जस्टिस प्रकाश गुप्ता की खंडपीठ में सुनवाई हुई। जिसमें विधायकों के कांग्रेस में विलय को रद्द करने की गुहार की गई है। उनका कहना है कि मौजूदा हालात में बसपा विधायकों को नोटिस तामील कराना संभव नहीं है। ऐसे में 30 जुलाई के आदेश को दी चुनौती।

उल्लेखनीय है कि गत 30 जुलाई को राजस्थान हाईकोर्ट ने बसपा के 6 विधायकों के कांग्रेस में विलय के मामले में विधानसभा स्पीकर, सचिव और बसपा के 6 विधायकों को नोटिस भेजते हुए 11 अगस्त तक जवाब देने को कहा था। उक्त मामले में बसपा ने गुहार लगाई कि जब तक मामला कोर्ट में है।

तब तक बसपा विधायकों को फ्लोर टेस्ट में किसी भी पक्ष को मतदान नहीं करने दिया जाए। राजस्थान हाईकोर्ट ने कांग्रेस से निलंबित विधायक भंवरलाल शर्मा की चारों याचिकाओं को एक साथ सूचीबद्द करते हुए मामले की सुनवाई अब आगामी 13 अगस्त को निश्चित की है। 

सरकार बचाने के लिए गहलोत कर रहे हैं पुलिस, एसओजी और एसीबी को यंत्रों की तरह इस्तेमाल - सतीश पूनिया

भाजपा के राजस्थान में प्रदेशाध्यक्ष सतीश पूनिया ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधते हुए कहा कि राजस्थान के मुख्यमंत्री अशोक गहलोत अपनी कुर्सी बचाने के लिए पुलिस, एसओजी और एसीबी का यंत्रों की तरह इस्तेमाल कर रहे है। सतीश पूनिया भाजपा कार्यालय में पत्रकारों को संबोधित कर रहे थे।

डाॅ. सतीश पूनिया ने कहा कि सरकार की नीयत बदली नहीं है, पहले जैसी ही है और पूर्वाग्रहों से ग्रसित होकर अपने ही विधायकों के खिलाफ साजिश रची गई, जिसका अब खुलासा हो चुका है। प्रदेश की जनता का विश्वास सरकार अब खो चुकी है।

उन्होंने कहा कि हमने काफी पहले कहा था कि 124ए राजद्रोह का मामला है और यह अग्रेजों के समय 1870 में यह कानून था। जो महात्मा गांधी ने भी कई बार लगाया था। बाल गंगाधर तिलक पर भी एक पत्रिका में लेख लिखने पर इस कानून के तहत कार्रवाई की गई थी।

उन्होंने कहा कि कांग्रेस में विग्रह और प्रदेश सरकार की अस्थिरता राजद्रोह का मामला कैसे हो सकता है, यह बडे आचश्र्च की बात है। एसओजी द्वारा 124ए वापस लेने से यह स्पष्ट है कि प्रदेश सरकार इस मामले में गलत थी। राजद्रोह का मामला वापस लेना प्रदेश सरकार की नैतिक हार है।

इससे सरकार द्वारा की जा रही साजिशों का खुलासा हो गया है। सरकार एसीबी और एसओजी  का भय दिखाकर निर्दलीय और छोटे दलों के विधायकों को डराना चाहती थी। सतीश पूनिया ने कहा कि सरकार के पास बहुमत होता तो पहले ही परेड हो चुकी होती, य सामान्य सी परम्परा है।

जो विधायक सरकार के साथ हैं, मुख्यमंत्री को उन पर भी भरोसा नहीं हैं, सभी को कड़ें पहरे में अपराधियों की तरह नजरबंद कर रखा है, विधायक एक-दूसरे के कमरों में भी नहीं जा सकते। मोबाईल नेटवर्क जाम करने के लिए जैमर लगा रखे हैं। मुख्यमंत्री स्वयं स्वीकार कर चुके है कि रक्षाबंधन को वे और उनके समर्थक विधायक अपने-अपने घर तक नहीं जा पाये।

 

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