Nadia Nadim- अफगानिस्तान में तालिबान ने पिछले साल तख्ता पलटकर कब्जा कर लिया। महिलाओं पर हर तरफ से पाबंदी लगा दी गई। खेलने से भी वंचित कर दिया गया। लेकिन नादिया नदीम ने कारनामा कर दिखाया। फुटबॉलर ने कई कारनामा किया और आज डॉक्टर बन समाज की सेवा करने को आतुर हैं।
डेनमार्क पहुंचकर एक स्टार फुटबॉलर बन गईं। आपको बता दें कि नादिया नदीम के पिता आर्मी में थे। तालिबान ने मार दिया था। नादिया ने पेरिस सेंट-जर्मेन और मैनचेस्टर सिटी क्लब के लिए भी मैच खेला। नादिया 11 भाषा जानतीं हैं। 98 अंतरराष्ट्रीय मैच में 200 गोल किए। साल 2000 में अफगानिस्तान छोड़कर भाग गई थीं।
फुटबॉलर नादिया नदीम अब आपको मैदान पर नहीं मिलेंगी। फुटबॉल खेलने के दौरान 5 साल की पढ़ाई के बाद डॉक्टर बन गई हैं। एक बच्चे के रूप में अफगानिस्तान से भागीं नदीम ने पेरिस सेंट-जर्मेन में अपने इतिहास में पहली बार डिवीजन 1 का खिताब जीतने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई और 27 खेलों में 18 गोल किए।
नादिया का जन्म 2 जनवरी 1988 को हेरात में हुआ था और उनका पालन-पोषण अफगानिस्तान में हुआ था। पिता अफगान नेशनल आर्मी (एएनए) में जनरल थे। 2000 में तालिबान ने मार डाला। उनका परिवार तब डेनमार्क भाग गया, जहां उन्होंने बी52 अलबोर्ग और टीम के लिए खेलते हुए अपना फुटबॉल करियर शुरू किया।