कांग्रेसः सुलग रही है आग, पीछे हटने को तैयार नहीं मुखर नेता, सोनिया गांधी ने किए कई बदलाव

By शीलेष शर्मा | Updated: August 28, 2020 18:39 IST2020-08-28T18:39:49+5:302020-08-28T18:39:49+5:30

कोर ग्रुप में गुलामनबी आज़ाद,आनंद शर्मा, शशि थरूर, मुकुल वासनिक और कपिल सिब्बल शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि इन्ही नेताओं की पहल पर वह 5 पन्नों का पत्र तैयार किया गया जो 23 नेताओं के हस्ताक्षर से सोनिया गाँधी को भेजा गया।

Congress fire is burning outspoken leader not ready to retreat Sonia Gandhi made many changes | कांग्रेसः सुलग रही है आग, पीछे हटने को तैयार नहीं मुखर नेता, सोनिया गांधी ने किए कई बदलाव

राहुल गाँधी के इशारे पर बनी कार्यसमिति पर भी हमला बोला और लिखा कि कार्यसमिति पार्टी को दिशा देने में नाकाम साबित हुयी है। (file photo)

Highlightsअभी बैठक की तारीख तैय नहीं की गयी है लेकिन माना जा रहा है कि 15 सितंबर से पहले यह बैठक हो सकती है।उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार इन नेताओं ने आगे की रणनीति बनाने के लिये अपने कोर ग्रुप की बैठक बुलाने का फ़ैसला किया है।पत्र में तमाम ज्वलंत मुद्दों को उठाते हुये यह कहा गया कि पार्टी एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही है लेकिन नेतृत्व उदासीन बैठा है।

नई दिल्लीः कांग्रेस में सीधे चुनाव कराने की मांग को लेकर मुखर हुये पार्टी के नेता अपनी मांगों को लेकर पीछे हटने को तैयार नहीं हैं। उच्चपदस्थ सूत्रों के अनुसार इन नेताओं ने आगे की रणनीति बनाने के लिये अपने कोर ग्रुप की बैठक बुलाने का फ़ैसला किया है।

हालांकि अभी बैठक की तारीख तैय नहीं की गयी है लेकिन माना जा रहा है कि 15 सितंबर से पहले यह बैठक हो सकती है। कोर ग्रुप में गुलामनबी आज़ाद,आनंद शर्मा, शशि थरूर, मुकुल वासनिक और कपिल सिब्बल शामिल हैं। सूत्र बताते हैं कि इन्ही नेताओं की पहल पर वह 5 पन्नों का पत्र तैयार किया गया जो 23 नेताओं के हस्ताक्षर से सोनिया गाँधी को भेजा गया।

इस पत्र में तमाम ज्वलंत मुद्दों को उठाते हुये यह कहा गया कि पार्टी एक के बाद एक चुनाव हारती जा रही है लेकिन नेतृत्व उदासीन बैठा है। यह ज़रूरी था कि हम हार की समीक्षा करते और अपनी कमियों को खोज कर सही कदम उठाते। इन नेताओं ने राहुल गाँधी के इशारे पर बनी कार्यसमिति पर भी हमला बोला और लिखा कि कार्यसमिति पार्टी को दिशा देने में नाकाम साबित हुयी है।

पार्टी को मत देने वालों की संख्या में भारी कमी आयी है जबकि भाजपा का वोट बड़ा है। पार्टी समय से जिला अध्यक्षों ,प्रदेश अध्यक्षों की नियुक्ति में देरी करती रही है। इसलिये ज़रूरी है कि पार्टी में पूर्णकालिक नेतृत्व केंद्र और राज्य स्तर पर सुनिश्चित करे ,प्रदेश इकाईयों को स्वतंत्रता दी जाये, जिलाध्यक्षों की नियुक्ति प्रदेश इकाई के परामर्श से हो।

संसदीय बोर्ड गठित किया जाये। चुनाव में अनुभवी नेताओं को ही उम्मीदवार बनाया जाये। स्वतंत्र चुनाव प्राधिकरण बनाया जाये। इस पत्र के बाद उठा तूफ़ान ख़त्म होने का नाम नहीं ले रहा है ,इधर सोनिया ने नयी नियुक्तिओं के संकेत दे कर साफ़ कर दिया है कि वह अब कड़े कदम उठा कर अंकुश लगाने का काम करेंगी। संसदीय कामकाज के लिये गठित कमेटी में गौरव गोगोई ,रवनीत बिट्टू ,के सी वेणुगोपाल और अहमद पटेल को शामिल करना इसका साफ़ संकेत है। 

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