बिहार: जीतनराम मांझी महागठबंधन को दे सकते हैं झटका, श्याम रजक को पार्टी से निकालने पर नीतीश कुमार का किया समर्थन
By एस पी सिन्हा | Published: August 17, 2020 08:55 PM2020-08-17T20:55:16+5:302020-08-17T20:55:16+5:30
जीतनराम मांझी ने कहा कि चुनाव के समय जब वह राजद में चले गये हैं और जदयू ने उन्हें कैबिनेट एवं पार्टी से निकाल दिया, तब वे इस तरह की बाते कर रहें हैं. जिसे सही नहीं कहा जा सकता है.
पटना: बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री व हिन्दुस्तानी आवाम मोर्चा के अध्यक्ष जीतनराम मांझी का आजकल मुख्यमंत्री नीतीश कुमार की तरफ झुकाव बढता जा रहा है. नियोजित शिक्षकों के मुद्दे के बाद पूर्व मंत्री श्याम रजक को लेकर मांझी ने मुख्यमंत्री नीतीश कुमार का समर्थन किया है. सिर्फ समर्थन ही नहीं उन्होंने श्याम रजक से सवाल पूछा है कि जब नीतीश कुमार दलित विरोधी हैं तो श्याम रजक इतने दिन मंत्री कैसे बने रहे?
उन्होंने कहा कि चुनाव के समय जब वह राजद में चले गये हैं और जदयू ने उन्हें कैबिनेट एवं पार्टी से निकाल दिया, तब वे इस तरह की बाते कर रहें हैं. जिसे सही नहीं कहा जा सकता है.
पूर्व मुख्यमंत्री ने बाबा साहब भीमराव अंबेडकर का उदाहरण देते हुए कहा कि जब संसद में हिन्दु कोड बिल पर तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहरलाल नेहरू एवं मंत्रीमंडल के अन्य सहयोगियों का विरोध हुआ तो उन्होंने तुरंत मंत्रीमंडल से त्यगपत्र देकर एक मानक तय किया था और श्याम रजक मंत्रीमंडल में इतने दिनो तक लाभ लेने के बाद चुनाव के समय में नीतीश कुमार को दलित विरोधी कह रहें हैं, जिसे उचित नहीं ठहराया जा सकता है.
जीतन राम मांझी ने राजद के खिलाफ दो टूक बयान देते हुए कहा है कि वह तेजस्वी यादव या महागठबंधन को छोड़कर किसी भी अन्य विकल्प की तरफ से आगे बढ़ सकते हैं. उन्होंने कहा है कि नीतीश कुमार से लेकर भाजपा या फिर ओवैसी से लेकर मायावती तक सभी विकल्प उनके सामने हैं. उन्होंने 20 अगस्त को अपनी पार्टी के नेताओं की बैठक बुलाई है. जिसमें फैसला ले लिया जायेगा.
जीतन राम मांझी ने नीतीश कुमार के साथ-साथ सुशील कुमार मोदी की भी तारीफ करते हुए कहा है कि नीतीश कुमार ने नियोजित शिक्षकों का सेवा शर्त नियमावली को लेकर जो फैसला किया है. वह स्वागत योग्य कदम है. इतना ही नहीं दलितों और पिछडों को लेकर उप मुख्यमंत्री सुशील कुमार मोदी ने जो स्टैंड लिया, वह उनके भी कदम की तारीफ करते हैं. हालांकि उन्होंने दलितों के आरक्षण के सवाल पर तेजस्वी यादव या फिर उनकी पार्टी के प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह की तरफ से ठोस पहल नहीं किए जाने को लेकर नाराजगी भी जताई.
पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा है कि उनकी पार्टी का किसी भी अन्य दल में विलय नहीं होगा. पार्टी का वजूद हमेशा कायम रहेगा और केवल गठबंधन के विकल्प पर ही विचार किया जायेगा. मांझी ने कहा कि 20 अगस्त तक जिस किसी भी दल से उनके पास गठबंधन को लेकर प्रस्ताव आता है, उस पर गंभीरतापूर्वक विचार के बाद निर्णय लिया जायेगा. उन्होंने कहा कि वह ओवैसी के साथ जाते हैं तो मियां और भुइयां का बेहतरीन समीकरण बनेगा. साथ ही साथ उन्होंने मायावती के साथ भी गठबंधन की संभावनाएं जताई है.