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राजस्थान संकटः सियासी उलझन में कांग्रेस-भाजपा, गहलोत के पास पूर्ण बहुमत, जानिए किसके पास कितने MLA

By प्रदीप द्विवेदी | Updated: July 24, 2020 14:56 IST

राजस्थान की सियासी उलझन को लेकर अब तक विभिन्न मामले हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं, जिनके कारण पहले ही देरी हो रही है, लिहाजा, राजस्थान हाईकोर्ट से सचिन पायलट गुट को राहत मिलने के बाद सीएम गहलोत आक्रामक सियासी तेवर के साथ सामने आए हैं.

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ठळक मुद्देमीडिया के सामने आकर राज्यपाल पर आरोप लगाए कि वे ऊपर से दबाव की वजह से विधानसभा का सत्र नहीं बुला रहे हैं.गहलोत का कहना था कि वे अपने विधायकों को लेकर राजभवन जा रहे हैं, जहां सभी मिलकर राज्यपाल से अपील करेंगे कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए.सीएम गहलोत का कहना था कि हमने राज्यपाल को कल पत्र भेजकर अपील की थी कि हम विधानसभा का सत्र बुलाएं.

जयपुरः राजस्थान में मुख्यमंत्री अशोक गहलोत के पास पूर्ण बहुमत है और वे इसे जल्दी-से-जल्दी साबित करना चाहते हैं, ताकि छह माह के लिए उनकी सरकार सुरक्षित हो जाए, लेकिन सचिन पायलट खेमा और उनके प्रत्यक्ष-अप्रत्यक्ष सहयोगी चाहते हैं कि फ्लोर टेस्ट तब तक टाला जाए, जब तक की गहलोत सरकार बहुमत खो नहीं देती है.

राजस्थान की सियासी उलझन को लेकर अब तक विभिन्न मामले हाईकोर्ट-सुप्रीम कोर्ट में विचाराधीन हैं, जिनके कारण पहले ही देरी हो रही है, लिहाजा, राजस्थान हाईकोर्ट से सचिन पायलट गुट को राहत मिलने के बाद सीएम गहलोत आक्रामक सियासी तेवर के साथ सामने आए हैं और उन्होंने मीडिया के सामने आकर राज्यपाल पर आरोप लगाए कि वे ऊपर से दबाव की वजह से विधानसभा का सत्र नहीं बुला रहे हैं.

गहलोत का कहना था कि वे अपने विधायकों को लेकर राजभवन जा रहे हैं

विधानसभा में बहुमत होने का दावा करते हुए सीएम गहलोत का कहना था कि वे अपने विधायकों को लेकर राजभवन जा रहे हैं, जहां सभी मिलकर राज्यपाल से अपील करेंगे कि विधानसभा का सत्र बुलाया जाए. यही नहीं, उन्होंने आगे यहां तक कहा कि यदि राजस्थान की जनता राजभवन घेर लेती है तो हमारी जिम्मेदारी नहीं होगी.

सीएम गहलोत का कहना था कि हमने राज्यपाल को कल पत्र भेजकर अपील की थी कि हम विधानसभा का सत्र बुलाएं और कोरोना सहित सभी मुद्दों पर चर्चा करें. हमें उम्मीद थी कि वे रात में ही आदेश जारी कर देंगे, लेकिन अभी तक उन्होंने ऐसा नहीं किया है.

हमें लगता है कि ऊपर से दबाव की वजह से वे विधानसभा का सत्र बुलाने के लिए निर्देश नहीं दे रहे हैं. उधर, कोरोना संकट के आधार पर सीएम गहलोत को सत्र बुलाने की इजाजत नहीं मिल रही है, मतलब- जनता को लाचार करने वाला कोरोना संकट अब केन्द्र सरकार के लिए सियासी सुरक्षा का हथियार बनता जा रहा है.मजेदार बात यह है कि कोरोना संकट के बावजूद एमपी और राजस्थान में अलग-अलग तरह के निर्णय लिए गए हैं.

अभी विधानसभा में संख्याबल इस प्रकार से है.

सीएम अशोक गहलोत समर्थक- कुल संख्या 100 (विधानसभा स्पीकर के अलावा कांग्रेस- 87, निर्दलीय, बीटीपी आदि- 13).

सचिन पायलट के साथ- कुल- 22 (19 विधायक और निर्दलीय- 3).

बीजेपी़ का संख्याबल- 75 (भाजपा- 72 और  आरएलपी- 3).

सबसे अलग- 1, सीपीएम.

इसका साफ मतलब है कि इस वक्त सीएम गहलोत के पास बहुमत तो है, लेकिन उतना ज्यादा भी नहीं कि गुजरते समय को तसल्ली से देखते रहें, दो-चार विधायक इधर-उधर हुए तो सारी सियासी तस्वीर ही उलट जाएगी. शायद इसीलिए, सीएम गहलोत ने आक्रामक सियासी तेवर अपना लिए हैं!

टॅग्स :राजस्थानजयपुरकांग्रेसभारतीय जनता पार्टी (बीजेपी)कलराज मिश्रअशोक गहलोतसचिन पायलटगजेंद्र सिंह शेखावत
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