खेल मंत्रालय ने टीओपी स्कीम में किए बदलाव, अब एथलीटों को सीधे नहीं मिलेंगे पैसे
By विनीत कुमार | Updated: December 29, 2017 13:17 IST2017-12-29T13:09:57+5:302017-12-29T13:17:31+5:30
खेल मंत्रालय ने यह फैसला टीओपी फंडिंग के तहत मिलने वाले पैसों के दुरुपयोग से संबंधित कुछ शिकायतें मिलने के बाद की है। निए नियमों के अनुसार अब एथलीटों को सीधे पैसे नहीं दिए जाएंगे।

खेल मंत्रालय ने बदला टीओपी स्कीम
खेल मंत्रालय ने ओलंपिक सहित एशियाई खेलों और कॉमनवेल्थ गेम्स की बेहतर तैयारियों के लिए चुनिंदा खिलाड़ियों को टार्गेट ओलंपिक पोडियम (टीओपी) स्कीम के तहत दिए जाने वाले फंड को जारी करने की गाइडलाइंस में बदलाव का फैसला किया है। नए दिशा-निर्देशों के अनुसार अब इसके तहत दिए जाने वाले फंड सीधे खिलाड़ियों को नहीं दिए जाएंगे बल्कि संबंधित संस्थान या फिर महासंघ को सौंपे जाएंगे।
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार खेल मंत्रालय ने यह फैसला टीओपी फंडिंग के तहत मिलने वाले पैसों के दुरुपयोग से संबंधित कुछ शिकायतें मिलने के बाद की है। इन शिकायतों को देखते हुए खेल मंत्रालय ने तत्काल प्रभाव से टीओपी स्कीम के पैसे सीधे एथलीटों को देने पर रोक लगा दी है।
टीओपी के तहत फिलहाल देश में करीब 184 एथलीटों और संबंधित राष्ट्रीय खेल महासंघो को फायदा मिल रहा है। नए निर्देशों के तहत अब मंत्रालय ने मिशन ओलंपिक सेल (एमओसी) के सदस्यों भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) और महासंघो को पैसों के भुगतान से संबंधित जिम्मेदारी सौंपी है।
उदाहरण के तौर पर अगर कोई एथलीट भारत के बाहर किसी प्रकार की ट्रेनिग चाहता है तो साई सीधे विदेश के संबंधित संस्थान को भुगतान ीयकर देगी। ऐसे ही देश के भीतर फिजियो, मेंटल या फिजिकल ट्रेनर की सहायता लेने पर साई खिलाड़ियों के उन ट्रेनर्स से कॉन्ट्रैक्ट करेगी। ऐसे ही किसी खास उपकरण की खरीद का भुगतान भी साई की ओर से होगा।
इससे पहले यह पैसे सीधे खिलाड़ियों को दे दिए जाते थे। बता दें कि यह योजना रियो ओलंपिक-2016 से कुछ महीने पहले शुरू की गई थी। इसका उद्देश्य उन चुनिंदा खिलाड़ियों को सहायता देना था जिनके ओलंपिक में मेडल जीतने की संभावना सबसे ज्यादा है। अगले ओलंपिक खेल 2020 में टोक्यो में होने हैं। वहीं, 2018 राष्ट्रमंडल खेल और एशियन गेम्स होने है।