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Yashoda Jayanti 2022: कब और क्यों मनाई जाती है यशोदा जयंती, जानिए पूजा की तिथि, विधि और महत्व

By हर्ष वर्धन मिश्रा | Updated: February 21, 2022 14:35 IST

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हिंदी पंचांग के अनुसार हर साल फाल्गुन माह में कृष्ण पक्ष की षष्ठी को यशोदा जयंती मनाई जाती है। इस साल 22 फरवरी को यशोदा जयंती है इस दिन मां यशोदा की पूजा की जाती है। धार्मिक मान्यता के अनुसार, इस दिन मां यशोदा का जन्म हुआ था।
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मां यशोदा ने ही भगवान श्रीकृष्ण का लालन-पालन किया था, जबकि उनका जन्म मां देवकी के कोख से हुआ था। भगवान श्रीकृष्ण ने मां यशोदा को अपनी माता रूप में चुना। इससे मां यशोदा का जीवन भी धन्य हो गया।
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इस दिन माता यशोदा का विधि-विधान से पूजन और व्रत किया जाता है। धार्मिक मान्यता है कि मैया यशोदा की पूजा करने वाले साधक को सुख, सौभाग्य और वैभव की प्राप्ति होती है।
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इस दिन माताएं अपनी संतान की लंबी आयु और उन्नति की कामना के लिए पूजा-पाठ व व्रत करती हैं।
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यशोदा जयंती के दिन अगर श्रद्धा-भाव से भगवान श्री कृष्ण और माता यशोदा जी की आराधना की जाए तो भगवान श्री कृष्ण के बाल रूप के दर्शन होते हैं। यह दिन माताओं के लिए बेहद खास माना जाता है।
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इस दिन सुबह प्रातःकाल गंगाजल युक्त पानी से स्नान ध्यान कर नवीन वस्त्र धारण करें। अब एक साफ लकड़ी की चौकी लें और अब इस चौकी पर थोड़ा सा गंगाजल छिड़कर कर इसे पवित्र कर लें। कलश को स्थापित करने के बाद माता यशोदा की गोद में विराजमान लड्डू गोपाल की तस्वीर या मूर्ति की स्थापित करें।
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माता यशोदा को लाल रंग चुनरी, कुमकुम, फल, फूल, मीठा रोठ, पंजीरी, माखन आदि सभी चीजें चढ़ाएं। माता यशोदा के समक्ष धूप और दीप जलाएं।
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इसके बाद आमचन कर अपने आप को पवित्र कर व्रत का संकल्प करें। अब माता की स्तुति निम्न मंत्र से करें।
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या देवी सर्वभूतेषु शक्ति रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥ या देवी सर्वभूतेषु यशोदा रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:॥
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दिन भर उपवास रखें और शाम में आरती करने के बाद फलाहार ग्रहण करें।
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