सिद्दि समुदाय के संतराम बुदना ने रचा इतिहास, कर्नाटक विधान परिषद में पहुंचने वाले पहले शख्स, जानिए पूरा मामला

By भाषा | Updated: July 27, 2020 22:05 IST2020-07-27T22:05:28+5:302020-07-27T22:05:28+5:30

सिद्दि के विधान परिषद जाने का श्रेय भाजपा को जाता है। सिद्दि आरएसएस से संबंद्ध वनवासी कल्याण आश्रम की राज्य इकाई के सदस्य हैं। उत्तरी कन्नड़ जिले में सिरसी और येल्लापुर के बीच हितलाहल्ली में एक साधारण से घर में रहने वाले शांताराम सिद्दि, अपने समुदाय में स्नातक की पढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति हैं।

Karnataka Legislative Council Santram Budna Siddi community created history first person to reach | सिद्दि समुदाय के संतराम बुदना ने रचा इतिहास, कर्नाटक विधान परिषद में पहुंचने वाले पहले शख्स, जानिए पूरा मामला

सिद्दि के अनुसार उनकी भाषा कोंकणी और मराठी का मिश्रित रूप है।

Highlights सिद्दि समुदाय की जड़ें अफ्रीका, मोजाम्बिक और केन्या में मिलती हैं। पुर्तगाली इस समुदाय के लोगों की दास के तौर तस्करी कर उन्हें पश्चिमी घाट के तटों पर ले आए थे।भारत की स्वतंत्रता के बाद पुर्तगाली यहां से चले गए और सिद्दि समुदाय ने पश्चिमी घाट के घने जंगलों में रहना शुरू कर दिया।सिद्दि ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''हमारे समुदाय के लोग केवल मुंबई, गोवा और कर्नाटक के पश्चिमी घाटों पर मिलते हैं।''

बेंगलुरुः कर्नाटक में सिद्दि समुदाय के लिये नयी खुशियां लेकर आया, जब इसका एक सदस्य पहली बार विधान परिषद का सदस्य बन गया। राज्यपाल वजुभाई वाला ने चार अन्य लोगों के साथ संतराम बुदना सिद्दि को कर्नाटक विधान परिषद के लिये मनोनीत किया गया।

सिद्दि के विधान परिषद जाने का श्रेय भाजपा को जाता है। सिद्दि आरएसएस से संबंद्ध वनवासी कल्याण आश्रम की राज्य इकाई के सदस्य हैं। उत्तरी कन्नड़ जिले में सिरसी और येल्लापुर के बीच हितलाहल्ली में एक साधारण से घर में रहने वाले शांताराम सिद्दि, अपने समुदाय में स्नातक की पढ़ाई करने वाले पहले व्यक्ति हैं।

उनके अनुसार सिद्दि समुदाय की जड़ें अफ्रीका, मोजाम्बिक और केन्या में मिलती हैं। पुर्तगाली इस समुदाय के लोगों की दास के तौर तस्करी कर उन्हें पश्चिमी घाट के तटों पर ले आए थे। भारत की स्वतंत्रता के बाद पुर्तगाली यहां से चले गए और सिद्दि समुदाय ने पश्चिमी घाट के घने जंगलों में रहना शुरू कर दिया।

सिद्दि ने 'पीटीआई-भाषा' से कहा, ''हमारे समुदाय के लोग केवल मुंबई, गोवा और कर्नाटक के पश्चिमी घाटों पर मिलते हैं।'' एक सवाल के जवाब में सिद्दि ने कहा कि उन्हें नहीं पता कि उनके पूर्वजों की जड़ें कहां हैं या वे किस गांव से संबंध रखते थे, लेकिन किसी तरह से उनका समुदाय अपनी भाषा को बचाने में कामयाब रहा। सिद्दि के अनुसार उनकी भाषा कोंकणी और मराठी का मिश्रित रूप है। इसमें कुछ ऐसे शब्द हैं जो न तो कोंकणी, न मराठी और यहां तक की, संस्कृत में भी नहीं हैं।

सिद्दि के लिये एक विधान पार्षद होना खुशी से अधिक चिंता की बात

उन्होंने कहा कि यह अद्भुत है। सिद्दि के लिये एक विधान पार्षद होना खुशी से अधिक चिंता की बात है क्योंकि अब उनके ऊपर काफी जिम्मेदारियां आ गई हैं। सिद्दि ने कहा, ''मैं केवल सिद्दि समुदाय के बारे में ही नहीं सोचता। मैं राज्य के सभी आदिवासी समुदायों के बारे में भी बराबर सोचता हूं।''

सिद्दि ने बताया कि यहां 54 आदिवासी समुदाय हैं और सभी समुदाय कई चुनौतियों का सामना कर रहे हैं। उन्होंने कहा विभिन्न प्रशासनिक स्तरों पर मिलकर इनसे निपटने की जरूरत है। सिद्दि कहा कि इन सभी समुदायों की एक सूची बनाकर उन्हें सरकारी सुविधाएं दिलाना भी उनका लक्ष्य है।

उन्होंने कहा, ''डांगर, गवली, कुन्बी, हलक्की वोक्कालिगा जैसे कई समुदाय हैं....सभी आदिवासियों की तरह रहते हैं लेकिन उन्हें आदिवासियों का दर्जा हासिल नहीं हैं।'' सिद्दि ने कहा राज्य सरकार के जरिये केंद्र सरकार से हमारी मांग है कि उन्हें भी आदिवासियों की श्रेणी में रखा जाए।

औपचारिक शिक्षा के बारे में पूछे जाने पर सिद्दि ने कहा कि औपचारिक शिक्षा के साथ-साथ नैतिक शिक्षा की भी जरूरत है। सिद्दि ने कहा, ''ऐसे व्यक्ति का क्या फायदा जो बड़े घर में पैदा हुआ हो और पीएचडी की डिग्री रखता हो, लेकिन उसे देश और समुदाय की कोई चिंता न हो और वह केवल अपने परिवार और बच्चों में ही खोया रहता हो। '' 

Web Title: Karnataka Legislative Council Santram Budna Siddi community created history first person to reach

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