एशियन गेम्स: घुड़सवारी से दो सिल्वर, फवाद मिर्जा 1982 के बाद व्यक्तिगत स्पर्धा में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय
By विनीत कुमार | Updated: August 26, 2018 14:12 IST2018-08-26T14:12:40+5:302018-08-26T14:12:40+5:30
भारत ने इस खेल में इससे पहले 10 मेडल जीते हैं। इसमें तीन गोल्ड हैं। व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत की झोली में आखिरी मेडल 1982 के एशियन गेम्स में आया था।

फवाद मिर्जा
जकार्ता, 26 अगस्त: भारत के फवाद मिर्जा इतिहास रचते हुए 1982 के बाद एशियन गेम्स में एक्वेस्ट्रियन (घुड़सवारी) के व्यक्तिगत स्पर्धा में मेडल जीतने वाले पहले भारतीय बन गये है। फवाद एक्वेस्ट्रियन के इवेंटिंग स्पर्धा में जापान के ओइवा योसियाकी के बाद दूसरे स्थान पर रहे और सिल्वर मेडल पर कब्जा जमाया। इसके अलावा भारत ने इसी स्पर्धा के टीम इवेंट में भी सिल्वर मेडल जीता। फवाद, जितेंद्र सिंह, आकाश मलिक और राकेश कुमार ने 121.30 स्कोर के साथ भारत की झोली में ये मेडल डाला।
एक्वेस्ट्रियन के तीन दिन चले व्यक्तिगत स्पर्धा के फाइनल में फवाद ने 26.40 का स्कोर बनाया। फवाद ने 22.40 के स्कोर के साथ फाइनल के लिए क्वॉलिफाई किया था। भारत ने इस खेल में इससे पहले 10 मेडल जीते हैं। इसमें तीन गोल्ड हैं। हालांकि, व्यक्तिगत स्पर्धा में भारत की झोली में आखिरी मेडल 1982 के एशियन गेम्स में आया था।
उस समय दिल्ली में हुए खेलों में रघुवीर सिंह ने गोल्ड मेडल जीता था। उस साल सभी मेडल भारत की ही झोली में आये थे। गुलाम मोहम्मद खान ने सिल्वर जबकि प्रहलाद सिंह ने ब्रॉन्ज पर कब्जा जमाया था।
फवाद पांच साल की उम्र से ही घुड़सवारी कर रहे हैं और उसी उम्र में उन्होंने एक क्षेत्रीय प्रतियोगिता में हिस्सा भी लिया था। इसके बाद से फवाद का घुड़सवारी से जुड़ाव अब तक जारी है। पिछले तीन साल जर्मनी और यूके में ट्रेनिंग ले रहे फवाद की हालांकि एशियन गेम्स तक पहुंचने की राह आसान नहीं रही। इसी साल जून में भारतीय ओलंपिक संघ ने पूरी टीम को ड्रॉप कर दिया था। हालांकि, खेल मंत्रालय की ओर से आखिरी मंजूरी के बाद आखिरकार सात सदस्यीय घुड़सवारी दल को एशियन गेम्स में हिस्सा लेने की मंजूरी दी गई।
यही नहीं इस दल के एक्रिडेशन को भी दल की रवानगी के एक दिन पहले मंजूरी मिली। दिलचस्प ये कि घोड़े चेन्नई और बेल्जियम से खेल स्थल पर लाये गये पर इनकी देखभाल करने वाला कोई सहायक नहीं था।
बता दें कि एक्वेस्ट्रियन के इस खेल में खिलाड़ी को घोड़ों के साथ कलाबाजी करनी होती है। साथ ही कई किलोमीटर की दूरी पारी करनी होगी और उस रास्ते में बाधाएं रहती है। घुड़सवार को अपने घोड़ो को बहुत कुशलता से इन बाधाओं को उछल कर पार कराना होता है। इसमें लगने वाले समय और कितनी कुशलता से इसे किया गया, इसी आधार पर अंक तय किये जाते हैं।