#KuchhPositiveKarteHain: सिर्फ पैडमैन ही नहीं, ये 5 लोग भी बनाते हैं सस्ते पैड्स, इस तरीके से करते हैं महिलाओं को जागरूक

By मेघना वर्मा | Updated: July 24, 2018 17:50 IST2018-07-24T17:48:17+5:302018-07-24T17:50:03+5:30

बाजार में मिलने वाले नॉर्मल सैनेटरी पैड्स को डीकम्पोज होने में सबसे ज्यादा समय लगता है। जिससे हमारे पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता है।

not just padman these heroes are take action for menstruation easier women | #KuchhPositiveKarteHain: सिर्फ पैडमैन ही नहीं, ये 5 लोग भी बनाते हैं सस्ते पैड्स, इस तरीके से करते हैं महिलाओं को जागरूक

#KuchhPositiveKarteHain: सिर्फ पैडमैन ही नहीं, ये 5 लोग भी बनाते हैं सस्ते पैड्स, इस तरीके से करते हैं महिलाओं को जागरूक

आजादी के 72 साल बाद भी देश करप्शन, रेप, पॉल्युशन, धोखा-धड़ी जैसे बहुत सी नेगेटिव चीजों से घिरे हैं। मगर ऐसा नहीं है कि देश में सिर्फ नेगेटिव चीजें ही हैं। आजादी के इस 72वें साल लोकमत जश्न मना रहा है देश की उन पॉजिटिव स्टोरियों के साथ जो कहीं ना कहीं देश के विकास में अपना योगदान दे रहे हैं। इसी क्रम में आज हम जिन अनसंग हीरोज की बात करने जा रहे हैं वह महिला स्वास्थय और उनकी परेशानियों से निपटने का रास्ता लोगों को दिखा रहे हैं। जी हां हम बात कर रहे हैं हमारे समाज में टैबू बन गए महिलाओं के पीरियड्स की।

अक्षय कुमार की पैड मैन में दिखने वाले अरूणाचलम मुर्गनाथम के अलावा भी देश में बहुत से ऐसे लोग हैं जो महिलाओं के पीरियड्स को लेकर काफी सजग हैं और उन्हें सैनेटरी नैपकीन यूज करने की सलाह देते हैं। आज #KuchhTohPositiveKrteHian में देश के कुछ ऐसे ही लोगों की कहानी जो महिलाओं को उनके स्वच्छ और स्वस्थय रहने के लिए शिक्षा देते हैं। 

1. इको फेम, तमिलनाडू

तमिलनाडू के इकोफेम ने बच्चियों और महिलाओं को पीरियड्स के बारे में बताने और शिक्षा देने के लिए एक नई पहल की है। जैसा की हमारे समाज में महिलाओं के मैन्सुरेशन को टैबू बनाया जाता है और उसपर बात ही नहीं की जाती। यही कारण है कि महिलाएं खुल के अपने पीरियड्स के बारे में लोगों से बात नहीं कर पाती और उन्हें सैनेटरी नैपकीन की कोई जानकारी नहीं होती। इसी को दूर करने के लिए तमिलनाडू के इको फेम संस्थान ने एक जिम्मा अपने सिर उठाया है। 

यह संस्थान सरकारी स्कूलों की बच्चियों को पीरियड्स की इंटरैक्टिव वे में  जानकारी  देते हैं। सिर्फ यही नहीं इसके अलावा भी बच्चियों को रीप्रोडक्टिव ऑर्गेन के बारे में बताया जाता है। बच्चियों को इस बात की शपथ भी दिलाई जाती है कि यह आगे भी इस जानकारी को लोगों को बताएंगी। इसके साथ ही यह संस्थान सरकारी स्कूलों में इस तरह के पैड बांटती हैं जिन्हें धोया और दुबारा से इस्तेमाल किया जा सकता है। 

2. साथी, अहमदाबाद

बाजार में मिलने वाले नॉर्मल सैनेटरी पैड्स को डीकम्पोज होने में सबसे ज्यादा समय लगता है। जिससे हमारे पर्यावरण को भी काफी नुकसान पहुंचता है। अहमदाबाद की साथी संस्थान महिलाओं के साथ पर्यावरण को भी बचाने का काम कर रही हैं। यह संस्थान ऐसे नैपकीन्स बनाते हैं जो मात्र 6 महीने में डीकम्पोज हो जाते हैं। इस पैड्स को बनाने के लिए नारियल के पत्तों के फाइबर का इस्तेमाल किया जाता है।

खास बात यह है कि 600 महिलाओं पर किए गए इनके एक्सपेरिमेंट को सफलता मिली है। साथी के द्वारा बनाए गए यह पैड्स केमिकल फ्री तो होते ही हैं साथ ही 50 प्रतिशत ज्यादा सुरक्षित माने जाते हैं। 

3. अमानी डबरीवाला, मुंबई

अमानी 19 साल की लड़की हैं जो अभी-अभी 12 पास आउट हुई हैं। अपने कॉलेज ज्वाइंनिंग से पहले वह 7 से 11 में पढ़ रही लड़कियों को पीरियड्स और उसके हाईजीन को लेकर शिक्षा दे रही हैं। वो अपने प्रेजेंटेशन के माध्यम से लड़कियों को बड़े इंटरैक्टिव वे में लड़कियों के पीरियड्स के बारे में जानकारी देती हैं। उन्होंने मुंबई के सरकारी स्कूल में दो सैनेटरी नैपकीन की दो मशीने भी लगवा दी हैं जिसे अनुदान के पैसे से लगवाया गया है। 

4. कनिका, केरल

कनिका एक ऐसी संस्थान है जो ऑरगैनिक पैड्स बनाती है। केरल की इस संस्था को अरूणाचलम मुर्गनाथम की ओर से सहायता मिलती हैं। इस एनजीओ में 50 से ज्यादा महिलाएं काम करती हैं जो हर महीने 200 पैकेट सैनेटरी पैड्स बनाती हैं। हर पैकेट के अंदर 10 पैड्स होते हैं। इन पैड्स को कम से कम दामों में बेचने की कोशिश रहती है। एक पैकेट का दाम मात्र 43 रूपये तक का होता है। 

5. सैनेटरी बैंक, मुंबई

टीईई फाउंडेशन की ओर से मुंबई की बहुत सी जगहों पर सैनेटरी बैंक खोले गए हैं। जिनमें महिलाओं के लिए बेहद कम दामों में पैड्स उपल्बध करवाए जाते हैं. लोग इसमें साथ मिलकर पैसे या सैनेटरी पैड डोनेट कर सकते हैं। यह बैंक जरूरमंद औरतों को 7 रूपए में 10 पैड्स प्रोवाइड करवाते हैं। यह संस्थान लोगों को ऐसा करने के लिए प्रेरित भी करते रहते हैं।  

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