भारतीय बेसबॉलर नरेंद्र कुमार ने अमेरिका में गाड़ा झंडा, खेलेंगे यूएस मिलिट्री की ओर से By राजेन्द्र सिंह गुसाईं | Published: April 18, 2019 12:36 PM 2019-04-18T12:36:11+5:30 2019-04-18T12:36:11+5:30
Next Next बेसबॉल में भारत का प्रतिनिधित्व कर चुके नरेंद्र कुमार को यूएस मिलिट्री बेसबॉल में साइन किया गया है।
एक ऐसा देश, जहां क्रिकेट को अन्य खेलों की तुलना में सबसे ज्यादा तवज्जो दी जाती हो, वहां से बेसबॉल जैसे खेल में एक खिलाड़ी का इस स्तर तक पहुंचना वाकई में काबिल-ए-तारीफ है।
2 सितंबर 1994 को दिल्ली में जन्मे नरेंद्र ने 8वीं क्लास से बेसबॉल की शुरुआत की।
दिल्ली के सरकारी स्कूल से प्रारंभिक शिक्षा प्राप्त करने वाले नरेंद्र ने दिल्ली विश्विद्यालय के भीमराव अंबेडकर कॉलेज से पढ़ाई की। नरेंद्र ने दिल्ली की टीम से खेलना शुरू किया, जिसके बाद 2015-2017 के बीच भारत के लिए खेला।
साल 2007 में जब उन्हें पता चला कि भारत ने बेसबॉल में कभी गोल्ड जीता ही नहीं, तो उन्होंने देश के लिए भविष्य में बेसबॉल या सॉफ्ट बॉल जैसे अमेरिकी खेल को खेलने का फैसला किया।
साल 2015 में भारत ने तेहरान में प्रेजिडेंशियल कप में ईरान को हरा पहली बार बेसबॉल में गोल्ड जीता। इस दौरान नरेंद्र को बेस्ट पिचर का अवॉर्ड भी मिला।
नरेंद्र को साल 2017 में फिनलैंड के टेम्पेरे टाइगर्स क्लब (Tampere Tigers Club) की ओर से खेलने का मौका मिला, जहां बेस्ट पिचर के अवॉर्ड से नवाजा गया। इसके साथ ही फिनलैंड का बेस्ट प्लेयर-2017 भी चुना गया।
नरेंद्र बताते हैं कठिन दौर में कोच ललित गुप्ता और शिखा राणा ने उन्हें काफी सपोर्ट किया। वो हमेशा मेरा उत्साह बढ़ाते रहे।
नरेंद्र पर हरियाणा के महर्षि दयानंद विश्विद्यालय में केस स्टडी भी की जा चुकी है। इस दौरान नरेंद्र के आस-पास के माहौल, उनके रहन-सहन और खान-पान पर गहनता से अध्ययन किया गया।
नरेंद्र ने फिनलैंड जाकर Varalan Urheiluopisto स्पोर्ट्स कॉलेज में पढ़ाई की। इसके बाद नरेंद्र स्वीडन जाकर बेसबॉल खिलाड़ियों को ट्रेनिंग भी दे चुके हैं।
एक पिचर का करियर लगभग 2-4 साल का होता है। इसके बाद उनका कंधा जवाब दे जाता है, लेकिन नरेंद्र के साथ ऐसा नहीं था।
नरेंद्र पहले आउट फील्ड खेला करते थे। 2010 से उन्होंने पिचिंग शुरू की और आज 9 साल बाद भी वह 89 की स्पीड से पिचिंग करते हैं।
फियस्टा विंटर लीग (Fiesta Winter League) के मालिक गैरी स्नाइडर (Gary Snyder) जब भारत आए, तो उन्होंने नरेंद्र की प्रतिभा को पहचाना और अपनी लीग में साइन किया।
नरेंद्र चाहते हैं कि भारत के खिलाड़ी विदेशी लीग में खेलें, ताकि नए खिलाड़ियों के लिए कोई आइडल बने।