कर्नाटक विधान सभा चुनाव 2018 के लिए 12 मई को मतदान होना है। नतीजे 15 मई को आएंगे। सत्ताधारी कांग्रेस को भारतीय जनता पार्टी (बीजेपी) और जनता दल (सेक्युलर) चुनौती दे रहे हैं। पिछले कई दशकों से कर्नाटक में हर चुनाव के बाद सत्ता परिवर्तन का दौर चल रहा है। इसलिए कई राजनीतिक जानकार मान रहे हैं कि मुख्यमंत्री सिद्धारमैया के सामने सत्ता बचाना आसान नहीं होगा। चुनाव के दौरान राजनीतिक दल खुद को सबसे बेहतर और विपक्षियों को सबसे बदतर बताते रहते हैं। लेकिन आइए देखते हैं कि विकास के पाँच प्रमुख मानकों पर सिद्धारमैया सरकार का प्रदर्शन आंकड़ों के आईने में क्या कहता है।
भारत के सकल घरेलू उत्पाद में कर्नाटक का योगदान
सिद्धारमैया साल 2013 में राज्य के मुख्यमंत्री बने। बात राज्य के सकल घरेलू उत्पाद में विकास की करें तो उनके कार्यकाल में राज्य की स्थिति थोड़ी बेहतर हुई दिखती है।
साक्षरता दर (15 से 49 वर्ष के बीच)
ग्रामीण शिक्षा की गुणवत्ता-
ग्रामीण कर्नाटक के कक्षा आठ के बच्चे जिनकी शिक्षा का स्तर दूसरी कक्षा के बराबर था
देश के कल सड़क मार्गों में कर्नाटक का योगदान
सैनिटेशन, कूकिंग और इलेक्ट्रिसिटी की आम परिवारों तक पहुँच
इन तीनों मुद्दों पर कर्नाटक की सिद्धारमैया सरकार का प्रदर्शन राष्ट्रीय औसत से बेहतर रहा है। हालाँकि इस मामले में कर्नाटक सिद्धारमैया सरकार से पहले भी राष्ट्रीय औसत से आगे रहा है। ये जरूर है कि इन तीनों सुविधाओं को आम जनता तक पहुँचाने में सिद्धारमैया सरकार का प्रदर्शन उल्लेखनीय रहा है।