Tokyo Olympic 2020: स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने टोक्यो ओलंपिक खेलों में शनिवार को भाला फेंक का स्वर्ण पदक अपने नाम करके भारत को ओलंपिक ट्रैक एवं फील्ड प्रतियोगिताओं में अब तक का पहला पदक दिलाकर नया इतिहास रचा।
आज का दिन (7 अगस्त) ऐतिहासिक हो गया। हरियाणा के खांद्रा गांव के एक किसान के बेटे 23 वर्षीय नीरज ने कारनामा कर दिखाया। नीरज चोपड़ा ने 2017 को एक ट्वीट किया था। वह वायरल हो रहा है।आज भी उनके ट्विटर प्रोफाइल पर पिन ट्वीट है।
स्टार एथलीट नीरज चोपड़ा ने इन चार पंक्तियों में लिखा था-‘जब सफलता की ख्वाहिश आपको सोने न दे, जब मेहनत के अलावा और कुछ अच्छा न लगे. जब लगातार काम करने के बाद भी थकावट न हो. समझ लेना सफलता का नया इतिहास रचने वाला है।’ आज सपना साकार हुआ। 2021 में आखिरकार इतिहास रच दिया। देश का झंडा ऊंचा कर दिया।
अपने दूसरे प्रयास में 87.58 मीटर भाला फेंककर दुनिया को स्तब्ध कर दिया और भारतीयों को जश्न में डुबा दिया। एथलेटिक्स में पिछले 100 वर्षों से अधिक समय में भारत का यह पहला ओलंपिक पदक है। चोपड़ा शुरू से ही आत्मविश्वास से भरे हुए थे और किसी भी समय दबाव में नहीं दिखे।
वह एक ‘रॉकस्टार’ की तरह आये और तोक्यो ओलंपिक को भारत के लिये अभी तक का सर्वश्रेष्ठ ओलंपिक बना गये। नीरज भारत की तरफ से व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं इससे पहले निशानेबाज अभिनव बिंद्रा ने बीजिंग ओलंपिक 2008 में पुरुषों की 10 मीटर एयर राइफल में स्वर्ण पदक जीता था।
उन्होंने छठे प्रयास में 84.24 मीटर भाला फेंका लेकिन इससे पहले उनका स्वर्ण पदक पक्का हो गया था। चोपड़ा समझ गये थे कि उन्होंने स्वर्ण पदक पक्का कर दिया है और इसलिए वह जश्न मनाने लग गये थे। स्पर्धा समाप्त होने के बाद चोपड़ा स्टेडियम में मौजूद भारतीय दल के सदस्यों के पास गये और उन्होंने हवा में मुट्ठी भींची। इसके बाद उन्होंने स्वयं पर तिरंगा लपेटा और मैदान पर थोड़ी दूर तक दौड़ लगायी। चोपड़ा ने यहां तक कि वेटर का हौसला भी बढ़ाया जो उनके अच्छे मित्र हैं लेकिन आज जर्मन एथलीट का दिन नहीं था।
पाकिस्तान के अरशद नदीम 84.62 मीटर के सर्वश्रेष्ठ प्रयास के साथ पांचवें स्थान पर रहे। चोपड़ा ने अपने करियर का पांचवां सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन किया जिससे उन्होंने वह कर दिखाया जो 1960 में मिल्खा सिंह और 1984 में पी टी ऊषा नहीं कर पायी थी। भारतीय एथलेटिक्स महासंघ के अध्यक्ष आदिले सुमरिवाला ने कहा, ‘‘आज का दिन वास्तव में भारतीय एथलेटिक्स के लिये महत्वपूर्ण दिन है। ओलंपिक पदक से बड़ा कुछ नहीं होता है और यह तो स्वर्ण पदक है। हमने लंबा इंतजार किया लेकिन आखिर में लक्ष्य हासिल कर दिया।’’
उन्होंने कहा, ‘‘मुझे उम्मीद है कि नीरज का स्वर्ण पदक देश और दुनिया में भारतीय एथलेटिक्स की स्थिति बदलेगा। ’’ भारत ने पहली बार एंटवर्प ओलंपिक 1920 में एथलेटिक्स में भाग लिया था लेकिन तब से लेकर रियो 2016 तक उसका कोई एथलीट पदक नहीं जीत पाया था। अंतरराष्ट्रीय ओलंपिक समिति (आईओसी) अब भी नार्मन प्रिचार्ड के पेरिस ओलंपिक 1900 में 200 मीटर और 200 मीटर बाधा दौड़ में जीते गये पदकों को भारत के नाम पर दर्ज करता है लेकिन विभिन्न शोध तथा अंतरराष्ट्रीय एथलेटिक्स महासंघ (अब विश्व एथलेटिक्स) के अनुसार उन्होंने तब ग्रेट ब्रिटेन का प्रतिनिधित्व किया था।
नीरज के स्वर्ण जीतने के बाद जश्न में डूबा हरियाणा
नीरज चोपड़ा के तोक्यो ओलंपिक में स्वर्ण पदक जीतने के बाद उनका गृह राज्य हरियाणा जश्न में डूब गया। लोगों ने सड़कों पर निकलकर और आतिशबाजी करके इस उपलब्धि का जश्न मनाया। तेईस वर्षीय चोपड़ा ओलंपिक में व्यक्तिगत स्वर्ण पदक जीतने वाले केवल दूसरे भारतीय खिलाड़ी हैं। वह ट्रैक एवं फील्ड में पदक जीतने वाले पहले भारतीय हैं।
चोपड़ा के परिजनों के फोन लगातार घनघना रहे हैं और उनके पास कई हस्तियों के फोन और संदेश आ रहे थे। चोपड़ा के पिता सतीश ने कहा कि उनके बेटे ने पूरे देश को गौरवान्वित किया है। उन्होंने कहा, ‘‘उसके साथ सभी देशवासियों का आशीर्वाद था।’’
पहलवान बजरंग पूनिया के कांस्य पदक जीतने के कुछ देर बाद चोपड़ा के स्वर्ण पदक जीतने की खबर आयी। सोनीपत, रोहतक, झज्जर, भिवानी और पानीपत में लोगों ने इन दोनों की उपलब्धियों का जश्न मनाया। चोपड़ा के परिवार ने घर में बड़ी स्क्रीन लगा रखी थी तथा उनके सभी पड़ोसी, बच्चे उस पर सीधा प्रसारण देख रहे थे।
उनके घर में कई मीडियाकर्मी भी पहुंचे थे और चोपड़ा परिवार उनकी आवभगत करने में व्यस्त था। हरियाणा के मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने पहले बजरंग पूनिया के पिता से बात की और बाद में चोपड़ा के माता पिता को भी बधाई दी।