जिनके वोट के बल पर आप इंद्र सा सुख भोग रहे हैं, रो रहे, बिलबिला रहे, कुछ कीजिए, जदयू के पूर्व प्रवक्ता का सीएम नीतीश पर हमला
By एस पी सिन्हा | Updated: July 20, 2020 19:29 IST2020-07-20T19:25:47+5:302020-07-20T19:29:05+5:30
जदयू नेता नवल शर्मा ने कोरोना संकट में सरकार की विफलता को लेकर फेसबुक पेज पर आक्रोश जाहिर करते हुए कहा है कि ''महाराज पहले उनलोगों को बचाइए जिनके वोट के बल पर आप इंद्र का सुख भोग रहे, वे लोग रो रहे, बिलबिला रहे. कुछ तो पसीजिये.... पता नहीं इस महामारी में कौन बचेगा, कौन जाएगा?

नवल शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा है कि आज लोगों को यंग और डायनामिक नेतृत्व चाहिए और ऐसे लोगों को अपनी संभावनाओं को विस्तार देने दीजिये. (file photo)
पटनाः बिहार में जारी कोरोना के कहर के बीच मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को विरोधियों के अलावा अब अपने घर में भी विरोध का सामना करना पड़ रहा है.
विपक्षी नेताओं के साथ-साथ उनकी पार्टी के नेता भी अब जमकर खरी-खोटी सुनाने लगे हैं. पार्टी के पूर्व प्रवक्ता नवल शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर करारा हमला करते हुए यहां तक कह दिया है कि जिनकी बदौलत "इन्द्र सा सुख भोग रहे हैं" उनके लिए कुछ तो कीजिए.
जदयू नेता नवल शर्मा ने कोरोना संकट में सरकार की विफलता को लेकर फेसबुक पेज पर आक्रोश जाहिर करते हुए कहा है कि ''महाराज पहले उनलोगों को बचाइए जिनके वोट के बल पर आप इंद्र का सुख भोग रहे, वे लोग रो रहे, बिलबिला रहे. कुछ तो पसीजिये.... पता नहीं इस महामारी में कौन बचेगा, कौन जाएगा? आपको होगा तो आप तो घरो में अस्पताल खोलवा लीजियेगा.. हमनी कहां जाएंगे?
नवल शर्मा ने आगे लिखा कि 15 साल बनाम 15 साल. जब यह चुनावी एजेंडा सेट हुआ, मैं अपसेट हो गया, काफी दुख हुआ. पहली बार अपने माननीय नेता नीतीश जी की प्रशासकीय क्षमता पर संदेह हुआ. लगा एक पूरा गिरोह मिलकर फिर से बिहार को बरगलाने में लग गया. अब फिर से पूरे चुनाव लालू जी के कार्यकाल के स्याह अतीत के दागदार पन्नों को खोज-खोज कर निकाला जाएगा और हमें डरा-डरा कर लोरी सुनाया जाएगा.' ज्यादा दिमाग मत लगाओ, सो जाओ नहीं तो जंगलराज आ जायेगा.'
ये सब कुछ नहीं, बस उठे और लगे वही बासी ढोल पीटने
उन्होंने आगे लिखा है कि हद है! 15 साल से आप हैं. क्या आपकी उपलब्धियों की झोली इतनी खाली है कि आप आंख में आंख डालकर लोगों को बता भी नहीं सकते कि हमने इतने दिनों में क्या किया है? नैतिकता का तर्कपूर्ण तकाजा तो ये बनता है कि आप लोगों को बताते की अगले 5 वर्षों में आप बिहार को कहां ले जाएंगे? क्या विजन है आपके पास? क्या रोडमैप है? कैसे कृषि का विकास करेंगे? निवेशकों को कैसे आकर्षित करेंगे? ये सब कुछ नहीं, बस उठे और लगे वही बासी ढोल पीटने.
जदयू नेता ने आगे कहा कि ऐसे भी सोंचकर देखिये. राजनीति सदैव बदलते समाज की अनुगामी होती है. आज अगर लालू यादव या कोई भी गद्दी पर बैठ के जंगलराज लाना चाहे तो संभव है क्या? समाज बदल चुका है. लोगों की प्राथमिकताएं बदल चुकी हैं.
90 का दशक वो दौर था जब लगभग हिंदी पट्टी के अधिकांश राज्यों में राजनीति का मूल स्वरूप लगभग एक जैसा था. अब वो दौर बीत गया. अब तो जातिवाद का परिष्कृत रूप सोशल इंजीनियरिंग भी कब तक चलेगा, कहना मुश्किल है. नवल शर्मा ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर तंज कसते हुए कहा है कि आज लोगों को यंग और डायनामिक नेतृत्व चाहिए और ऐसे लोगों को अपनी संभावनाओं को विस्तार देने दीजिये.
उनकी भ्रूण हत्या कर बुढ़भस नेताओं की रीढविहीन जमात को लोगों पर मत लादिये. कितनी बडी आईरोनी है कि लोग कोरोना से त्राहिमाम कर रहे हैं. सब लोग भयभीत हैं! आशा है आप सकुशल होंगे! हमको भी लग रहा पता नहीं क्या होगा?
यही तो वो वक्त है जब आप और आपके कार्यकर्ता, नेता कूदते मैदान में और लोगों को दिखाते की देखो हम उस 15 साल वाले से अलग हैं. तब पूरा बिहार एक स्वर से गरजता --''हां ,मैं नीतीश कुमार हूँ.'' लेकिन, ये लो. आप और आपके त्रेतायुगीन राम के साक्षात कल्कि अवतार दोनों मिलके दूसरे ही काम मे लगे हैं.

