#KuchPositiveKarteHain: दो बच्चों के जन्म के बाद भी नहीं हारी हिम्मत, पांच साल बाद वापसी कर जीता बॉक्सिंग का गोल्ड मेडल
By अभिषेक पाण्डेय | Updated: August 9, 2018 16:45 IST2018-08-09T16:45:17+5:302018-08-09T16:45:17+5:30
Chetna Saini: हरियाणा की 23 वर्षीय चेतना सैनी ने दो बच्चों के जन्म के बावजूद पीछे मुड़कर नहीं देखा और बॉक्सिंग का गोल्ड जीता

चेतना सैनी (Pic courtesy: Better India)
हाल ही में हरियाणा में जिला स्तरीय बॉक्सिंग चैंपियनशिप में गोल्ड जीतने वाली 23 वर्षीय चेतना सैनी की कहानी किसी के लिए भी प्रेरणादायक हो सकती है। दो बच्चों की मां चेतना ने सारे सामाजिक, मानसिक और शारीरिक बंधनों को तोड़ते हुए अपने पसंदीदा खेल में नई बुलंदियाों को छुआ और अपने बचपन के सपने को पूरा किया।
चार भाई-बहनों के साथ गुरुग्राम के फारूखनगर में पली-बढ़ी चेतना का बॉक्सिंग से लगाव तब शुरू हुआ जब वह कक्षा 9 में थीं और उनके पिता उन्हें कोच धर्मवीर सिंह द्वारा आयोजित एक बॉक्सिंग कैंप में ले गए थे।
उस कैंप में काफी कम सुविधाएं और इंफ्रास्ट्रक्टर थे लेकिन अपने जुनून और लगन की बदौलत चेतना ने 12वीं क्लास में पहुंचने तक बॉक्सिंग खेलना जारी रखा। कॉलेज पहुंचने के एक साल के अंदर ही उनकी शादी हो गई और तब उनकी उम्र सिर्फ 18 साल थी।
लेकिन वह खुशकिस्मत रही कि उन्हें अपने पति और ससुराल वालों से ये सांत्वना मिली कि वे अपनी बॉक्सिंग और कॉलेज की पढ़ाई जारी रख सकती हैं। इस तरह उन्होंने अपनी पढ़ाई जारी रखी और दो बच्चों के जन्म के बाद भी ससुराल वालों के समर्थन की वजह से उन्हें अपनी कॉलेज की पढ़ाई पूरी करने का मौका मिला।
इन सबके बीच चेतना अपने बचपन के पसंदीदा खेल बॉक्सिंग से लगभग दूर हो गई थीं। लेकिन अपने आसपास की लड़कियों को बॉक्सिंग सिखाने के दौरान उनका इस खेल के प्रति पुराना लगाव फिर से उभर आया और उनके अंदर फिर से इस खेल में आगे बढ़ने की आस जग गई।
लेकिन दो बच्चों के जन्म के बाद उनके लिए प्रतिस्पर्धात्मक प्रतियोगिताओं में लौटना आसान नहीं था। जिला स्तरीय प्रतियोगिता में भाग लेने के लिए उनके पास सिर्फ दो महीने का समय था। लेकिन अपने कोच के मार्गदर्शन और दिन-रात की कड़ी ट्रेनिंग की मदद से उन्होंने जिला स्तरीय प्रतियोगिता में गोल्ड जीत लिया।
वह अपनी इस सफलता का श्रेय अपने पति और अपने दादा को देती हैं। हालांकि वह कहती हैं कि उनका ट्रेनिंग के दौरान कभी-कभी चोटिल होकर घर लौटना उनके बच्चों को खलता था। खासकर छोटा बेटा जो सिर्फ दो साल का है बड़ी मासूमियत से पूछता था, 'क्या आपको बॉक्सिंग से चोट लगी है?' उनका बड़ा बेटा भी अभी सिर्फ चार साल का है।
चेतना अभी हर दिन करीब पांच घंटे की कड़ी ट्रेनिंग करती हैं और वह राष्ट्रीय स्तर के चयन के लिए पसीना बहा रही हैं, जो अगले दो महीने में होना वाला है। इस बहादुर महिला को उनके उज्ज्वल भविष्य के लिए शुभकामनाएं!