फाइनैंशल इयर खत्म होने से पहले ही करें टैक्स बचाने की प्लानिंग

By लोकमत समाचार हिंदी ब्यूरो | Published: January 21, 2018 01:27 AM2018-01-21T01:27:34+5:302018-01-21T01:28:18+5:30

फाइनैंशल इयर के शुरूआत में ही टैक्स प्लानिंग करना ज्यादा फायदेमंद रहता है। इसलिए आपको फाइनैंशल इयर के समय दिए गए रेंट के पेपर्स और एग्रीमेंट, से जुड़े सभी दस्तावेज के साथ ही टैक्स का हिसाब करने के लिए जरुरी दूसरे सभी विवरणों को सही ढंग से रखना चाहिए

Before financial year ends, save you tax amount | फाइनैंशल इयर खत्म होने से पहले ही करें टैक्स बचाने की प्लानिंग

फाइनैंशल इयर खत्म होने से पहले ही करें टैक्स बचाने की प्लानिंग

साल का फाइनैंशल इयर अब बस खत्म होने की कगार पर है, ऐसे में आपने टैक्स बचत योजना अब तक तैयार कर ली होगी।  अगर अभी तक नहीं की तो आपके पास अभी भी समय है।  ऐसा न करने पर लास्ट टाइम में हड़बड़ी में कुछ गलतियां हो सकती हैं और हम समझदार और किफायती टैक्स बचाव उपायों का लाभ उठाने से वंचित रह सकते हैं। फाइनैंशल इयर के शुरूआत में ही टैक्स प्लानिंग करना ज्यादा फायदेमंद रहता है। इसलिए आपको फाइनैंशल इयर के समय दिए गए रेंट के पेपर्स और एग्रीमेंट, लाइफ इंश्योरेंस प्रीमियम, हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम, ट्यूशन फीस, और आयकर अधिनियम की धारा के अंतर्गत किए गए सभी इन्वेस्टमेंट से जुड़े सभी दस्तावेज के साथ ही टैक्स का हिसाब करने के लिए जरुरी दूसरे सभी विवरणों को सही ढंग से रखना चाहिए। 

फाइनैंशल इयर खत्म होने से पहले टैक्स अमाउंट कम करें 

टैक्स कटौती का फायदा देने वाले खर्च आपके टैक्स अमाउंट को कम करने में मदद कर सकते हैं। आयकर अधिनियम की धारा के अंतर्गत धारा 24 (b) और धारा 80 (C) के तहत होम लोन की ईएमआई टैक्स की रकम को कम कर सकती है। ऐसे ही एजुकेशन लोन पर दिया जाने वाला इंटरेस्ट धारा 80 (E) के अंतर्गत कुछ लिमिट तक आपका टैक्स बचा सकता है। हेल्थ इंश्योरेंस प्रीमियम में भी कुछ बिमारियों के इलाज पर होने वाले खर्च को धारा 80 (D) के तहत शामिल किया गया है। मकान का रेंट एक जरुरी खर्च है, जो आपका काफी टैक्स बचा सकता है। ज्यादातर कंपनियां आपके टैक्स के अमाउंट को कम रखने के लिए एचआरए देती हैं। अपने टैक्स अमाउंट को मिनिमम करने के लिए इस तरह के किराए के पेमेंट पर क्लेम करना चाहिए। अगर आप पहली बार अपना घर खरीद रहे हैं और इसके लिए होम लोन लिया है तो आप धारा 80 EE के अंतर्गत 50,000 रुपये तक टैक्स रिटर्न क्लेम कर सकते हैं लेकिन लोन का कुल अमाउंट 35 लाख रुपये से कम और प्रॉपर्टी की कीमत 50 लाख रुपये से कम होनी चाहिए। 

अगर आप अपने टैक्स अमाउंट को कम नहीं कर पा रहे हैं तो एक नया इन्वेस्टमेंट करने और आगामी फाइनैंशल इयर में अपनी टैक्सेबल इनकम को बढ़ाने के बजाय, परिवार में किसी भी सदस्य के अकाउंट में फंड ट्रांसफर करा सकतें है इससे आपकी इनकम टैक्सेबल नहीं है, और उनके अकाउंट में पैसे इन्वेस्ट करना चाहिए। इससे आप अगले फाइनैंशल इयर में लगने वाले टैक्स अमाउंट को कम कर सकते हैं। 

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