बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के काफिले पर आज (12 जनवरी) हमला हुआ। बक्सर जिले के नंदर इलाके में अज्ञात लोगों ने उनके काफीले पर पथराव कर दिया। इसमें वह बाल बाल बच गए लेकिन कुछ सुरक्षाकर्मी घायल हुए हैं। हांलाकि यह कोई पहला मौका नहीं है जब किसी नेता या उनके काफिले पर हमला हुआ हो। इससे पहले भी कई नेतओं पर हमले की कोशिश की गई है।
गया जिले के डुमरिया में लोक जनशक्ति पार्टी (LJP) के नेता के परिजनों से मिलने जा रहे बिहार के पूर्व मुख्यमंत्री जीतनराम मांझी के काफिले पर भी एक बार ऐसा हमला हो चुका है।
बीते साल जनवरी में नोटबंदी पर रोहतक में एक जनसभा को संबोधित करने के दौरान दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल पर जूता फेंक कर हमला किया गया था।
बीते साल मार्च में गांधीनगर में गुजरात विधानसभा भवन के आम प्रवेश द्वार के बाहर गोपाल इतालिया नामक कर्मचारी ने 'भ्रष्टाचार मुर्दाबाद' के नारे लगाते हुए मीडिया को संबोधित करने जा रहे मंत्री प्रदीपसिंह जडेजा की ओर जूता फेंका था।
बीते 6 दिसंबर को दलित नेता जिग्नेश मेवाणी के काफिले पर चुनाव प्रचार के दौरान अचानक हमला हो गया था।
आम आदमी पार्टी के सासंद और कोमेडियन भगवंत मान के ऊपर ऑस्ट्रेलिया में थैंक्सगिविंग डिनर के दौरान एक शख्स ने जूता उछाल दिया था।