कानपुर, 29 नवंबर भारत के मुख्य कोच राहुल द्रविड़ ने सोमवार को न्यूजीलैंड के खिलाफ ड्रा हुए पहले टेस्ट में पांचवें दिन के खेल के दौरान पिच से मदद नहीं मिलने के बावजूद भी दबदबा कायम करने पर स्पिन गेंदबाजों की सराहना की।
भारतीय गेंदबाजों ने न्यूजीलैंड के नौ विकेट चटका दिए थे, लेकिन रचिन रविन्द्र और एजाज पटेल की आखिरी जोड़ी को आउट करने में नाकाम रहे। दोनों ने 8.4 ओवर तक साहसिक बल्लेबाजी कर भारत को जीत दर्ज करने से रोक दिया।
द्रविड़ ने सोमवार को मैच के बाद कहा, ‘‘ हमने काफी संयम और संघर्ष का जज्बा दिखाया और उस अंतिम सत्र में वास्तव में कड़ी मेहनत की। पांचवें दिन पिच से मदद नहीं मिल रही थी। गेंद में हरकत नहीं हो रही थी और लंच के बाद आठ विकेट लेने का वास्तव में शानदार प्रयास था।’’
उन्होंने कहा, ‘‘ अगर किस्मत का थोड़ा साथ मिला होता तो मैच का रुख हमारी ओर मुड़ जाता। मुझे लगता है कि खिलाड़ियों ने वास्तव में कड़ी मेहनत की।’’
द्रविड़ इस बात से आश्चर्यचकित थे कि मैच के पांचवें दिन पिच से गेंद को बेहद कम टर्न मिल रही थी और गेंद असमान हरकत नहीं कर रही थी। इससे गेंद बल्ले का किनारा नहीं ले रही थी और स्लिप तथा बल्लेबाज के आस-पास खड़े क्षेत्ररक्षकों की भूमिका सीमित हो गयी।
द्रविड़ ने कहा, ‘‘ गेंद नीचे रहने के साथ धीमी आ रही थी, शायद इसमें उछाल और टर्न नहीं था। पांचवें दिन भारतीय परिस्थितियों में पिच में दरार आ जाती है लेकिन इसमें ऐसा कुछ नहीं था।’’
द्रविड़ ने कहा, ‘‘आम तौर पर भारत में पांचवें दिन स्पिनरों को मदद मिलती है, गेंद बल्ले के किनारे से टकराती है और इसके बाद आस पास के क्षेत्ररक्षकों को भूमिका निभानी होती है। लेकिन ऐसा नहीं हुआ। मैच के आखिरी दिन तक भी बल्ले के करीब बहुत कम कैच निकले।’’
कोच ने कहा कि टॉम लैथम जैसे खिलाड़ी दोनों पारी में मिलाकर 400 से अधिक गेंद खेलने में सक्षम थे और ऐसा इसलिए हुआ क्योंकि इस पिच पर रक्षात्मक बल्लेबाजी करना मुश्किल नहीं था।
उन्होंने कहा, ‘‘ ऐसा लग रहा था कि अगर आप रन नहीं बनाना चाहते है तो आपको आउट करना मुश्किल है। हमारे पास ऐसे खिलाड़ी है जो इन परिस्थितियों में भी दबदबा कायम करने में सफल रहे। अगर ऐसा नहीं होता तो यह मैच नीरस ड्रा की ओर बढ़ जाता।
Disclaimer: लोकमत हिन्दी ने इस ख़बर को संपादित नहीं किया है। यह ख़बर पीटीआई-भाषा की फीड से प्रकाशित की गयी है।