Exclusive: सौरभ चौधरी ने मेरठ के एक गांव से कैसे तय किया एशियाड में गोल्ड जीतने तक का सफर, जानिए उनके कोच की जुबानी

By विनीत कुमार | Updated: September 6, 2018 10:41 IST2018-08-22T18:39:42+5:302018-09-06T10:41:19+5:30

मेरठ से महज 30-35 किलोमीटर दूर कलिना गांव से ताल्लुक रखने वाले सौरभ ने पहले बागपत के पास ही अमित श्योरान की अकादमी में तीन साल पहले प्रशिक्षण शुरू किया।

asian games 2018 profile of saurabh chaudhary shooter from meerut who wins gold medal in shooting | Exclusive: सौरभ चौधरी ने मेरठ के एक गांव से कैसे तय किया एशियाड में गोल्ड जीतने तक का सफर, जानिए उनके कोच की जुबानी

एशियाड में इतिहास रचा सौरभ चौधरी ने

नई दिल्ली, 22 अगस्त:  हाल ही में इंडोनेशिया में हुए 18वें एशियन गेम्स में मेरठ के रहने वाले और एक किसान के बेटे सौरभ चौधरी ने केवल 16 साल की उम्र में गोल्ड मेडल जीतकर इतिहास रचा था। अब सौरभ चौधरी ने एक और नया कमाल किया है और उन्होंने चोंगवोन में पुरुषों के ISSF जूनियर वर्ल्ड चैंपियनशिप में अपने ही विश्व रिकॉर्ड को तोड़ते हुए नए रिकॉर्ड के साथ गोल्ड मेडल जीता है। 

इससे पहले एशियाई खेल-2018 में सौरभ ने 10 मीटर एयर पिस्टल में 240.7 अंक के खेलों के रिकॉर्ड के साथ गोल्ड पर निशाना साधा था और वह एशियाई खेलों में स्वर्ण पदक जीतने वाले सबसे युवा निशानेबाज बने थे।

सौरभ की ये उपलब्धि कई मायनों में खास है। उनके कोच कुलदीप के अनुसार सौरभ ने निशानेबाजी की शुरुआत इसलिए की क्योंकि ये उन्हें काफी आकर्षित करता था। मेरठ से महज 30-35 किलोमीटर दूर कलिना गांव से ताल्लुक रखने वाले सौरभ ने पहले बागपत के पास ही अमित श्योरान की अकादमी में तीन साल पहले प्रशिक्षण शुरू किया। यह अकादमी बिनौली में है। सौरभ इसके बाद 2016 में भारतीय खेल प्राधिकरण (साई) से जुड़े और फिर यहां से उनके खेल में और निखार आना शुरू हुआ।

SAI में चयन के बाद और निखरे सौरभ

कोच और साई के अलवर केंद्र से कॉन्ट्रैक्ट बेसिस पर जुड़े कुलदीप बताते हैं कि दो साल पहले 2016 में सौरभ इस केंद्र में आये थे। साई के हर साल होने वाले ट्रायल में से ही एक मौके पर उनकी प्रतिभा सामने आई और फिर पूरी कहानी बदल गई। साई से जुड़ने के बाद सौरभ को कई और बड़े जगहों और देश-विदेश के विभिन्न कैंपों में ट्रेनिंग का मौका मिलता चला गया। 

कुलदीप के अनुसार सौरभ के एक अच्छे शूटर के तौर पर उभरने का बड़ा श्रेय उनके आसपास के माहौल को भी जाता है। सौरभ के कोच खुद बागपत जिले के जौहरी गांव से आते हैं और यहां से पिछले कुछ वर्षों में कई शूटर्स निकले हैं। 

सौरभ चौधरी की एकाग्रता है उनकी ताकत

कोच कुलदीप बताते हैं सौरभ स्वभाव से काफी शांत किस्म के हैं और उनकी एकाग्रता ही उनकी सबसे बड़ी ताकत है। कुलदीप के अनुसार आज के दौर में स्मार्टफोन ध्यान भटकाने के सबसे बड़े साधन हैं और इसलिए 10वीं कक्षा के छात्र सौरभ अब भी छोटा फोन रखते हैं। कुलदीप नहीं चाहते कि सौरभ अभी मीडिया या ज्यादा चर्चा में आये। कुलदीप के अनुसार इससे सौरभ का खेल प्रभावित हो सकता है जो दो साल बाद टोक्यो में होने वाले ओलंपिक की तैयारियों के लिहास से ठीक नहीं है।

सामान्य होगा सौरभ के गोल्ड जीतने का जश्न

सौरभ गुरुवार (23 अगस्त) को सुबह दिल्ली लौट रहे हैं। कुलदीप के अनुसार पहले वे और अमित चाहते थे गाजे-बाजे और रोडशो के साथ सौरभ का स्वागत किया जाये लेकिन फिलहाल इस योजना को टाल दिया है ताकि सौरभ अति-आत्मविश्वास के शिकार न हो जाएं। बता दें कि सौरभ ने इसी साल जर्मनी में ISSF वर्ल्ड कप में 243.7 अंक के साथ गोल्ड मेडल जीता था। सौरभ पिछले साल यूथ ओलंपिक के लिए भी क्वॉलिफाई कर चुके हैं। यूथ ओलंपिक इसी साल अक्टूबर में ब्यूनस आयर्स में आयोजित होना है।

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