सोलापुर भाजपा सांसद का जाति प्रमाणपत्र फर्जी, जा सकती है सांसद सदस्यता
By लोकमत न्यूज़ डेस्क | Updated: February 25, 2020 14:32 IST2020-02-25T14:32:18+5:302020-02-25T14:32:18+5:30
सोलापुर सीट अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के लिए आरक्षित है। आदेश की एक प्रति पीटीआई के पास है। शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि अब उन्हें लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य ठहराया जा सकता है। स्वामी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशीलकुमार शिंदे को 2019 लोकसभा चुनावों में 1.5 लाख से अधिक मतों से हराया था।

गायकवाड़ ने आरोप लगाया था कि स्वामी एक हिंदू लिंगायत हैं।
सोलापुर के भाजपा सांसद जयसिद्धेश्वर शिवाचार्य महास्वामीजी के जाति प्रमाण पत्र को सोमवार को जिला जाति वैधता समिति ने अमान्य घोषित कर दिया और सांसद के खिलाफ मामला दर्ज करने का निर्देश दिया।
सोलापुर सीट अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी के लिए आरक्षित है। आदेश की एक प्रति पीटीआई के पास है। शिकायतकर्ता के वकील ने कहा कि अब उन्हें लोकसभा सांसद के रूप में अयोग्य ठहराया जा सकता है। स्वामी ने वरिष्ठ कांग्रेस नेता और पूर्व केंद्रीय मंत्री सुशीलकुमार शिंदे को 2019 लोकसभा चुनावों में 1.5 लाख से अधिक मतों से हराया था।
प्रमोद गायकवाड़ नामक व्यक्ति ने वैधता समिति से शिकायत की थी कि स्वामी ने अपने चुनावी हलफनामे में उल्लेख किया था कि वह 'बेडा जंगम' समुदाय से हैं जो अनुसूचित जाति (एससी) श्रेणी का हिस्सा है। गायकवाड़ ने आरोप लगाया था कि स्वामी एक हिंदू लिंगायत हैं और उन्होंने उनके जाति प्रमाण पत्र की विस्तृत जांच की मांग की थी।
ज्ञानदेव सुल की अध्यक्षता और छाया गाडेकर और संतोष जाधव की सदस्यता वाली तीन सदस्यीय समिति ने अपने 20 फरवरी के आदेश में स्वामी के दावे को खारिज कर दिया और जनवरी, 1982 में जारी उनके जाति प्रमाणपत्र को निरस्त कर दिया। समिति ने कहा कि स्वामी ने अपने चुनावी हलफनामे में फर्जी प्रमाणपत्र दाखिल किया था। समिति ने अक्कलकोट (सोलापुर) जिला प्रशासन को उनके खिलाफ उचित कानूनी कार्यवाही शुरू करने का निर्देश दिया है।
पिछले साल जून में प्रकाश आंबेडकर के नेतृत्व वाली वंचित बहुजन अघाड़ी (वीबीए) के नेता प्रमोद आर. गायकवाड़, विनायक बी. कांदकुरे और मिलिंद एम. मुले ने स्वामी के चुनावी हलफनामे पर सवाल उठाते हुए शिकायत दर्ज कराई थी। इसके बाद समिति ने स्वामी को कारण बताओ नोटिस जारी किया था। गायकवाड़ का दावा था कि स्वामी ने अपने जाति प्रमाणपत्र में खुद को 'बेडा जंगम' समुदाय का बताया था जो अनुसूचित जाति के तहत आते हैं जबकि उनका भतीजा योगेश्वर सिद्धमायला 'हिंदू बेडा जंगम' समुदाय से है जो अन्य पिछड़ा वर्ग में आते हैं।