महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे ने 21 मई को होने वाले विधान परिषद के चुनाव के लिए नामांकन दाखिल किया। नामांकन के दौरान उनकी पत्नी और बेटे आदित्य ठाकरे मौजूद रहे। ठाकरे न तो विधानसभा के सदस्य हैं और न ही विधान परिषद के इसलिए उन्हें किसी एक सदन की सदस्यता हासिल करनी जरूरी है। संविधान के अनुसार पद ग्रहण करने के छह माह के भीतर उनका विधानसभा या विधान परिषद दोनों में से किसी एक का सदस्य निर्वाचित होना जरूरी है और ऐसा नहीं कर पाने की हालत में उन्हें पद त्यागना होगा।
कांग्रेस ने रविवार को घोषणा की कि उसने 21 मई को महाराष्ट्र विधान परिषद की नौ सीटों पर होने वाले चुनाव में दो में से एक उम्मीदवार का नाम वापस ले लिया है, इसके साथ ही मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे का विधान परिषद का सदस्य चुना जाना तय हो गया है।
महाराष्ट्र कांग्रेस अध्यक्ष बालासाहेब थोराट ने कहा, ''हमने विधान परिषद चुनाव के दो उम्मीदवारों में से एक का नाम वापस लेने का फैसला किया है, जिसका मतलब है कि एमवीए (शिवसेना, राकांपा और कांग्रेस का महा विकास आघाड़ी) नौ में से पांच सीटों पर उम्मीदवार उतारेगा।''
भाजपा ने चार उम्मीदवार उतारे हैं। भाजपा चारों सीटें जीत सकती है क्योंकि उसके पास विधानसभा में 105 सदस्य हैं और 11 सदस्य छोटे दलों के हैं तथा कुछ निर्दलीय हैं जो भाजपा का समर्थन कर रहे हैं। एक उम्मीदवार को जीतने के लिए 29 मतों की आवश्यकता है।