पटना: कोरोना महामारी से निपटने के लिए देश भर में इन दिनों लॉकडाउन का पालन किया जा रहा है। इसी बीच एक खबर ने बिहार की सियासत में एक बार फिर से सरगर्मी भर दिया है। दरअसल, नरेंद्र मोदी की सरकार ने बिहार के जमालपुर में स्थित रेलवे प्रशिक्षण संस्थान को बिहार से लखनऊ स्थानांतरित करने का फैसला लिया है।
इस फैसले की खबर मिलते ही बिहार में नीतीश कुमार सरकार के जल संसाधन मंत्री संजय कुमार झा ने इस मामले कड़ा विरोध दर्ज कराते हुए एक के बाद एक कई ट्वीट किए हैं।
संजय कुमार झा ने कहा है कि जमालपुर में स्थित इंडियन रेलवे इंस्टीट्यूट ऑफ मेकेनिकल एंड इलेक्ट्रिकल इंजीनियरिंग को मुंगेर से बाहर शिफ्ट करने को लेकर रेल मंत्रालय के आदेश पर बिहार ने सख्त प्रतिक्रिया जताई थी। मुख्यमंत्री नीतिश कुमार ने इस मामले में केंद्रीय रेल मंत्री पीयूष गोयल से दखल देने को कहा था।
इसके साथ ही उन्होंने कहा कि देश का यह सबसे पुराना केंद्रीय प्रशिक्षण संस्थान एक प्रतिष्ठित संस्थान है और बिहार का गौरव रहा है। इसकी स्थापना 1888 में हुई। आईआरआईएमईई जमालपुर 1927 से भारतीय रेलवे के शीर्ष प्रतिभाओं को प्रशिक्षित करने के लिए सबसे प्रतिष्ठित केंद्र रहा है। 93 साल की विरासत को इतने बेशर्मी (ढिठाई) से कैसे मिटाया जा सकता है?
बता दें कि इस मामले में पूर्व केंद्रीय मंत्री यशवंत सिन्हा ने भी नरेंद्र मोदी सरकार पर हमला किया है। उन्होंने कहा कि यह सबसे दुर्भाग्यपूर्ण है कि भारत सरकार ने बिहार के जमालपुर में दशकों पुराने रेलवे प्रशिक्षण संस्थान को उत्तर प्रदेश के लखनऊ में स्थानांतरित करने का आदेश दिया है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि लॉकडाउन के दौरान ऐसा करना काफी गलत है।
इसके साथ ही बता दें कि राज्य के मुंगेर जिला में स्थित इस संस्थान की शुरुआत 1888 में हुई थी। नीतीश कुमार ने केंद्र सरकार के इस फैसले के खिलाफ 1 मई को भी पत्र लिखा था।
बिहार के सीनियर मंत्री संजय झा ने कहा है कि बिहार के मुंगेर जिला में स्थित यह रेल संस्थान राज्य की विरासत का हिस्सा रहा है और नीतीश कुमार पूरी ताकत लगाकर इसे राज्य से बाहर नहीं जाने देंगे।
उन्होंने कहा कि नीतीश कुमार ने मजबूती से अपनी बात रख दी है और उन्हें पूरी उम्मीद है कि केंद्र सरकार इस मामले पर उनकी बात को सुनते हुए राज्य के हित में फैसला लेगी। उन्होंने यह भी कहा कि नीतीश कुमार ने राज्य के हितों के साथ कभी समझौता नहीं किया है।