1 / 9भगवान श्री महाकालेश्वर की सावन-भादौ मास में सवारी में शामिल होने वाले हाथी श्यामू को यूं आम दिनों में प्रशासन पूछता तक नहीं है।सवारी के दौरान पूरा प्रशासनिक अमला उसकी तिमारदारी में जुट जाता है।2 / 9वन विभाग,पशु चिकित्सा,खाघ सुरक्षा एवं पुलिस विभाग इसमें शामिल होता है। सोमवार को निकली सवारी में बाबा मनमहेश रूप में उस पर विराजित होकर निकले। 3 / 9दो दिन पहले से ही उसकी खातिरदारी की जा रही थी। भगवान श्री महाकालेश्वर की सावन-भादौ मास सवारी के क्रम में दूसरे सोमवार से हाथी पर भगवान का मनमहेश स्वरूप सवार कर निकाला जाता है। 4 / 9दूसरी सवारी के पहले से ही श्यामू हाथी की प्रशासनिक राजसी तिमारदारी शुरू हो गई थी। साईंधाम कालोनी निवासी शरवनगिरी बाबा की श्यामू हथनी के पहले रामू हाथी सवारी में शामिल होता था। करीब पैतीस साल बाबा की सेवा करने के बाद वर्ष 2016 में उसकी मौत होने पर श्यामू को सवारी में शामिल किया जाने लगा।5 / 9सवारी से दो दिन पहले से वन विभाग के एक प्रभारी अधिकारी के साथ तीन वन रक्षक उसकी सेवा में तैनात किए गए हैं।वन विभाग श्यामू को शनिवार से ही अपने देखरेख में ले लेता है और पशुचिकित्सा विभाग के पशुचिकित्सकों से समन्वय कर उसके खान-पान के साथ ही स्वास्थ्य का ध्यान रखता है।6 / 9सवारी दिवस पर ट्रेंक्यूलाइजर,चैन के साथ संभागीय रेस्क्यू दल एक दर्जन कर्मचारी उसके साथ पूरे समय बने रहते हैं।दोपहर में एक बजे ही महावत के साथ उसे लेकर मंदिर पहुंच जाते हैं। पूर्व में सवारी के परंपरागत मार्ग से ले जाने के दौरान उसे मंदिर की पुलिस चौकी के समक्ष बांधा जाता था। 7 / 9वर्तमान में सवारी के नए मार्ग के कारण मंदिर के शंखद्वार के पास वनरक्षक उसे बांधकर खडे रहते हैं। पशु चिकित्सा विभाग के दो डाक्टर क्रमवार उसकी सेवा में रहते हैं।डा.अरविंद मैथनिया के अनुसार सोमवार को श्यामू को चारा पिंडी,गुड़, केले, नारियल, गेहूं खाने को दिया गया था।8 / 9श्यामू पूर्ण व्यस्क स्थिति में है।उसका टेंपरेचर 95.3 डिग्री फेरेनहाइट दर्ज किया गया था। उसकी धड़कन नार्मल थी। दोपहर 12 बजे उसके स्वस्थ्य होने का प्रमाणिकरण किया गया ।उसके बाद ही उसे सवारी के लिए ले जाया गया । फीमेल श्यामू की उम्र 22-23 साल है।9 / 9उसका वजन 4975 किलो है। वीवीआईपी की तरह श्यामू का भोजन जांचने के लिए तैनात फूड़ इंस्पेक्टर बीएस देवलिया बताते हैं कि सुबह पौने दस बजे उसे भोजन दिया गया था।इस भोजन में चारा पिंडी और गेहूं के साथ केले और नारियल भी था।