1 / 8खुदी को कर बुलन्द इतना कि हर तकदीर से पहले, खुदा बंदे से खुद पूछे बता तेरी रजा क्या है। 2 / 8जफा जो इश्क में होती है वह जफा ही नहीं, सितम न हो तो मुहब्बत में कुछ मजा ही नहीं।3 / 8ढूंढता रहता हूं ऐ 'इकबाल' अपने आप को, आप ही गोया मुसाफिर, आप ही मंजिल हूं मैं।4 / 8दिल की बस्ती अजीब बस्ती है, लूटने वाले को तरसती है।5 / 8मिटा दे अपनी हस्ती को गर कुछ मर्तबा चाहिए कि दाना खाक में मिलकर, गुले-गुलजार होता है।6 / 8सितारों से आगे जहां और भी हैं अभी इश्क के इम्तिहां और भी हैं7 / 8खुदा के बन्दे तो हैं हजारों बनो में फिरते हैं मारे-मारे मैं उसका बन्दा बनूंगा जिसको खुदा के बन्दों से प्यार होगा8 / 8सख्तियां करता हूं दिल पर गैर से गाफिल हूं मैं हाय क्या अच्छी कही जालिम हूं, जाहिल हूं मैं