1 / 6क्या होता है श्राद्ध? - श्राद्ध का सीधा अर्थ यह की अपने पितरों की श्रद्धा के साथ पूजा करके उन्हें प्रसन्न करना। हिंदू शास्त्रों के अनुसार अगर किसी व्यक्ति की मृत्यु हो जाती है, तो उनकी तृप्ति और उन्नति के पूजा और अर्चना की जाती है। उसे श्राद्ध कहते हैं।2 / 6पितर किन्हें कहा जाता है - अगर किसी भी परिजन की मृत्यु हो जाती है, उन्हें पितर कहा जाता है। बता दें पितृपक्ष में पितरों की आत्मा की शांति के लिए उनको तर्पण किया जाता है।3 / 6हिंदू धर्म के अनुसार पितृपक्ष का विशेष महत्व होता है और 15 दिन पितरों के होते हैं। हिंदू धर्म में शास्त्रों अनुसार श्राद्ध पक्ष भाद्रपक्ष की पूर्णिणा से आरम्भ होकर आश्विन मास की अमावस्या तक चलते हैं।4 / 6पितृपक्ष में पूर्वजों को याद करके उनकी पूजा की जाती है और ऐसा करने से उनकी आत्मा की शांति मिलती है, बता दें अगर परिजनों में किसी की मृत्यु की तारिक याद ना हो तो ऐसे में आप आश्विन अमावस्या को तर्पण कर सकते हैं।5 / 6किसको करना चाहिए श्राद्ध- श्राद्ध का अधिकार सबसे पहले पुत्र को प्राप्त होता है। लेकिन यदि पुत्र जीवित न हो तो पौत्र, प्रपौत्र या विधवा पत्नी भी श्राद्ध कर सकती है। पुत्र के न रहने पर पत्नी का श्राद्ध पति भी कर सकता है।6 / 6