मनरेगा मजदूरों को पैसे की जगह अनाज मिले, छत्तीसगढ़ सीएम बघेल ने ग्रामीण विकास मंत्री तोमर को लिखा पत्र

By भाषा | Published: April 23, 2020 03:30 PM2020-04-23T15:30:08+5:302020-04-23T15:35:31+5:30

देश भर में 3 मई तक लॉकडाउन है। सबसे खराब दौर में मेहनत कश मजदूर हैं। कई राज्यों ने केंद्र सरकार से कहा है कि महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत काम करने वाले मजदूरों को पैसा न देकर अनाज दिया जाए।

Corona virus India lockdown MNREGA laborers get food grains instead money Chhattisgarh CM Baghel writes letter Rural Development Minister Tomar | मनरेगा मजदूरों को पैसे की जगह अनाज मिले, छत्तीसगढ़ सीएम बघेल ने ग्रामीण विकास मंत्री तोमर को लिखा पत्र

मनरेगा के तहत कार्यरत श्रमिकों को मजदूरी के तौर पर धनराशि के स्थान पर अनाज देना उचित रहेगा। (file photo)

Highlightsराज्य में लॉकडाउन (बंद) है। राज्य में 31 लाख 50 हजार सक्रिय परिवारों के 62 लाख 52 हजार व्यक्तियों की आजीविका मनरेगा पर ही निर्भर है। cm बघेल ने कहा, ‘‘राज्य सरकार द्वारा वर्तमान में लगभग 5 लाख श्रमिकों से प्रति दिन सेवा ली जा रही है।

नई दिल्लीः छत्तीसगढ़ के मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने केंद्रीय ग्रामीण विकास मंत्री नरेंद्र सिंह तोमर को पत्र लिखकर महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना (मनरेगा) के तहत कार्यरत श्रमिकों को मजदूरी भुगतान के रूप में अनाज प्रदान करने की अनुमति देने का आग्रह किया किया है।

उन्होंने पत्र में कहा कि मनरेगा के तहत मजदूरी राशि का भुगतान ‘नेशनल इलेक्ट्रानिक फंड मैनेजमेंट सिस्टम’ (एनईएफएमएस) के माध्यम से सीधे श्रमिकों के खातों में होता है। कोरोना वायरस के कारण पूरे राज्य में लॉकडाउन (बंद) है। राज्य में 31 लाख 50 हजार सक्रिय परिवारों के 62 लाख 52 हजार व्यक्तियों की आजीविका मनरेगा पर ही निर्भर है।

ऐसी स्थिति में योजना का क्रियान्वयन अनिवार्य है। बघेल ने कहा, ‘‘राज्य सरकार द्वारा वर्तमान में लगभग 5 लाख श्रमिकों से प्रति दिन सेवा ली जा रही है। मजदूरी की राशि बैंक खाते में क्रेडिट होने के बाद उन्हें अपने भोजन (खाद्यान्न) जैसी प्राथमिक आवश्यकताओं की पूर्ति हेतु पहले खातों से पैसा निकालने की आवश्यकता होगी, जिससे वे परेशान तो होंगे ही साथ ही सामाजिक दूरी के पालन में भी कठिनाई होगी।’’ उनके मुताबिक राज्य शासन के पास पर्याप्त मात्रा में खाद्यान्न उपलब्ध है तथा इसके वितरण की प्रभावी व्यवस्था लागू है। मनरेगा के तहत कार्यरत श्रमिकों को मजदूरी के तौर पर धनराशि के स्थान पर अनाज देना उचित रहेगा।

मनरेगा की दिहाड़ी बढ़ाकर 220 रूपये, समय भी दोपहर एक बजे तक

महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत दिहाड़ी लगभग 21 रुपये बढ़ाकर बढ़ाकर 220 रुपये की गयी है तथा कार्य समय भी दोपहर एक बजे तक तय किया गया है। उप मुख्यमंत्री सचिन पायलट ने यह जानकारी दी। उन्होंने बताया कि मनरेगा के तहत मजदूरी दर 199 रुपये प्रतिदिन से बढ़ाकर 220 रुपये प्रतिदिन की गई है। वहीं मेट व कारीगर के लिए भी मजदूरी दर को 213 रूपये से बढ़ाकर 235 रुपये प्रतिदिन किया जा रहा है।

उन्होंने बताया कि इस मजदूरी दर की बढ़ोत्तरी से कोरोना वायरस लॉकडाउन के कारण ग्रामीण क्षेत्रों में लोगों को आर्थिक सम्बल मिलेगा। साथ ही योजना के तहत अधिक से अधिक व्यक्तिगत लाभ के कार्यों को करवाने के लिए निर्देश दिए गये हैं जिससे ज्यादा से ज्यादा व्यक्तिगत लाभ की परिसम्पत्तियों का सृजन होगा तथा एकदूसरे से दूरी बनाने के नियम का पालन स्वतः ही हो सकेगा। पायलट ने बताया कि कोरोना वायरस संक्रमण से उत्पन्न विशेष परिस्थितियों व गर्मी के मौसम को देखते हुए महात्मा गांधी राष्ट्रीय ग्रामीण रोजगार गारंटी योजना के तहत कार्य समय को परिवर्तित किया गया है।

परिवर्तित समय प्रातः 6 बजे से दोपहर 1 बजे तक निर्धारित किया गया है। इससे एकदूसरे से दूरी बनाने के नियम की पालना करने में भी मदद मिलेगी। उन्होंने नरेगा कार्यस्थल पर मेट एवं श्रमिकों सहित सभी को मास्क पहनकर आने, श्रमिकों के दिन में चार बार साबुन से हाथ धुलवाने तथा कार्य व भोजन अवकाश के दौरान एकदूसरे से दूरी बनाने के नियम की पालना सुनिश्चित करवाने के निर्देश दिये।

 

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