नई दिल्लीः आध्यात्मिकता, पर्यावरण संरक्षण और सामाजिक समरसता को बढ़ावा देने के उद्देश्य से महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी की हाल ही में जम्मू-कश्मीर के उपराज्यपाल श्री मनोज सिन्हा से मुलाकात हुई। इस महत्वपूर्ण बैठक में चतुष्पथ यात्रा के उद्देश्यों और इसके व्यापक प्रभावों पर भी चर्चा की गई। यात्रा पूरे देश में शांति, सह-अस्तित्व और सार्वजनिक कल्याण के संदेश को प्रसारित करने के लिए समर्पित है।
अखिल भारतीय आध्यात्मिक यात्रा
चतुष्पथ यात्रा को एक परिवर्तनकारी अभियान के रूप में देखा जा रहा है, जो भौगोलिक सीमाओं से परे जाकर समाज को एकता और आत्मबोध का संदेश देगा। यह यात्रा जम्मू-कश्मीर सहित कई राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों से होकर गुजरेगी। इस यात्रा का उद्देश्य न केवल आध्यात्मिक जागरूकता बढ़ाना है, बल्कि पर्यावरण संरक्षण और धार्मिक जीवनशैली को भी प्रोत्साहित करना है।
कामाख्या पीठ की उपासिका महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी ने इस यात्रा की महत्ता पर प्रकाश डालते हुए बताया कि यह यात्रा सामूहिक चेतना को प्रेरित करने और समाज में सकारात्मक बदलाव लाने का एक महत्वपूर्ण प्रयास है। भावपूर्ण मुलाकात में उपराज्यपाल मनोज सिन्हा ने इस यात्रा को समर्थन देने का आश्वासन दिया और इसके सुचारू संचालन के लिए प्रशासनिक सहयोग की प्रतिबद्धता जताई।
दो चरणों में संपन्न होगी यात्रा
चतुष्पथ यात्रा को दो प्रमुख चरणों में विभाजित किया गया है।
पहला चरण कामाख्या पीठ (असम) से जोधपुर (राजस्थान) तक आयोजित किया जाएगा।
दूसरा चरण रामेश्वरम (तमिलनाडु) से कश्मीर के आदि शंकराचार्य मंदिर तक संपन्न होगा।
कुल मिलाकर यह यात्रा लगभग 5,340 किलोमीटर की दूरी तय करेगी, जिसके दौरान महामंडलेश्वर संजनानंद गिरी सनातन धर्म के मूल्यों को प्रचारित करेंगे और समाज में अध्यात्मिक जागरूकता फैलाने का प्रयास करेंगे।
'एक भारत, दिव्य भारत व अखंड भारत' का संदेश
यात्रा के मीडिया प्रभारी दुष्यंत प्रताप सिंह ने इस यात्रा को लेकर विभिन्न वर्गों से मिल रहे अपार समर्थन की जानकारी दी। उन्होंने बताया कि यह यात्रा ‘एक भारत, दिव्य भारत, अखंड भारत’ के विचार को साकार करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस यात्रा का मुख्य उद्देश्य भारतीय संस्कृति, परंपरा और अध्यात्मिकता को सुदृढ़ बनाना और इसे जन-जन तक पहुंचाना है।
पर्यावरण संरक्षण के प्रति जागरूकता
यह यात्रा धार्मिक और सांस्कृतिक महत्व से परे जाकर पर्यावरणीय मुद्दों को भी संबोधित करेगी। विभिन्न पड़ावों पर स्वच्छता अभियान, वृक्षारोपण, जल संरक्षण और प्रदूषण नियंत्रण जैसे कार्यक्रमों का आयोजन किया जाएगा। यह आध्यात्मिक यात्रा आधुनिक समाज में पर्यावरणीय संतुलन को बनाए रखने का संदेश भी देगी।
समाज के लिए एक प्रेरणास्रोत
चतुष्पथ यात्रा केवल एक धार्मिक यात्रा न होकर एक समावेशी आंदोलन है, जो शांति, सौहार्द और सतत विकास को बढ़ावा देने का कार्य करेगा। इस यात्रा से समाज में समरसता और आध्यात्मिक चेतना का संचार होगा, जिससे भारत के सांस्कृतिक और सामाजिक मूल्यों को और अधिक सशक्त किया जा सकेगा।