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एशियन गेम्स से पहले इस भारतीय बॉक्सर ने मुश्किल हालात को बताया बेहतर शिक्षक

By भाषा | Updated: August 6, 2018 11:22 IST

शिव थापा का मानना है कि सफलता आपको आगे बढ़ाती है, लेकिन मुश्किल हालात आपको वह सबक देते हैं जो कोई नहीं सिखा सकता।

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नई दिल्ली, 6 अगस्त। एशियाई खेलों में पहले पदक पर नजर टिकाए बैठे अनुभवी भारतीय मुक्केबाज शिव थापा का मानना है कि सफलता आपको आगे बढ़ाती है, लेकिन मुश्किल हालात आपको वह सबक देते हैं जो कोई नहीं सिखा सकता। लगातार तीन एशियाई चैंपियनशिप (2013 में स्वर्ण, 2015 में कांस्य और 2017 में रजत) में पदक जीतने वाले एकमात्र भारतीय मुक्केबाज शिव इंडोनेशिया में 18 अगस्त से शुरू हो रहे एशियाई खेलों के साथ दूसरी बार इस महाद्वीपीय प्रतियोगिता में हिस्सा लेंगे।

शिव पिछली बार एशियाई खेलों के क्वार्टर फाइनल में हार गए थे। उन्होंने कहा कि मुश्किल हालात का मतलब विफलता नहीं है। विश्व चैंपियनशिप में पदक जीतने वाले चार भारतीय मुक्केबाजों में से एक शिव ने कहा, 'मुझे लगता है कि मुश्किल हालात बेहतर शिक्षक होते हैं। यह आपको मजबूत बनाते हैं और जब आप वापसी करते हैं तो यह सबसे शानदार अहसास होता है।

उन्होंने कहा, 'सफलता निश्चित तौर पर आपको आगे बढ़ाती है और आपके अंदर आत्मविश्वास लाती है, लेकिन मुश्किल हालात धनुष की तरह होते हैं, आप इसको जितना पीछे खींचोगे उतनी ही तेजी से आगे जाओगे। सफलता भी आपको सीख देती है लेकिन कई बार आप आत्ममुग्ध हो जाते हो लेकिन मुश्किल हालात जैसा मजबूत आपको कोई नहीं कर सकता।'

एशियाई खेलों के संदर्भ में शिव ने कहा, 'एशियाई खेल मेरे लिए काफी मायने रखते हैं। मैं आपको बता नहीं सकता कि यह क्या मायने रखते हैं। यह बड़ी चुनौती है और मैं इस चुनौती के लिए तैयार हूं। 2016 में 60 किग्रा वर्ग में आने के बाद यह सबसे बड़ी प्रतियोगिता है और मैं इसका इंतजार कर रहा हूं।'

पिछला एक साल शिव के लिए उतार चढ़ाव भरा रहा। उन्होंने 60 किग्रा में आने के बाद मई 2017 में एशियाई चैंपियनशिप में रजत पदक जीता जो इस वर्ग में उनका पहला अंतरराष्ट्रीय पदक था। विश्व चैंपियनशिप में पदक के प्रबल दावेदार शिव हालांकि पहले दौर के मुकाबले से पहले फूड प्वाइजनिंग का शिकार हो गए और रिंग में नहीं उतर पाए।

इसके बाद उन्होंने राष्ट्रीय चैंपियनशिप में रजत और इंडिया ओपन में कांस्य पदक जीता। वह हालांकि राष्ट्रीय फाइनल्स में मनीष कौशिक के खिलाफ शिकस्त के कारण गोल्ड कोस्ट राष्ट्रमंडल खेलों के लिए क्वालीफाई नहीं कर पाए।

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