CWG 2018: ट्रक ड्राइवर के बेटे ने इंडिया को दिलाया पहला मेडल, कभी नहीं होते थे डाइट के पैसे

By सुमित राय | Updated: April 5, 2018 13:23 IST2018-04-05T10:50:24+5:302018-04-05T13:23:24+5:30

गुरुराजा कर्नाटक के कुंडूपारा के रहने वाले हैं और उन्होंने साल 2010 में अपने वेटलिफ्टिंग करियर की शुरुआत की थी।

CWG 2018: Know Who is Gururaja? Truck driver's son opens India's account at Commonwealth Games | CWG 2018: ट्रक ड्राइवर के बेटे ने इंडिया को दिलाया पहला मेडल, कभी नहीं होते थे डाइट के पैसे

CWG 2018: Know Who is Gururaja? Truck driver's son opens India's account at Commonwealth Games

गोल्ड कोस्ट, 5 अप्रैल। ऑस्ट्रेलिया के गोल्ड कोस्ट में चल रहे कॉमनवेल्थ गेम्स में भारत को बड़ी कामयाबी मिली और वेटलिफ्टर गुरुराजा पुजारी ने 56 किलोग्राम कैटेगरी में सिल्वर मेडल जीता। वहीं इस प्रतियोगिता का गोल्ड मेडल मलेशिया के मुहामेद इजहार अहमद हाजालवा ने जीता और श्रीलंका के चतुरंगा लकमल को कांस्य पदक मिला।

बता दें कि गुरुराजा कर्नाटक के कुंडूपारा के रहने वाले हैं और उन्होंने साल 2010 में अपने वेटलिफ्टिंग करियर की शुरुआत की थी। हालांकि उनके लिए एक वेटलिफ्टर बनना आसान नहीं था, क्योंकि परिवार की आर्थिक स्थिति ठीक नहीं थी। आठ लोगों के परिवार में गुरुराजा के पास डाइट और सप्लीमेंट्स के लिए पैसे नहीं होते थे। गुरुराजा के पिता पिक-अप ट्रक ड्राइवर हैं, लेकिन उन्होंने गुरुराजा को हिम्मत नहीं हारने दी।

एयरफोर्स में काम करते हैं गुरुराजा

गुरुराजा बताते हैं कि जब उन्होंने वेटलिफ्टिंग में करियर बनाना शुरू किया तब परिवार की आर्थिक स्थित ठीक नहीं थी, हालांकि बाद में धीरे-धीरे चीजें बेहतर होती गईं। अब गुरुराजा इंडियन एयरफोर्स में काम करते हैं और वहां निचली कटैगरी के कर्मचारी हैं।

गुरुराजा जीत चुके हैं कई गोल्ड मेडल

- गुरुराजा पुजारी ने साल 2016 पेनांग में कॉमनवेल्थ सीनियर वेटलिफ्टिंग चैम्पियनशिप में भी गोल्ड जीता था। उन्होंने 249 किग्रा (स्नैच में 108 किग्रा और क्लीन एंड जर्क में 141 किग्रा ) वजन उठाया था। उन्होंने इसी साल साउथ एशियन गेम्स में 56 किग्रा कैटेगरी में भी गोल्ड जीता था। तब उन्होंने कुल 241 किग्रा वजन उठाया था।

रेसलिंग में बनाना चाहते थे करियर

साल 2010 में गुरुराजा अपने करियर के शुरुआत में रेसलिंग में अपना करियर बनाना चाहते थे। उन्होंने अपने इंटरव्यू में बताया था कि मैंने 2010 दिल्ली कॉमनवेल्थ गेम्स में पहलवान सुशील कुमार को देखा था। उस समय मैंने भी रेसलिंग में अपना कॅरियर शुरू करने की सोची, लेकिन जब मैं अपने कोच राजेंद्र प्रसाद से मिला तो उन्होंने मुझसे वेटलिफ्टिंग करने को कहा।'

अब ओलंपिक की करेंगे तैयारी

कॉमनवेल्थ गेम्स में सिल्वर मेडल जीतने के बाद गुरुराजा ने अपना अगला लक्ष्य तय कर लिया।  जीत के बाद उन्होंने बताया कि अब वे 2020 टोक्यो ओलिंपिक की तैयारी में जुटेंगे। नेशनल फेडरेशन और हर उस शख्स से जो मेरी जिंदगी का हिस्सा रहा, उससे मुझे बहुत सहयोग मिला है। सभी कोच मेरे प्रदर्शन में निखार लाए हैं।

कॉमनवेल्थ गेम्स के मैच के बारे में बात करते हुए गुरुराजा ने कहा कि क्लीन एंड जर्क में जब मेरे दो प्रयास खाली चले गए, तो मेरे कोच ने याद दिलाया कि मेरी जिंदगी इस पदक पर कितनी निर्भर है। मैंने अपने परिवार और देश को याद किया।

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