चुनाव आते ही ‘आया राम गया राम’ तेज, पार्टी छोड़ कर अन्य दलों का दामन थाम रहे माननीय

By भाषा | Updated: October 4, 2019 15:50 IST2019-10-04T15:49:10+5:302019-10-04T15:50:42+5:30

कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने भी ‘‘आया राम गया राम’’ जैसे कुछ दल बदलू नेताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। समझा जाता है कि ‘‘आया राम गया राम’’ शब्द की उत्पत्ति उस वक्त हुई थी, जब हरियाणा के एक विधायक गया लाल ने 1967 में कुछ ही दिनों में तीन बार अपनी पार्टी बदल ली।

As soon as the election came, the trend of 'Aya Ram Gaya Ram' was fast, leaving the party and joining the other parties | चुनाव आते ही ‘आया राम गया राम’ तेज, पार्टी छोड़ कर अन्य दलों का दामन थाम रहे माननीय

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के एक मात्र विधायक बलकौर सिंह ने भी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया है।

Highlightsकुछ मौजूदा विधायक जिन्होंने दलबदल किया है, वे अयोग्यता का भी सामना कर रहे हैं। इन सभी को भगवा पार्टी से टिकट दिया गया है। ये सभी नेता पार्टी (इनेलो) में वरिष्ठ नेता थे।

हरियाणा विधानसभा चुनाव से पहले कई नेता अपनी पार्टी छोड़ कर अन्य राजनीतिक दलों का दामन थाम रहे हैं और ज्यादातर नेताओं की पहली पसंद भाजपा है।

वहीं, कांग्रेस और जननायक जनता पार्टी (जजपा) ने भी ‘‘आया राम गया राम’’ जैसे कुछ दल बदलू नेताओं को अपनी ओर आकर्षित किया है। समझा जाता है कि ‘‘आया राम गया राम’’ शब्द की उत्पत्ति उस वक्त हुई थी, जब हरियाणा के एक विधायक गया लाल ने 1967 में कुछ ही दिनों में तीन बार अपनी पार्टी बदल ली।

इससे महज साल भर पहले एक नवंबर 1966 को अलग राज्य के रूप में हरियाणा का गठन किया गया था। कुछ मौजूदा विधायक जिन्होंने दलबदल किया है, वे अयोग्यता का भी सामना कर रहे हैं। इंडियन नेशनल लोकदल (इनेलो) के पांच विधायकों को पिछले महीने स्पीकर कंवर पाल ने दलबदल रोधी कानून के तहत हरियाणा विधानसभा की सदस्यता से अयोग्य करार दिया था। इनमें से चार विधायक जजपा में शामिल हुए हैं।

अयोग्य करार दिये गये विधायकों में जेल में कैद अजय सिंह चौटाला की पत्नी नैना सिंह चौटाला, राजदीप फोगाट, प्रीति सिंह और अनूप धनक शामिल हैं। ये सभी जजपा में शामिल हुए हैं। जबकि नसीम अहमद नाम के एक विधायक शुरू में कांग्रेस में शामिल हुए थे लेकिन बाद में उन्होंने भाजपा का दामन थाम लिया।

चौटाला परिवार में विवाद के चलते पिछले साल पार्टी में टूट होने के बाद से इनेलो अब तक के अपने सबसे मुश्किल दौर से गुजर रही है, ऐसे में 21 अक्टूबर के चुनाव से पहले कई नेता पार्टी छोड़ कर चले गये हैं। पूर्व मुख्यमंत्री ओम प्रकाश चौटाला नीत पार्टी के कई नेताओं ने भाजपा का दामन थाम लिया है, जिनमें प्रमुख नेताओं में परमिंदर ढुल, नसीम अहमद, रणबीर गंगवा और जाकिर हुसैन शामिल हैं।

इन सभी को भगवा पार्टी से टिकट दिया गया है। ये सभी नेता पार्टी (इनेलो) में वरिष्ठ नेता थे। इनेलो की रोहतक जिला इकाई के नेता सतीश नंदाल भी भाजपा में शामिल हो गये हैं और उन्हें गढ़ी सांपला-किलोई सीट से पूर्व मुख्यमंत्री भूपेंद्र सिंह हुड्डा के खिलाफ चुनाव मैदान में उतारा गया है।

शिरोमणि अकाली दल (शिअद) के एक मात्र विधायक बलकौर सिंह ने भी विधानसभा चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया है। शिअद ने सिंह के भाजपा में शामिल होने पर सख्त ऐतराज जताया है। सिंह को सिरसा जिला स्थित उनकी कलनवाली सुरक्षित सीट से भगवा पार्टी ने टिकट दिया है।

इनेलो उपाध्यक्ष एवं इसकी प्रदेश इकाई के पूर्व प्रमुख अशोक अरोड़ा भी अपनी मूल पार्टी से दशकों पुराना नाता तोड़ कर कांग्रेस में शामिल हो गये हैं और उन्हें थानेश्वर से टिकट दिया गया है। पूर्व कांग्रेस विधायक शारदा राठौड़ भाजपा में और पूर्व मंत्री जसविंदर सिंह संधू के बेटे गगनदीप संधू कांग्रेस में शामिल हो गये हैं।

पूर्व इनेलो विधायक प्रदीप चौधरी भी कांग्रेस में शामिल हुए हैं जबकि इनेलो के वरिष्ठ नेता रामपाल माजरा ने भाजपा का दामन थाम लिया है। बसपा के एक मात्र विधायक टेक चंद शर्मा ने भी भाजपा का दामन थाम लिया है। पूर्व मंत्री एवं कांग्रेस नेता सतपाल सांगवान जजपा में शामिल हो गये हैं। निवर्तमान विधानसभा के पांच निर्दलीय विधायकों में चार ने चुनाव से पहले भाजपा का दामन थाम लिया।

Web Title: As soon as the election came, the trend of 'Aya Ram Gaya Ram' was fast, leaving the party and joining the other parties

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