MP Taja Khabar: मध्य प्रदेश के बागी विधायकों का दावा, कांग्रेस के 20 और विधायक हमारे साथ आने को तैयार
By भाषा | Published: March 17, 2020 04:32 PM2020-03-17T16:32:07+5:302020-03-17T16:32:44+5:30
ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिछले सप्ताह पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं।
बेंगलुरु: मध्य प्रदेश में राजनीतिक संकट के बीच कांग्रेस के बागी विधायकों ने मंगलवार को दावा किया कि पार्टी के 20 और विधायक उनके साथ आने को तैयार हैं और आने वाले दिनों में वे भाजपा में शामिल होने के बारे में सोच रहे हैं। इस्तीफा देने और बेंगलुरु पहुंचने के बाद पहली बार पत्रकारों से बात करते हुए 22 विधायकों ने कहा कि वे कोई भी परिणाम भुगतने को तैयार है।
एक महिला विधायक ने कहा, ‘‘ ज्योतिरादित्य सिंधिया हमारे नेता हैं, हम कई वर्षों से उनके साथ मिलकर राजनीति कर रहे हैं। हम में से कई तो उनकी वजह से ही राजनीति में हैं। हम अब भी भाजपा में शामिल होने के बारे में विचार कर रहे हैं। अगर हमें केन्द्रीय पुलिस से संरक्षण मिले तो हम मध्य प्रदेश वापस जाएंगे और इस बारे में सोचेंगे।’’
विधायकों ने दावा किया कि 20 और विधायक भी उनके साथ हैं लेकिन उन्हें ‘बंदी’ बना रखा है। अगर वे भी बागियों के साथ आ गए तो कांग्रेस स्पष्ट रूप से पूरी तरह से टूट जाएगी और समूह पर कोई कानून लागू नहीं हो सकता। बागी विधायकों ने कहा कि वे कोई भी परिणाम झेलने को तैयार हैं और उन्हें यकीन है कि उनके निर्वाचन क्षेत्र के लोग उनके साथ है। ज्योतिरादित्य सिंधिया के पिछले सप्ताह पार्टी छोड़ने के बाद कांग्रेस के 22 विधायकों ने इस्तीफा दे दिया था, जिसके बाद से 15 महीने पुरानी कमलनाथ सरकार पर खतरे के बादल मंडरा रहे हैं। सिंधिया 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गए।
एक बागी विधायक ने कहा, ‘‘हमारे नेता ज्योतिरादित्य सिंधिया को जब मुख्यमंत्री नहीं बनाया गया हम चुप रहे। कमलनाथ जो मुख्यमंत्री बने उन्होंने हमारे निर्वाचन क्षेत्रों को कोई कोष नहीं दिया, जबकि छिंदवाड़ा (कमलनाथ का निर्वाचन क्षेत्र) को मंत्रिमंडल की हर बैठक में फायदा पहुंचाया गया।’’
अन्य एक विधायक ने कहा कि कमलनाथ के पास उनसे मिलने और उनकी शिकायतें सुनने का समय ही नहीं था। उन्होंने कहा, ‘‘जब हमारे निर्वाचन क्षेत्रों में कोई विकास ही नहीं हो रहा तो फायदा ही क्या है?’’
कई विधायकों ने आरोप लगाया कि चुनाव के बाद मंत्रालय का गठन करने में अनुभव और योग्यता को नजरअंदाज किया गया। उन्होंने कहा कि हमने इस संबंध में कांग्रेस नेता राहुल गांधी से भी मुलाकात की लेकिन उससे भी कुछ निकलकर नहीं आया।