बिहार में सरकारी सिस्टम को कोरोना, इलाज के लिए जगह नहीं, अस्पतालों में भर्ती लोग भगवान भरोसे

By एस पी सिन्हा | Updated: July 24, 2020 17:33 IST2020-07-24T17:33:50+5:302020-07-24T17:33:50+5:30

भर्ती मरीजों का भी इलाज नहीं हो पा रहा है. हर जगह ताहिमाम की स्थिति है. ऐसे में बिहार में कितनी तबाही मचेगी और कितने लोगों की जान जायेगी? यह किसी को पता नहीं है. बिहार कोरोना के लिए घोषित सबसे बडे़ अस्पताल एनएमसीएच की स्थिति भयावह हो गई है.

Bihar patna cm nitish kumar Coronavirus government system no place treatment people admitted hospitals trust God | बिहार में सरकारी सिस्टम को कोरोना, इलाज के लिए जगह नहीं, अस्पतालों में भर्ती लोग भगवान भरोसे

सांसद केंद्र में खुद केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं. बक्सर सदर हॉस्पिटल की स्थिति ने तो स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल ही खोल दी है. (file photo)

Highlightsभर्ती मरीजों को देखने वाला कोई नहीं है. बच गए तो भाग्य से अन्यथा अस्पताल प्रशासन डेड बॉडी सौंपने के लिए तैयार बैठा है. एक बार फिर से बिहार में कोरोना का सबसे बड़ा विस्फोट सामने आया है. राज्य में एक साथ 1820 मामले सामने आए हैं. राज्य में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 33511 पर पहुंच गई है. पिता कंधे पर ऑक्सीजन का सिलेंडर तो मां गोद में लिए नवजात को इलाज के लिए बक्सर सदर हॉस्पिटल में भटकती रही है.

पटनाः बिहार में सरकारी सिस्टम को लगता है कि कोरोना हो गया है. कोरोना का रफ्तार लॉकडाउन में भी जिस तरह से बढ़ रहा है और अस्पतालों में नए मरीजों के इलाज के लिए जगह नहीं है.

भर्ती मरीजों का भी इलाज नहीं हो पा रहा है. हर जगह ताहिमाम की स्थिति है. ऐसे में बिहार में कितनी तबाही मचेगी और कितने लोगों की जान जायेगी? यह किसी को पता नहीं है. बिहार कोरोना के लिए घोषित सबसे बडे़ अस्पताल एनएमसीएच की स्थिति भयावह हो गई है. यहां भर्ती मरीजों को देखने वाला कोई नहीं है. बच गए तो भाग्य से अन्यथा अस्पताल प्रशासन डेड बॉडी सौंपने के लिए तैयार बैठा है. 

इन सबके बीच एक बार फिर से बिहार में कोरोना का सबसे बड़ा विस्फोट सामने आया है. राज्य में एक साथ 1820 मामले सामने आए हैं. जिसके साथ ही राज्य में कुल संक्रमित मरीजों की संख्या बढ़कर 33511 पर पहुंच गई है. पिता कंधे पर ऑक्सीजन का सिलेंडर तो मां गोद में लिए नवजात को इलाज के लिए बक्सर सदर हॉस्पिटल में भटकती रही है.

स्वास्थ्य सेवा और अस्पतालों की कथित तौर पर लचर व्यवस्था के मामले को काफी गंभीरता से लिया

यह हाल वहां का है जहां के सांसद केंद्र में खुद केन्द्रीय स्वास्थ्य राज्य मंत्री हैं. बक्सर सदर हॉस्पिटल की स्थिति ने तो स्वास्थ्य व्यवस्था की पोल ही खोल दी है. इस बीच पटना हाईकोर्ट ने राजधानी समेत सूबे में कोरोना के बढ़ते प्रकोप के बीच स्वास्थ्य सेवा और अस्पतालों की कथित तौर पर लचर व्यवस्था के मामले को काफी गंभीरता से लिया है.

दिनेश कुमार सिंह की जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए चीफ जस्टिस न्यायमूर्ति संजय करोल की अध्यक्षता वाली खंडपीठ ने राज्य सरकार से कोरोना संकट से निपटने, कोरोना मरीजों की जांच व इलाज की व्यवस्था का पूरा ब्यौरा पेश करने को कहा है.

साथ ही साथ हाइकोर्ट ने जिलास्तरीय कोविड अस्पतालों की जानकारी, वहां कार्यरत डॉक्टरों, नर्स, अन्य मेडिकल कर्मियों के संबंध में विस्तृत जानकारी देने को भी कहा है. अदालत को बताया गया कि राज्य में कोरोना मरीजों की तादाद बडी तेजी से बढ़ रही है. लेकिन जांच औऱ इलाज की पर्याप्त सुविधाओं का अभाव न है.

पटना में भी एम्स, पीएमसीएच, एनएमसीएच जैसे बडे़ अस्पतालों में भी कुव्यवस्था

राजधानी पटना में भी एम्स, पीएमसीएच, एनएमसीएच जैसे बडे़ अस्पतालों में भी कुव्यवस्था है, जिसका खामियाजा आम लोगों को भुगतना पड़ रहा है. अदालत ने राज्य सरकार को अस्पतालों में ऑक्सीजन सिलिंडर, वेंटिलेटर और कोरोना इलाज के लिए अन्य सुविधाओं का ब्योरा देने का निर्देश दिया.

याचिकाकर्ता के अधिवक्ता दीनू कुमार ने अदालत को बताया कि आईसीएमआर द्वारा जो रैपिड एंटीजन किट दिया गया है, उसका भी पूरा उपयोग नहीं किया जा रहा है. कोरोना मरीजों की जांच औऱ इलाज की अभी तक पूरी तरह से व्यवस्था नहीं हो सकी है. इस मामलें पर अगली सुनवाई आगामी 7 अगस्त को होगी.

वहीं, राजधानी पटना में कोरोना का कहर जारी है. यहां पर कोरोना कंट्रोल नहीं हो रहा है. आज फिर कोरोना के 561 नए मरीज मिले हैं. पटना में कोरोना मरीजों का आंकड़ा 4786 पर पहुंच गया है. 2273 कोरोना के एक्टिव केस है. 35 लोगों की मौत कोरोना से सिर्फ पटना जिले में हो चुकी है.

कई थानों के थानेदार और दारोगा खुद होम क्वॉरेंटाइन हैं. इसके कारण पटना में लॉकडाउन का कड़ाई से पालन नहीं हो रहा है. हालात ऐसे हो गये हैं कि पटना के अस्पतालों में कोरोना मरीजों के लिए जगह कम पड़ रहा है. कही जगह है भी तो पर्ची कटाने में तीन घंटा का समय लग रहा है.

ऐसे में कोरोना मरीज या संदिग्ध मरीज की मौत हॉस्पिटल के गेट पर पर्ची के इंतजार में हो जा रही है. नालंदा से आए कोरोना संदिग्ध मरीज को पटना के किसी हॉस्पिटल ने भर्ती नहीं लिया. जब वह किसी तरह एनएमसीएच गया तो सरकारी सिस्टम ने उसकी जान ले ली. गंभीर मरीज की पर्ची के इंतजार में तीन घंटे लग गए और आखिरकार उसकी मौत हो गई.

Web Title: Bihar patna cm nitish kumar Coronavirus government system no place treatment people admitted hospitals trust God

राजनीति से जुड़ीहिंदी खबरोंऔर देश दुनिया खबरोंके लिए यहाँ क्लिक करे.यूट्यूब चैनल यहाँ इब करें और देखें हमारा एक्सक्लूसिव वीडियो कंटेंट. सोशल से जुड़ने के लिए हमारा Facebook Pageलाइक करे