मध्य प्रदेश में सियासी ड्रामे के बीच अब विधानसभा स्पीकर ने राज्यपाल को लिखा खत, कही ये बात
By भाषा | Published: March 18, 2020 07:47 AM2020-03-18T07:47:16+5:302020-03-18T07:51:37+5:30
मध्य प्रदेश: कांग्रेस का दावा है कि विधायकों को 'किडनैप' किया गया है और बीजेपी द्वारा बंदी बनाकर रखा गया है। ये सभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं। सिंधिया पिछले हफ्ते बीजेपी में शामिल हो गये थे।
मध्यप्रदेश विधानसभा अध्यक्ष नर्मदा प्रसाद प्रजापति ने मंगलवार को राज्यपाल लालजी टंडन को पत्र लिखकर प्रदेश के कथित तौर पर ‘‘लापता’’ विधायकों के प्रति चिंता व्यक्त करते हुए उनकी वापसी के लिए ठोस कदम उठाने का आग्रह किया। इन विधायकों ने अपने त्यागपत्र अध्यक्ष को भेज दिए हैं।
कांग्रेस का दावा है कि सभी विधायकों को 'किडनैप' किया गया है और बीजेपी द्वारा बंदी बनाकर रखा गया है। ये सभी ज्योतिरादित्य सिंधिया के करीबी हैं। सिंधिया पिछले हफ्ते बीजेपी में शामिल हो गये थे।
बहरहाल, प्रजापति ने सदन के लापता सदस्यों की वापसी के विषय में राज्यपाल को पत्र में लिखा, '‘मेरा आपसे विनम्र अनुरोध है कि आप प्रदेश के कार्यकारी प्रमुख एवं अभिभावक होने के नाते उक्त सभी लापता विधायकों के परिवारजनों एवं आत्मीयजनों की उपरोक्त शंकाओं के निराकरण एवं समाधान हेतु उनकी वापसी सुनिश्चत कराने की दिशा में ठोस कदम उठाकर मेरी और उन सदस्यों के परिजनों की चिंताओं का समाधान करने का कष्ट करें।’’
उन्होंने पत्र में लिखा है, ‘‘उपरोक्त विषयांतर्गत मैं आपका ध्यान एक अति गंभीर विषय की ओर आकर्षित करना चाहता हूं। 16 माननीय सदस्यों के त्यागपत्र अन्य लोगों के माध्यम से मुझे प्राप्त हुए। मध्यप्रदेश विधानसभा की प्रक्रिया तथा कार्य संचालन संबंधी नियमावली के नियम 276-1 ख के अंतर्गत इन्हें समक्ष उपस्थित होने के निर्देश दिये गये किन्तु एक भी सदस्य उपस्थित नहीं हुआ। परिणामत: उनके त्यागपत्र प्रकरण मेरे समक्ष विचाराधीन है।’’
उन्होंने पत्र में लिखा है कि ये विधायक 16 मार्च 2020 को आहूत विधानसभा की बैठक में भी अनुपस्थित रहे। इससे इन विधायकों में से कुछ के परिजनों द्वारा उनकी सुरक्षा के संबंध में चिन्ता भी व्यक्त की गई है तथा विधानसभा का पीठासीन प्रमुख होने के नाते इस पर चिंता व्यक्त की।
प्रजापति ने कहा, ‘‘यहां यह उल्लेख करना अनुचित न होगा कि सोशल मीडिया पर अनेक वीडियो जारी हुए हैं। ये त्यागपत्र प्रस्तुत करते समय विधायक के परिवार का व्यक्ति मेरे समक्ष प्रस्तुत नहीं हुआ। इससे इस आशंका की पुष्टि होती है कि उक्त त्यागपत्र सुनिश्चित रुप से दबाव डालकर लिखवाये गये हैं। यदि उक्त त्यागपत्र स्वेच्छा से प्रस्तुत किये गये होते तो क्या संबंधित विधायक के परिवार के सदस्य, निकट संबंधी अथवा उनके कार्यकर्ता साथ नहीं होते। क्या, यह स्पष्टत: संविधान के मौलिक अधिकारों में प्रदत्त स्वतंत्रता के अधिकारों का उल्लंधन नहीं है। क्या, प्रदेश के अन्य राजनेताओं की तरह ही इनके द्वारा स्वच्छंद वातावरण में प्रेस के सम्मुख निर्भीक होकर स्वेच्छा से बयान दिये जा रहे हैं।’’
गौरतलब है कि कांग्रेस द्वारा कथित तौर पर उपेक्षा किये जाने से परेशान होकर ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 10 मार्च को कांग्रेस की प्राथमिक सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था और 11 मार्च को भाजपा में शामिल हो गये। इसके बाद ही मध्यप्रदेश के 22 कांग्रेस विधायकों ने विधानसभा की सदस्यता से इस्तीफा दे दिया था, जिनमें से अधिकांश सिंधिया के कट्टर समर्थक हैं। 14 मार्च, शनिवार को अध्यक्ष ने छह विधायकों के त्यागपत्र मंजूर कर लिए जबकि शेष 16 विधायकों के त्यागपत्र पर अध्यक्ष ने फिलहाल कोई निर्णय नहीं लिया है।
इससे प्रदेश में कमलनाथ के नेतृत्व वाली कांग्रेस सरकार पर संकट गहरा गया है। ये सभी 22 सिंधिया समर्थक विधायक एवं पूर्व विधायक बेंगलुरु में डेरा डाले हुए हैं। बेंगलुरु में इन 22 सिंधिया समर्थक विधायाकों और पूर्व मंत्रियों ने पत्रकार वार्ता में बिना किसी कैद की अपनी स्वेच्छा से वहां रहने के बात कही और कहा कि यदि उन्हें केन्द्रीय सुरक्षा उपलब्ध कराई जाए तो वह मध्यप्रदेश आने के लिए तैयार हैं।