पुण्यतिथि विशेष: घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें... पढ़ें निदा फ़ाज़ली की 10 उम्दा शायरी

By धीरज पाल | Published: February 8, 2019 10:37 AM2019-02-08T10:37:57+5:302019-02-08T10:37:57+5:30

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12 अक्टूबर 1938 को निदा फाजली का जन्म हुआ। निदा के पिता भी शायरी के शौकीन थे लिजाहा उन्हें शेरो-शायरी के संस्कार विरासत में मिले।

अपना बचपन उन्होंने मशहूर शायरों की किताब, उर्दू और फारसी के दीवानों के बीच गुजारा। निदा फाजली ने नज्म, गजल और फिल्मों के लिए गीत भी लिखे हैं।

उर्दू साहित्य के जाने-माने आलोचक प्रोफेसर वारिस अल्वी ने कहीं कहा था कि निदा फाजली की नज्म 'मां' को उर्दू की चंद बेहतरीन नज्मों में शुमार किया जाना चाहिए।

धूप में निकलो घटाओं में नहा कर देखो ज़िंदगी क्या है किताबों को हटा कर देखो

दुश्मनी लाख सही ख़त्म न कीजे रिश्ता, दिल मिले या न मिले हाथ मिलाते रहिए

घर से मस्जिद है बहुत दूर चलो यूँ कर लें, किसी रोते हुए बच्चे को हँसाया जाए

हर आदमी में होते हैं दस बीस आदमी, जिस को भी देखना हो कई बार देखना

कभी किसी को मुकम्मल जहाँ नहीं मिलता, कहीं ज़मीन कहीं आसमाँ नहीं मिलता