हैदराबाद, 7 मार्च: आंध्र प्रदेश को विशेष राज्य का दर्जा दिलाने की मांग में लगी तेलुगू देशम पार्टी (TDP) ने बुधवार को केंद्र सरकार से अलग होने का फैसला लिया है। आंध्र प्रदेश के सीएम चंद्रबाबू नायडू ने प्रेस कांफ्रेंस के जरिए इस बात घोषणा की है। उन्होंने बताया कि टीडीपी के दो केंद्रीय मंत्री गुरुवार को इस्तीफा देंगे। बता दें कि वित्त मंत्री अरुण जेटली ने बात-चीत के जरिए मुद्दे को सुलझाने की कोशिश की थी लेकिन बात नहीं बनी। चंद्रबाबू नायडू का कहना है कि केंद्र मदद नहीं कर रहा।
सीएम नायडू ने प्रेस कांफ्रेंस में कहा कि यह हमारा अधिकार है। केंद्र ने अपना वादा पूरा नहीं किया है। उन्होंने कहा 'हम आंध्र के फायदे के लिए केंद्र सरकार में शामिल हुए थे। लेकिन इससे आंध्र को कोई फायदा नहीं मिल रहा। नायडू ने कहा कि हम यह मुद्दा बजट के दिन से ही उठा रहे हैं लेकिन हमें कोई जवाब नहीं मिला। नायडू ने कहा 'मैंने सरकार से बहुत विनम्रतापूर्वक कहा था कि पिछले चार साल से हमने बहुत मेहनत की है और सभी विकल्पों पर काम किया है। यही नहीं बल्कि हमने आज के भाषण में भी कुछ नहीं बोला। अभी भी मैंने सिर्फ राज्य के साथ अन्याय की बात ही कही।
उन्होंने बताया कि इस मामले में अभी प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से कोई बात नहीं हो पाई है। नायडू ने बताया कि उन्होंने इसकी जानकारी पीएम को देनी चाही है लेकिन अभी तक उनसे संपर्क नहीं हो सका है। टीडीपी के मंत्रियों ने बुधवार को कैबिनेट मीटिंग में हिस्सा लिया था। मंगलवार (6 मार्च ) को अमरावती में टीडीपी विधायक दल की बैठक भी हुई थी। यहां टीडीपी के अधिकतर विधायकों ने बीजेपी के साथ गठबंधन तोड़ने की बात सामने रखी थी।
जेटली ने पत्रकारों से कहा, "सरकार आंध्र प्रदेश को विशेष दर्जा दिए जाने के बराबर राशि विशेष पैकेज के रूप में देने के लिए तैयार है। हम इसे विशेष पैकेज कह रहे हैं।" उन्होंने कहा, "जब आंध्र प्रदेश का बंटवारा हुआ था तब विशेष उन्होंने राज्य का दर्जा देने की अवधारणा मौजूद थी, लेकिन 14वें वित्त आयोग के प्रस्तावों के बाद यह दर्जा केवल पूर्वोत्तर और तीन पहाड़ी राज्यों तक के लिए संवैधानिक रूप से सीमित कर दिया गया।"
जेटली ने कहा, "इसके बावजूद भी, बंटवारे के बाद आंध्र प्रदेश के मुश्किलों का सामना करना पड़ा है, राज्य को वित्तीय सहायता की जरूरत है, जिसे देने के लिए उनकी सरकार प्रतिबद्ध है।" विशेष राज्य का दर्जा देने की स्थिति में केंद्र प्रायोजित योजनाओं में केंद्र सरकार और राज्य के बीच खर्च का वहन 90-10 के अनुपात में होता है, जबकि सामान्य हालातों में अन्य राज्यों के साथ इसी स्थिति में केंद्र सरकार और राज्य के बीच 60-40 के खर्च का अनुपात होता है। जेटली ने कहा कि विशेष दर्जे वाले राज्य को एक बड़ा फायदा 30 यही प्रतिशत का लाभ होता है। इतने की मौद्रिक तरीके से गणना कर इसे राज्य को दिया जा सकता है।
(आईएएनएस इनपुट)