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कांग्रेस में फेरबदल के संकेत, महाराष्ट्र, झारखंड और मध्य प्रदेश में दिखेगा असर, खड़गे और आरपीएन सिंह का जाना तय!

By शीलेष शर्मा | Updated: August 14, 2020 16:19 IST

प्रियंका सड़कों पर नहीं उतर पा रही हैं, लेकिन दिन शुरू होते ही वह प्रदेश के हर जिले के नेता से बात कर मुद्दों को उठाने में लगी हैं, जिससे अन्य राज्यों से पार्टी में मांग उठने लगी है कि उनके राज्य को भी ऐसा महासचिव दिया जाये जो राज्य के नेताओं और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कायम रख सके।

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ठळक मुद्देपार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस नेतृत्व ने महाराष्ट्र ,झारखंड और मध्य प्रदेश में नए महासचिव के लिये विचार शुरू कर दिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे जो महाराष्ट्र के प्रभारी महासचिव हैं उनको पार्टी राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी सौंपना चाहती है, क्योंकि गुलाम नबी आज़ाद का राज्यसभा में कार्यकाल फ़रवरी में समाप्त हो रहा है।स्वास्थ्य कारणों से खड़गे बहुत सक्रिय नहीं रह पा रहे हैं, नतीज़ा पार्टी किसी युवा नेता को महाराष्ट्र की ज़िम्मेदारी देना चाहती है।

नई दिल्लीः कांग्रेस महासचिव और उत्तर प्रदेश की प्रभारी प्रियंका गांधी ने अपनी कार्य शैली से पार्टी के दूसरे महासचिवों के लिये मुश्किल खड़ी कर दी हैं।

दरअसल कोरोना के कारण प्रियंका सड़कों पर नहीं उतर पा रही हैं, लेकिन दिन शुरू होते ही वह प्रदेश के हर जिले के नेता से बात कर मुद्दों को उठाने में लगी हैं, जिससे अन्य राज्यों से पार्टी में मांग उठने लगी है कि उनके राज्य को भी ऐसा महासचिव दिया जाये जो राज्य के नेताओं और कार्यकर्ताओं से सीधा संवाद कायम रख सके। 

पार्टी सूत्रों के अनुसार कांग्रेस नेतृत्व ने महाराष्ट्र ,झारखंड औरमध्य प्रदेश में नए महासचिव के लिये विचार शुरू कर दिया है। मल्लिकार्जुन खड़गे जो महाराष्ट्र के प्रभारी महासचिव हैं उनको पार्टी राज्यसभा में नेता प्रतिपक्ष की ज़िम्मेदारी सौंपना चाहती है, क्योंकि गुलाम नबी आज़ाद का राज्यसभा में कार्यकाल फ़रवरी में समाप्त हो रहा है।

खड़गे लोकसभा में कांग्रेस दल के नेता पद की ज़िम्मेदारी संभाल चुके हैं। यह भी बताया जा रहा है कि स्वास्थ्य कारणों से खड़गे बहुत सक्रिय नहीं रह पा रहे हैं, नतीज़ा पार्टी किसी युवा नेता को महाराष्ट्र की ज़िम्मेदारी देना चाहती है।

इस बदलाव के साथ महाराष्ट्र प्रदेश इकाई में भी परिवर्तन होगा, जिसके तहत सभी महत्त्वपूर्ण पदों पर नई नियुक्तियां संभव हैं। झारखंड में आर पी एन सिंह को लेकर बड़ी शिकायतें पार्टी आलाकमान को मिली हैं, जिसके कारण पार्टी ने आरपीएन सिंह के स्थान पर किसी अनुभवी नेता को ज़िम्मेदारी देने का मन बनाया है। मध्य प्रदेश में जिस तरह पार्टी में टूट हुयी उससे नेतृत्व खासा नाराज़ है अतः वहां भी पार्टी किसी कद्दावर नेता को प्रभारी महासचिव बना कर भेजने की तैयारी में है।      

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