Bihar Assembly election 2020: नवंबर में चुनाव, सियासत तेज, RJD, JDU और BJP में ट्वीट वार, नीतीश कुमार घर से बाहर कब निकलेंगे?

By एस पी सिन्हा | Published: June 9, 2020 06:54 PM2020-06-09T18:54:16+5:302020-06-09T18:54:16+5:30

बिहार विधानसभा चुनाव नवंबर में हो सकता है। इस बीच सभी प्रमुख दल एक-दूसरे पर हमला करना शुरू कर दिए हैं। प्रवासी कामगार को लेकर राजद लगातार नीतीश सरकार पर हमला कर रहा है। इस बीच सरकार के मंत्री लगातार लालू परिवार पर हमला कर रहे हैं।

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84 दिन से मुख्यमंत्री अपने घर से बाहर नहीं निकले हैं और ऐसा करने वाले देश के वह अकेले मुख्यमंत्री हैं. (file photo)

Highlights बिहार की राजनीति, चुनाव नजदीक देख राजद की ओर से दागे जाने लगे हैं चुनावी गोले, जदयू भी बनी है हमलावर।कोरोना संकट के बहाने राज्य में सत्ता और विपक्ष के बीच बयानों का दौर जारी है. नीतीश कुमार अगर कोरोना से डरे हुए हैं तो वह उनके आगे आगे चलने को तैयार खडे़ हैं.

पटनाः बिहार विधानसभा चुनाव को लेकर सूबे में सियासत तेज हो गई है. लॉकडाउन के कारण सभा आयोजित करने पर प्रतिबंध को लेकर सोशल मीडिया के जरिये राजनीतिक दलों के नेताओं में अब जुबानी जंग होने लगी है.

सत्तापक्ष और विपक्ष में आरोपों-प्रत्यारोपों का सिलसिला परवान चढ़ने लगा है. कोरोना संकट के बहाने राज्य में सत्ता और विपक्ष के बीच बयानों का दौर जारी है. तेजस्वी यादव ने कहा है कि वह नीतीश कुमार के साथ चलने को तैयार हैं. लेकिन उन्हें अपने घर से बाहर निकलना होगा. नीतीश कुमार अगर कोरोना से डरे हुए हैं तो वह उनके आगे आगे चलने को तैयार खडे़ हैं

तेजस्वी ने कहा है कि संकटकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था गरीब और मजदूरों की स्थिति जानने के लिए नीतीश कुमार घर से बाहर कब निकलेंगे? उन्होंने कहा है कि 84 दिन से मुख्यमंत्री अपने घर से बाहर नहीं निकले हैं और ऐसा करने वाले देश के वह अकेले मुख्यमंत्री हैं.

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को संबोधित करते हुए तेजस्वी ने कहा है कि अगर आपको डर लग रहा है तो मैं आपके साथ चलूंगा लेकिन अब वक्त बाहर निकलने का है. इससे पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था. इसके बाद बिहार विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष व राजद नेता तेजस्वी यादव ने हमला बोला. वहीं राजद नेताओं के हमले को लेकर जदयू ने पलटवार करते हुए इसे राजद नेताओं की हताशा और निराशा करार दिया है.

मुख्यमंत्री के नाम सोशल मीडिया पर खुली चिट्ठी लिख कर तंज कसा

प्राप्त जानकारी के अनुसार, तेजस्वी यादव ने आज मुख्यमंत्री के नाम सोशल मीडिया पर खुली चिट्ठी लिख कर तंज कसा. उन्होंने ट्वीट कर कहा कि ''आदरणीय मुख्यमंत्री जी, इस संकटकाल में स्वास्थ्य व्यवस्था, गरीबों-श्रमिकों की वस्तुस्थिति जानने और राज्यवासियों की हौसला अफजाई करने विगत 84 दिन से आप घर से बाहर नहीं निकले हैं. आप ऐसा करनेवाले देश के अकेले मुख्यमंत्री हैं.

अगर कोई डर है, तो आगे-आगे मैं आपके साथ चलूंगा. लेकिन, अब तो निकलिए. साथ ही तंज कसते हुए उन्होंने यह भी कहा है कि ''देशवासी कह रहे हैं कि बिहार के मुख्यमंत्री को डर लगता है. सरकारी मशीनरी और संसाधनों का दुरूपयोग करते हुए आप प्रतिदिन घंटों अपने नेताओं से वीडियो कॉन्फ्रेन्स करते हैं, लेकिन आम जनता को आपने पूछा तक नहीं. क्वॉरेंटिन सेंटरों में आपने जनता की क्या दुर्गति की, यह किसी से छुपा नहीं है. अब तो जागिए.''

राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को ट्वीट कर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था

इससे पहले राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव ने सोमवार को ट्वीट कर मुख्यमंत्री पर निशाना साधा था. उन्होंने ट्वीट करके लिखा था कि ''बूझो तो जाने? किस प्रदेश का डरपोक मुख्यमंत्री विगत 83 दिन से घर से बाहर नहीं निकला है? कोरोना भले ना भागऽल, लेकिन ई मुकमंत्री जनता के बीच मंझधार में छोड़ के भाग गऽइल, ई रणछोर के हिसाब-किताब आवेवाला चुनाव में सब लोग मिल-जुल के लऽ.''

इसबीच, लालू प्रसाद यादव और तेजस्वी यादव के मुख्यमंत्री पर हमले के बाद जदयू के प्रवक्ता राजीव रंजन ने वीडियो क्लिप सोशल मीडिया पर जारी कर पलटवार किया है. उन्होंने कहा है कि ''राजद के नेताओं को ये समझ में नहीं आता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार और लालू प्रसाद यादव जी के बीच का एक बड़ा फर्क ये है कि कम-से-कम नीतीश कुमार जी जब चाहे बैठक करेंगे, फाइलें निबटाएं, घर से करें या घर से जब बाहर निकलना चाहें, निकल सकेंगे और इसी दिशा में कैबिनेट की बैठक के लिए बाहर जायेंगे, तो इस पर व्यंग्यात्मक टिप्पणी राजद के नेताओं की ओर से हो रही है. 

साथ ही उन्होंने कहा कि उन्हें (राजद को) एक फर्क समझ लेना चाहिए कि कम-से-कम नीतीश कुमार जी को जब भी बाहर निकलना चाहें या घर में बैठ कर फाइलें निबटाना चाहें, वो कर सकते हैं. लेकिन, लालू प्रसाद यादव जी को ये सौभाग्य हासिल नहीं है. कानून की बेरहम मार ने उनको इस काबिल ही नहीं छोडा है कि वो चाहे भी तो बाहर निकल सकें.

इसलिए लॉकडाउन हो या नहीं हो, लालू जी की नियति तो कारावास के बंद कमरे में ही जीवन के जो दिन हैं, उनको व्यतीत करना है. इसलिए ऐसी टिप्पणियों के जरिये उनकी जो हताशा और बौखलाहट दिखती है, जनता सबकुछ समझने लगी है और इसीलिए ऐसी बयानों का संज्ञान लेने के लिए भी आज कोई तैयार नहीं है.

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